व्यक्ति सोचता है कि बहुत धन इकट्ठा कर लें तो खूब सुख से रहेंगे लेकिन ऐसा होता नहीं है । धन की गठरी से बड़ा समस्याओं का ढेर होता है , जितने बड़े और महंगे अस्पताल हैं वे सब संपन्न लोगों से ही भरे रहते हैं । लोग दवाइयों पर , डॉक्टर की फीस पर लाखों रुपया खर्च करते हैं लेकिन अस्पताल के बाहर बैठे किसी भूखे को दो रूपये का बिस्किट भी खरीद कर नहीं देते हैँ । आज व्यक्तियों का पूरा ध्यान महंगा डॉक्टर, महंगा इलाज पर ही है, यदि इसी से सब ठीक हो जाता तो बड़ी-बड़ी बीमारियाँ न होतीं, संपन्न व्यक्ति सब स्वस्थ होते । यदि हमें स्वस्थ रहना है तो संसार के सबसे बड़े डॉक्टर--- ईश्वर को, प्रकृति को प्रसन्न करना है, इसके लिए हमें लाखों रुपया खर्च करने की जरुरत नहीं, उन्हें तो हम बिना कुछ खर्च किये ही प्रसन्न कर सकते हैं---- अपने भोजन में से एक-दो कौर तोड़कर पशु- पक्षियों को दें, उनके पीने के लिए पानी रखें, जो ब्रेड-बिस्किट घर मे बच जाते है उन्हें गरीब कों दें । ऐसे बहुत से कार्य हैं जो हम बहुत कम खर्च में कर के अपने लिये अनमोल दुआएं इकट्ठी कर सकते है । प्रकृति में जैसा आप देते हैं वैसा ही मिलता है, किसी कों सुख देंगे, खुशियाँ देंगे तो आपको भी खुशी मिलेगी, किसी को कष्ट देंगे तो कष्ट मिलेगा ।
अपने जीवन को सुखी व स्वस्थ बनाना हमारे हाथ मे है---- अपने जीवन में यह प्रयोग कर के देखिये, सत्कर्म करें, नेक रास्ते पर चलें तब प्रकृति की कृपा का अनुभव आप स्वयं करेंगे ।
अपने जीवन को सुखी व स्वस्थ बनाना हमारे हाथ मे है---- अपने जीवन में यह प्रयोग कर के देखिये, सत्कर्म करें, नेक रास्ते पर चलें तब प्रकृति की कृपा का अनुभव आप स्वयं करेंगे ।
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