कोई भी समाज जिसमे लोगों को दंड का भय नहीं होता , कुछ विशेष लोगों की खुशामद कर के मनमानी करने की छूट होती है , ऐसा समाज धीरे - धीरे अराजकता की स्थिति में पहुँच जाता है , शिकायत किससे करें ? कोई सुनने वाला नहीं होता l जहाँ अधिकांश लोग स्वार्थ में डूबे, अपने सुख - वैभव , पद - प्रतिष्ठा को बचाने में लगे हों , वह समाज आदिम - युग में पहुँच जाता है l
भौतिक साधनों में वृद्धि , विकास का मापदंड नहीं है l
अब समाज भी जागना नहीं चाहता है l हर व्यक्ति अपने चेहरे पर एक नकाब डाले है l शराब , नशा , मांसाहार , अश्लीलता आदि मन को बहकाने वाले अनेक कारणों से ' डबल फेस ' में से एक चेहरा मौका मिलने पर कब राक्षस हो जाये , कोई नहीं जानता l
एक जागरूक समाज वह होता है जो समस्या की जड़ में पहुंचकर उसके समाधान की बात करे l
भौतिक साधनों में वृद्धि , विकास का मापदंड नहीं है l
अब समाज भी जागना नहीं चाहता है l हर व्यक्ति अपने चेहरे पर एक नकाब डाले है l शराब , नशा , मांसाहार , अश्लीलता आदि मन को बहकाने वाले अनेक कारणों से ' डबल फेस ' में से एक चेहरा मौका मिलने पर कब राक्षस हो जाये , कोई नहीं जानता l
एक जागरूक समाज वह होता है जो समस्या की जड़ में पहुंचकर उसके समाधान की बात करे l