Saturday 30 June 2018

दंड का भय न होने से अराजकता बढ़ती है

    कोई  भी  समाज  जिसमे  लोगों  को  दंड  का  भय  नहीं  होता  ,  कुछ  विशेष  लोगों  की  खुशामद  कर  के  मनमानी  करने  की  छूट  होती  है  ,  ऐसा  समाज धीरे - धीरे  अराजकता  की  स्थिति  में  पहुँच  जाता  है  ,  शिकायत   किससे    करें   ?  कोई  सुनने  वाला  नहीं  होता  l   जहाँ  अधिकांश  लोग  स्वार्थ  में   डूबे,   अपने  सुख - वैभव , पद - प्रतिष्ठा  को  बचाने  में  लगे  हों  ,  वह  समाज   आदिम - युग  में  पहुँच  जाता  है  l 
   भौतिक  साधनों  में  वृद्धि  ,  विकास  का  मापदंड  नहीं  है   l 
  अब  समाज  भी  जागना  नहीं  चाहता  है   l   हर  व्यक्ति  अपने  चेहरे  पर  एक  नकाब  डाले  है   l   शराब , नशा ,  मांसाहार ,  अश्लीलता  आदि  मन  को  बहकाने  वाले  अनेक  कारणों  से   ' डबल फेस '  में  से  एक  चेहरा  मौका  मिलने  पर  कब  राक्षस  हो  जाये  ,  कोई  नहीं   जानता  l 
  एक  जागरूक  समाज  वह   होता  है   जो  समस्या  की  जड़  में  पहुंचकर  उसके  समाधान  की  बात  करे  l  

Tuesday 26 June 2018

जब भी समाज में कायरता बढ़ती है नारी पर अत्याचार बढ़ता है

  जो  पुरुष  वीर  होते  हैं  वे  कभी  नारी  पर  अत्याचार  नहीं  करते  ,  इतिहास  ऐसे  वीर  पुरुषों  के  उदाहरण  से  भरा  पड़ा  है  l  ऐसे  पुरुष  नारी  को  संरक्षण  देते  हैं  और  नि:स्वार्थ  भाव  से  मुसीबत  में  उसकी  रक्षा  करते  हैं   l  अब  इस  धरती  पर  कायरता  बढ़  गई  है    l
  हमने  विदेशों  से  फैशन ,  आधुनिकता  तो  सीख  ली ,  लेकिन  जो  वहां  का  सबसे  बड़ा गुण  है -- परिश्रम ,  किसी  भी  काम  को  छोटा  न  समझना ,  यह  नहीं  सीखा  l  गर्म  जलवायु  होने  के  कारण  यहाँ  लोगों  में  आलस  बहुत  है  , फिर    इस  गर्म  जलवायु  में   मांस - मदिरा  और  हर  तरह  के  नशे  के  सेवन   ने   लोगों  के  मन  व  बुद्धि  को  बेलगाम  कर  दिया   l
  पुरुष  प्रधान  समाज  होने  के  कारण     समाज  के  लोग  ही  नारी  के  प्रति  अपराध  करने  वाले  को  बचाते  हैं  ताकि  उनकी  गलतियों  पर  भी  परदा  पड़ा  रहे  ,  कौन  किसे  सजा  दे     ? 
  पहले  के  डाकुओं  के  भी  सिद्धांत  होते  थे  ,  कई  ऐसे  डाकू  हुए  जो  कभी  किसी  की  डोली  नहीं  लूटते  थे ,  किसी  भी  नारी  पर  हाथ  नहीं  उठाते  थे  l  लेकिन  अब  ऐसा  नहीं  है   l  नारी  को ,  छोटी  बच्चियों  को  सताने  में   पुरुष  कितना  नीचे  गिर  जायेगा    इस  की  कल्पना  नहीं  की  जा  सकती  l 
    बेटियों  की  सुरक्षा  और   सम्मान    तो  बहुत   दूर  की  बात  है ,  चैन  से  जीने  भी  नहीं  देते   l  चाहे  परिवार  हो ,  समाज  हो  या  कार्य स्थल  हो   ऐसे  अहंकारियों  के   हिसाब  से  चलो ,  अपने  आत्मसम्मान  को   छोड़कर  उनके  इशारे  पर  चलो ,  तब  तो  ठीक  है  अन्यथा  चैन  से  जीने  भी  न  देंगे  l
  अब  जरुरत  है  कि  ऐसी  पाठशालाएं  खुलें  जो  हर  उम्र  के  पुरुष  और  नारी  को  नैतिकता   की  शिक्षा  दे  l   चाहे  छोटा  पद  हो  या  कोई  बड़े  से  बड़ा  पद  हो ,  शिक्षा , स्वास्थ्य , प्रशासन  हो  या  सेना , पुलिस  आदि  सभी  क्षेत्रों  में  जो  भी  नियुक्ति  हो   उसे  अपने  पद  की  ट्रेनिंग  के  साथ  नैतिकता  और  संवेदना    का  अनिवार्य   प्रशिक्षण  दिया  जाये   जिसमे  विभाग  का  हर  व्यक्ति  सम्मिलित  हो   l  इतने  बड़े  स्तर  पर   जब  लोगों  को   यह  अध्यात्म  का  पहला  पाठ  पढ़ाया  जायेगा  तब  धीरे - धीरे  लोगों  की  मानसिकता  परिवर्तित  होगी  l  

Saturday 23 June 2018

समाज में अशांति और अनैतिकता बढ़ने का कारण है कि अब लोगों ने व्यक्ति के पहनावे से उसके चरित्र का आंकलन शुरू कर दिया

       समाज  में  जब  भी  अपराध , अनैतिकता  बढ़ती  है   तो  उसके  पीछे  एक  बड़ा  कारण  यह  है  कि  समाज  ही  जागरूक  नहीं  है   l  जो  समाज  व्यक्ति  के   पहनावे  को  देखकर ,  उसके  वस्त्रो  को ,  ड्रेस  को   देखकर ,   व्यवसाय  या  पद  को  देखकर     व्यक्ति   को  अच्छा  कहे ,  उस  पर  विश्वास  करे   तो  यह  जागरूकता  नहीं  है    l
   वातावरण ,  समय  का  प्रभाव  आदि  अनेक  वजह  से  व्यक्ति  में   अनेक  बुराइयाँ  आ  जाती  हैं    लेकिन  कामवासना   का  सम्बन्ध  व्यक्ति  के  मन  से  है  ,  यह  विकार  व्यक्ति  के  मन  में  पैदा  होता  है  l  यह  कहना  कि  अमुक  वस्त्र  पहनकर  ,  किसी  अच्छे  पद , व्यवसाय  में  होने  से  व्यक्ति  ने  इस  विकार  पर  विजय   प्राप्त  कर  ली  है ,  यह  गलत  है  l   धन - वैभव ,  शक्ति ,  दंड  का  भय  न  होना  ये  सब  बातें  व्यक्ति  की  उन्मतता   को  और   भड़काती    हैं  l 
अपनी  संस्कृति  को  बचाना  है ,  गरिमामय  जीवन  जीना  है   तो  व्यक्ति  हो , परिवार  हो  या  संस्था  हो  सबको  जागरूक  होना  होगा   l  

Thursday 21 June 2018

प्रत्येक व्यक्ति यह देखे और चिंतन करे कि वह नई पीढ़ी को क्या सिखा रहा है

 बच्चे  की प्रथम  पाठशाला  उसका  परिवार  है  l   यदि  इस  बात  पर  ध्यान  दें  तो  देखेंगे  कि  परिवार  के  सदस्य   परस्पर  और  मित्रों  से  बच्चे  के  सामने  जिस  भाषा  का ,  जिन  अच्छे - बुरे  शब्दों  का  इस्तेमाल  करते  हैं  ,  बच्चा  जब  बोलने  लगता  है  तब  वह  भी  उन्ही  शब्दों  का  इस्तेमाल  करता  है  l  परिवार  के  लड़ाई - झगडे ,  आपस  में  एक   दूसरे   का  अपमान ,  तिरस्कार ,  उपेक्षा ,  किसी  को  अपने  से  हीन  समझना   ,  झूठ  बोलना  आदि  अनेक  दुर्गुण  बच्चा  अपनी  घुट्टी  के  साथ  बिना  सिखाये  ही  सीख  जाता  है   और  बड़े  होकर  वह  परिवार  और  समाज  में  वैसा  ही  व्यवहार  करता  है  l  
    आचरण  से  ही  शिक्षा  दी  जा  सकती  है   l     भाषण ,  उपदेश ,  मार ,  भय  ,  दंड  आदि  से  आप  किसी  को  अच्छा   नहीं  बना  सकते  l  

Wednesday 20 June 2018

अहंकारी व्यक्ति की बुद्धि , दुर्बुद्धि में बदल जाती है

   महाभारत  में   भगवन  श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  के  जीवन  की  बागडोर  अपने  हाथ  में  ले  ली   क्योंकि  अर्जुन  में  नम्रता  थी  अहंकार  नहीं  था   l  कहते  हैं  ईश्वर  जिस  पर  कृपा  करते   हैं  उसे  सद्बुद्धि  देते  हैं  और  जो  अहंकारी  है ,  अत्याचारी  है   उसे  दुर्बुद्धि  देते  हैं   l  फिर  ईश्वर  को  हथियार  नहीं  उठाना  पड़ता  ,  अहंकारी  की  दुर्बुद्धि  ही  उसका  अंत  कर  देती  है    l 
     अहंकारी  व्यक्ति  को  ये  बात  समझ  में  नहीं  आती  कि  उसके  अत्याचार  से   तंग  आकर   लोगों  के  ह्रदय  में  उसके  लिए  कितनी  नफरत  भर  गई  होगी  l  एक  घटना  है  ----  एक  परिवार  में  पति - पत्नी  और  एक  बच्चा  था  l   एक  दुष्ट  व्यक्ति  ने  उन  पर  बहुत  अत्याचार  किये  ,  उनकी  सम्पति  आदि  सब  हड़प  ली  ,  फिर  भी  हर  तरह  से  परेशान    करता  था  l  गरीबी ,  अत्याचार   इन  सबसे  तंग  आकर  पत्नी  दूसरे  बच्चे  को  जन्म  देकर  चल    बसी  l   लेकिन  अत्याचार  का  अंत  नहीं  हुआ  l  पिता  के  साथ  यातनाएं  सहते - सहते  वह  बच्चा   चार  वर्ष  का  हो  गया  l   एक  दिन  अपने  पिता  के  साथ  अपने  छोटे  से  नाममात्र  के  खेत  पर  जा  रहा  था  कि  उस  दुष्ट  व्यक्ति  ने    आकर  उसके  पिता  को  बहुत  मारा - पीटा,  अभद्र  भाषा  बोली   l  अचानक  उस  बच्चे  ने  अपने  छोटे ,  कमजोर  हाथ  से  एक  छोटा  सा  पत्थर  उठाया  और  उस  छह  फुट  लम्बे  आदमी  को  दे  मारा  ,  जो  उसकी  आँख  में  लगा  l  वह  सन्न  रह  गया  l  उसने  कसकर  बच्चे  का  हाथ  पकड़ा   तो  बच्चे  ने  उसके  हाथ  में  काट  लिया  l  अब  बच्चे  की  खैर  नहीं   थी  l  उसी  समय  एक  साधु  आ  गया  ,  उसने  बीच - बचाव  कर  के  बच्चे  को  बचा  लिया  l  और  उस  दुष्ट  आदमी  को  कहा   कि  बच्चे  ने  जो  किया  ,  वह  तुम्हारे  ही  अत्याचार  की  कहानी  है  l  ----
हमें  ईश्वर  से  डरना  चाहिए  ,  अति  का  अहंकार  प्रकृति  भी  सहन  नहीं  करती   l  

Sunday 17 June 2018

सफलता के लिए आत्मविश्वास जरुरी है

   ईश्वर  विश्वास  ही  आत्मविश्वास  है  l  जो  ईश्वर  पर  विश्वास  करते  हैं  , वे  अपने  जीवन  में  सद्गुणों  को  अपनाते  हैं  l  सच्चाई  और  ईमानदारी  की  राह  पर  चलते  हैं  l  यह  राह  कठिन  है  लेकिन  ईश्वरीय  कृपा  की  अनुभूति  आनंद  देती  है  l   दुष्टता  का  आक्रमण  हमेशा   व्यक्ति  पर  इस  तरीके  से  होता  है  कि  उसके  आत्मविश्वास  को  डिगा  दें   l    इसलिए  जो  भी  सच्चाई  की  राह  पर  चलने  के  इच्छुक  हैं  उन्हें  नि:स्वार्थ  भाव  से  सत्कर्म  करना  चाहिए   और  ह्रदय  में  इस  विश्वास  को  दृढ़  रखना  चाहिए  कि  ईश्वर  उनके  साथ  है  l 

Saturday 16 June 2018

अपराध और अत्याचार को समाप्त करने के लिए हमें हमारे महाकाव्य -- रामायण और महाभारत से शिक्षा लेनी होगी

   इस  संसार  में  सदा  से  ही  देवता  और  असुरों  में ,  अच्छाई  और  बुराई  में  संघर्ष  रहा  है  l    रामायण  से  हमें  समझना  होगा   कि  असुर  केवल  देवताओं  पर  आक्रमण   ही   नहीं  करते  , वे  उन  स्थलों  को  भी  अपवित्र  करते  हैं   जहाँ  से  देवत्व  का ,  सद्प्रवृतियों   का  निर्माण  होता  है   l  असुरों  ने  हमेशा  ऋषियों  के  आश्रम  को  निशाना  बनाया , यज्ञ,  हवन  को  अपवित्र   किया  l  उस  समय  में  आश्रम  में ,  गुरुकुल  में   बच्चे  अध्ययन  करते  थे  ,  उनकी  स्थिति  कितनी  दयनीय  हो  गई  होगी  यह  समझा  जा  सकता  है  l 
     आज  स्थिति  विकट  हो  गई  है  अपराधी  और  दुष्प्रवृति के  लोग  समाज  में  घुल - मिलकर  रहते  हैं  l  चेहरे  पर  शराफत  का  आवरण  होता  है   लेकिन  प्रवृति  तो  वही    आसुरी  है  l  वे  अपने  अपराध  को  अंजाम  देने  के  लिए   उस  असुरों  की  तरह  उन्ही  स्थलों  को  चुनते  हैं  जिन  पर  सामान्य  जनता  आसानी  से  शक  न  कर  सके  l   अब  भगवान  राम  जन्म  नहीं  लेंगे  ,   ईश्वर  चाहते  हैं   कि  सोया  हुआ  मनुष्य  अब  जागे , जागरूक  बने  ,  और   सच्चा  इनसान  बने  l
    कहते  हैं  जो  महाभारत  में  है  वही  इस  धरती  पर  है  l     महाभारत  काल  में  छल - कपट  अपनी  चरम  सीमा  पर  था   l    दुर्योधन  आदि  कौरवों  ने  छल  से  पांडवों  का  राज्य  भी  हथिया  लिया  ,  उन्हें  वन  भेज  दिया  और  चैन  से  जीने  भी  नहीं  दिया   l  तब  भगवान  कृष्ण  ने  अर्जुन  को  गीता  का  उपदेश  दिया  --  समस्याओं  से  डर  कर   भागना  नहीं  है ,   हाथ  पर  हाथ  रखकर  बैठना  नहीं  है ,  युद्ध  करो ,  कर्मयोगी  बनो   l  जो  कर्मयोगी  होता  है   उसके  जीवन  रूपी  रथ  की  बागडोर  भगवान  स्वयं  सँभालते  हैं   और   जिसके  साथ  ईश्वर  है   उसकी  विजय  निश्चित  है  l  























Thursday 14 June 2018

वर्तमान में जीने के साथ भविष्य के लिए सचेत रहना बहुत जरुरी है

    अनेक  विद्वान  जो  बात  कहते  हैं    उसका   प्रत्येक  व्यक्ति  अपने  संस्कार  ,  अपनी  इच्छाओं , आकांक्षाओं  के  अनुसार    अर्थ  निकलता  है  l  जैसे  यह  कहा  जाता  है  कि  वर्तमान   ही  हमारे  सामने  है ,  उसका  उपयोग  करो  l  इसे  अपना  आदर्श  वाक्य  मानकर  अधिकांश  लोग  वर्तमान  में  सारे  सुख - वैभव ,  मौज - मस्ती  में  समय  बिताते  हैं ,  ऐसे  लोगों  का  सोचना  है  कि  कल  किसने  देखा  आज  मौज  कर  लो  l 
    ऐसी  सोच  से  जीवन  परेशानियों  से  घिर  जाता  है  l
  जीवन  में  संतुलन  जरुरी  है  l  वर्तमान   में   सुख - सुविधाएँ   आदि  की  व्यवस्था  के  साथ  भविष्य  के  लिए  पूंजी  संचित  करें ,  जो  कठिन  वक्त  में  हमारे  काम  आये  l
   लेकिन  यह  पूंजी  केवल  धन - सम्पति  ही  न  हो ,  हम  सत्कर्मों  की  पूंजी  भी  जोड़ें    क्योंकि  सत्कर्मों  में  वो  ताकत  है  जिसके  सहारे  हम  बड़ी से बड़ी  मुसीबतों  से  भी  बचकर  सुरक्षित  निकल  आते  हैं  l 

Wednesday 13 June 2018

जीवन जीने की कला का ज्ञान बहुत जरुरी है

    ' तनाव '  आज  के  समय  की  बहुत  बड़ी  समस्या  बन  गया  है  l  इसका  कारण  यही  है  की  लोग  समस्या   की  ही  चर्चा  करते  हैं  ,  उसका  समाधान  नहीं  ढूंढते   l  समस्या  की  बार - बार  चर्चा  करने  से   वह  परेशानी  बढ़ती  जाती  है   l  यदि  हम  अपना  ध्यान    उस  समस्या  के  समाधान  पर   और  उसके  विभिन्न  विकल्पों  पर  केन्द्रित  करें  तो  तनाव  से  बच  सकते  हैं  l 
  तनाव  से  बचने  का  सबसे  सरल  तरीका  यह  है  कि  जो  कुछ  हमारे  पास  है  ,  उसे  ईश्वर  का  आशीर्वाद  मानकर  खुश  रहें  l  कभी  किसी  से  कोई  उम्मीद  न  करें  l   अपनी  तरक्की  के  लिए  ,  जीवन  में  सुख - भोग  के  साधन  इकट्ठे  करने  के  लिए  कभी  गलत  राह  न  चुने  l  अपना  कार्य  सच्चाई  और  ईमानदारी  से  करें   l  ऐसा  सब  करने  के  लिए  धैर्य  और  ईश्वर  पर  विश्वास  जरुरी  है  l  

Tuesday 12 June 2018

व्यक्ति अपनी असलियत छुपाता है इसलिए तनाव में जीता है

 कहते  हैं    जिस  व्यक्ति   को   अहंकार  नहीं  है  उसे   दुःखी  करना  असंभव  है    और  जो  अहंकारी  है  उसे  सुखी  करना  असंभव  है  l  
     अहंकार  नहीं  है  - ऐसा  व्यक्ति    हर  हाल  में  खुश  व  तनाव रहित  रहता  है   l  कोई  कुछ  भी  कहे  कहता  रहे  ,  वह  अपनी  दुनिया  में    मस्त  रहता  है   क्योंकि  वह  जानता  है  कि  उसकी  सच्चाई    ईश्वर    जानते  हैं   l
  लेकिन  जो  अहंकारी  है  ,  वह  अपने  इस  दुर्गुण  से  अपने  ही  जीवन  को  नर्क  बना  लेता  है   l  अपने  अहंकार  की  तुष्टि  के  लिए  वह  अपने  ऊपर  शराफत  और  श्रेष्ठ  चरित्र  का  चोला  डाल  लेता  है   l 
  अच्छाई  में  एक  अनोखा  आकर्षण  होता  है   इसलिए  बुरे  से  बुरा  व्यक्ति    भी  समाज  में  यश , प्रसिद्धि  , सम्मान , बड़ा  आदमी   कहलाने  के  लिए    अपने  ऊपर  अच्छाई  का  आवरण  डाल  लेता  है  l   बस  !  यहीं  से  उसके  जीवन  का  कष्ट  शुरू  हो  जाता  है   l   देखने  में  लोगों  को  लगता  है -- देखो  कितना  सुखी  है , कितने  ठाठ - बाट  हैं  ,  कितना  सम्मान  है ,  लेकिन   इसके  पीछे   की  सच्चाई   ऐसा  अहंकारी  स्वयं   जानता    है   कि  अपने  इस  आवरण  को  कटने - फटने  से  बचाने  के  लिए  उसे  कितनो  को  खुश  करना  पड़ता , कितने  लोगों  की  धौंस  सहनी  पड़ती  है ,  न  जाने  कितनों  की  गुलामी  करनी  पड़ती  है ,  अपने  को  सम्मानित कराने  के  लिए  कितनों  को  खरीदना  पड़ता  है  l  यह  सब  बातें  उसके  जीवन  को  तनाव  से  भर  देती  हैं  ,  उसकी  नींद ,  उसका  सुख - चैन  सब  छीन  लेती  हैं  l 
  जो  सीधी  सरल  जिन्दगी  जीते  हैं ,   जिसने  अपनी  कामनाओं - वासनाओं  पर  नियंत्रण  रखा  है  , वे  तनाव रहित  रहते  हैं , जब  भी  वक्त  मिल  जाये  चैन  की  नींद  सो  लेते  हैं  l
  एक  बार  वायसराय  ने  गांधीजी  को  मिलने  को  बुलाया   l  गांधीजी  मिलने  गए  l  वायसराय  ने  कहलवाया   कि   अभी   पंद्रह  मिनट  की  देर  है , आप  बैठें  l  गांधीजी  ने  कहा  कि  मैं  रात  भर  का  जगा  हूँ  ,  पंद्रह  मिनट  सो  लूँगा  तो  सिर  हलका  हो  जायेगा  l  झट  से  उन्होंने  अपनी  चादर  सोफे  पर  लम्बी  की  और  वहीँ  सो  गए   l  और  पंद्रह  मिनट  बाद  जब  वायसराय  आये  तो  वे  उठ   बैठे   l   उन्होंने  कहा -- क्या  बात  है  ! इतनी  गहरी  नींद  आती  है   !  
  यह  निर्णय   प्रत्येक  व्यक्ति   को  स्वयं  लेना  है   की  उसे    दिखावे  का  ,  डबल  फेस  का  तनावपूर्ण  जीवन  जीना  है   या   सीधा - सरल ,  खुली  किताब  सा  जीवन  शांतिपूर्ण  ढंग  से  जीना  है  l 

Monday 11 June 2018

बच्चे और युवा उपेक्षित हों तो भविष्य अंधकारमय होता है

     आज  संसार  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  है  ,  परिवार हो ,  संस्था  हो ,  समाज  हो  या  विभिन्न  राष्ट्र  हों  ,  जिसमे  थोड़ी  भी  ताकत  है ,  वह  जी - जान  से  इस  प्रयास  में  है  कि  कोई    दूसरा    आगे  न  बढ़  पाए  l  इसके  लिए  नैतिकता  को  दरकिनार  कर  के  सब  प्रयास  किये  जाते  हैं  l 
  अब  आज  का  समय  वीरता  से  आमने - सामने  लड़ने  का  नहीं    रहा  l  अब  कायरता  बढ़  गई  है   l  लोग  इस  तरह   के  हथकंडे  अपनाते  हैं   कि  दूसरे  का  अहित  हो  जाये  और   कानून  तो  बहुत  दूर  है ,  कोई  दोष  भी  न  दे  सके  ,  आज  गिरावट  की  कोई  सीमा  नहीं  रह  गई  है  जैसे -- कोई   का  पारिवारिक  जीवन  सुखी  है ,  तो  ईर्ष्यालु  लोग  ऐसा  हर  संभव  प्रयास  करेंगे   कि  रिश्ते  में  दरार  आ  जाये ,  कोई  सुखी  कैसे  है  ?   इसी  तरह   किसी  परिवार  में  बच्चे - युवा   भविष्य  के  प्रति  जागरूक  हैं , जिम्मेदार  हैं  तो  ईर्ष्यालु  लोग   अपनी  तरक्की  का  प्रयास  नहीं  करेंगे ,  उनका प्रयास  होगा  कि  कैसे  उन  युवाओं  का  अहित  करें ,  उनकी  संगत  बिगाड़  दें ,  नशा  आदि  बुरी  आदतें  लग  जाएँ ,  आलसी  बन  जाएँ ,  हर  तरीके  से  वे  खुशहाली  मिटाने  का  प्रयास  करते  हैं ,  ताकि  तरक्की  न  कर  पायें  l
      यही  बात  राष्ट्र  के  सम्बन्ध  में    लागू   होती  है  l    बच्चे  असुरक्षित  रहें ,  युवाओं  के  सामने  तरह - तरह  के  नशे , विज्ञापन , फ़िल्में , टीवी , और  मोबाइल  के  माध्यम  से  अश्लीलता  परोस  कर   उनका  चरित्र  हनन  कर  दो  और  बिना  मेहनत  का  पैसा  देकर  उन्हें  आलसी  बना  दो  l  ऐसा  होने  पर  परिवार  हो  या  राष्ट्र  विकास  नहीं  होता  और  न  ही  संस्कृति  सुरक्षित  होती  है   l
 अब  बचे  केवल  प्रौढ़  और  वृद्ध  --- अमर  होकर  कोई  नहीं  आया  ,  लेकिन  सोच  यह  है  कि  कोई  सुख  छूट  न  जाये ,  पैसा , भोग - विलासिता  हाथ  से  न  निकल  जाये   l   नई  पीढ़ी को   अच्छी  शिक्षा ,  अच्छे  संस्कार  न   देकर  ,  ऐसे ही  चले  जायेंगे   l  इससे  न  तो  संसार  में  यश  मिलेगा   और  न  ही  ईश्वर  माफ  करेगा   l
 नई  पीढ़ी  का  निर्माण  करने  वाले  भी  देश  में  हैं ,  लेकिन     पतन  का  तूफान  बहुत  घना  है ,  बचाने  वाले  कम  हैं  l   अब  नई  पीढ़ी  को  स्वयं  जागरूक  होने  की  जरुरत  है   l  संसार  में  अच्छाई- बुराई  दोनों  हैं ,  अच्छाई  को  चुने ,  परिश्रमी  बने   l  

Tuesday 5 June 2018

जो जागते हुए सोने का अभिनय करे उन्हें जगाना बहुत मुश्किल है

 आज  समाज  स्वार्थ  की  नींद  में  सोया  हुआ  है  l   जो  प्रौढ़  और  बुजुर्ग  हैं  उन्हें  लगता  है   कि  जीवन  कब  हाथ  से  फिसल  जाये  जितना  सुख  भोग  सको  भोग  लो   l  काम , क्रोध , लोभ  -- आखिरी  सांस  तक  इसी  के  पीछे   दौड़ते  हैं  l  निष्काम  कर्म  और  त्याग  का  जीवन  जीने  वाले  तो  बहुत  कम  लोग  हैं  l  इसी  तरह  युवा  वर्ग  है   जो  नशा , मौज - मस्ती  को  ही  जवानी  समझता  है  l 
  युवा  वर्ग  के  सामने   समस्या  चाहे बेरोजगारी  की  हो  ,  पर्यावरण  प्रदूषण  की  हो  या   अपने  अस्तित्व  को  बनाये  रखने  की  हो   उसके  समाधान  के  लिए  जागरूकता  और  विवेक  की  जरुरत  है    l