नशा , मांसाहार , निम्न स्तर का साहित्य और वैसी ही फिल्म देखने आदि अनेक कारणों से आज लोगों की मानसिकता प्रदूषित हो गई है और इस प्रदूषण ने बच्चे , युवा , प्रौढ़ , वृद्ध सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया है l इसी कारण समाज में अपराध में वृद्धि हुई है , दंड का भय न होने से पाशविकता और बढ़ती जाती है l
प्रत्येक व्यक्ति , प्रत्येक परिवार स्वयं अपना सुधार करे तभी सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा l
प्रत्येक व्यक्ति , प्रत्येक परिवार स्वयं अपना सुधार करे तभी सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा l
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