आज के वातावरण में हम समाज में शान्ति की उम्मीद नहीं कर सकते क्योंकि जिन दुष्प्रवृत्तियों की वजह से अशान्ति है उन्हें रोकना या कम करना बहुत ही मुश्किल काम है | सभी धर्मों में शराब, मांस, सिगरेट का निषेध किया गया है, लेकिन इनके विरुद्ध आन्दोलन चलाकर, प्रवचन देकर आप एक सामान्य उपभोक्ता को ही समझा सकते हैं, इन वस्तुओं का कारोबार जो सारे संसार में फैला है, करोड़ों-अरबों रूपये का है, उन्हें समझाने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता |
ऐसे वातावरण में रहकर हमें स्वयं को शान्त रखना है |
इसका एक ही तरीका है ---- नियमित सत्कर्म करें, निष्काम भाव से सत्कर्म करने से मन निर्मल होता है, सद्बुद्धि आती है, नशा, मांस आदि में अरुचि होने लगती है, पुण्य कर्म ही कवच बनकर रक्षा करते हैं |
ऐसे वातावरण में रहकर हमें स्वयं को शान्त रखना है |
इसका एक ही तरीका है ---- नियमित सत्कर्म करें, निष्काम भाव से सत्कर्म करने से मन निर्मल होता है, सद्बुद्धि आती है, नशा, मांस आदि में अरुचि होने लगती है, पुण्य कर्म ही कवच बनकर रक्षा करते हैं |
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