पूर्ण स्वस्थ का अर्थ है--- शरीर भी स्वस्थ हो और मन भी स्वस्थ हो । हमने जो संपदा और सुख-सुविधाएँ एकत्रित की हैं उनका आनंदपूर्वक उपभोग कर सकें ।
सुख-वैभव से आनंदपूर्ण जीवन सब जीना चाहते हैं और इसके लिये राजनेता, अधिकारी, सेठ-साहूकार सभी विभिन्न योजनाएँ बनाते हैं और बड़ी-बड़ी धनराशि इन योजनाओं के अंतर्गत सामान्य जनता को देना चाहते हैं जिससे जनता की दुआएँ मिले, जनता भी खुश हो और उनका भी यश-वैभव बढ़े ।
लेकिन होता इसका उल्टा है । बड़ी मात्रा में धनराशि प्राप्त होने से व्यक्ति का, समाज का चारित्रिक पतन होने लगता है , ऐसे दान से पुण्य मिलना तो दूर लोगों के नैतिक पतन का कारण बनने से सिर पर पाप की गठरी चढ़ जाती है । यही कारण है कि अपार धन-संपदा और सारी सुख-सुविधाएँ होने पर भी बीमारी, तनाव, कलह और अशांत मन:स्थिति रहती है ।
यदि आप वास्तव में सुख व आनंद से भरा-पूरा जीवन जीना चाहते हैं तो दान इस तरह कीजिए कि व्यक्ति, समाज भिखारी नहीं -- पुरुषार्थी बने ।
यदि आप दो-चार रूपये भी दान करना चाहें तो रूपये न दें , ब्रैड आदि दें । यदि आप बहुत बड़ी धनराशि दान करना चाहते हैं तो लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये शुद्ध जल, वृक्षारोपण आदि कराएँ और सबसे अच्छा तो यह है कि बेरोजगारों के तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था कर उन्हें उस प्रशिक्षण से संबंधित उपकरण दें जिससे वे एक पेड़ के नीचे भी खड़े होकर जीविकाउपार्जन कर सकें ऐसे निस्स्वार्थ कार्यों का पुण्य आपके जीवन को खुशियों से भर देगा ।
सुख-वैभव से आनंदपूर्ण जीवन सब जीना चाहते हैं और इसके लिये राजनेता, अधिकारी, सेठ-साहूकार सभी विभिन्न योजनाएँ बनाते हैं और बड़ी-बड़ी धनराशि इन योजनाओं के अंतर्गत सामान्य जनता को देना चाहते हैं जिससे जनता की दुआएँ मिले, जनता भी खुश हो और उनका भी यश-वैभव बढ़े ।
लेकिन होता इसका उल्टा है । बड़ी मात्रा में धनराशि प्राप्त होने से व्यक्ति का, समाज का चारित्रिक पतन होने लगता है , ऐसे दान से पुण्य मिलना तो दूर लोगों के नैतिक पतन का कारण बनने से सिर पर पाप की गठरी चढ़ जाती है । यही कारण है कि अपार धन-संपदा और सारी सुख-सुविधाएँ होने पर भी बीमारी, तनाव, कलह और अशांत मन:स्थिति रहती है ।
यदि आप वास्तव में सुख व आनंद से भरा-पूरा जीवन जीना चाहते हैं तो दान इस तरह कीजिए कि व्यक्ति, समाज भिखारी नहीं -- पुरुषार्थी बने ।
यदि आप दो-चार रूपये भी दान करना चाहें तो रूपये न दें , ब्रैड आदि दें । यदि आप बहुत बड़ी धनराशि दान करना चाहते हैं तो लोगों के अच्छे स्वास्थ्य के लिये शुद्ध जल, वृक्षारोपण आदि कराएँ और सबसे अच्छा तो यह है कि बेरोजगारों के तकनीकी प्रशिक्षण की व्यवस्था कर उन्हें उस प्रशिक्षण से संबंधित उपकरण दें जिससे वे एक पेड़ के नीचे भी खड़े होकर जीविकाउपार्जन कर सकें ऐसे निस्स्वार्थ कार्यों का पुण्य आपके जीवन को खुशियों से भर देगा ।
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