वातावरण की नकारात्मकता व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से अस्वस्थ कर देती है l इसके लिए सम्पूर्ण समाज जिम्मेदार है l विज्ञान ने यह स्वीकार कर लिया है कि हम जो कुछ बोलते हैं , हमारी आवाज वातावरण में रहती है , नष्ट नहीं होती l तब मनुष्य अपने स्वाद , अपनी खुशी और अपनी विकृत मानसिकता के कारण निरीह पशुओं , प्राणियों और अबोध बालिकाओं पर जो अत्याचार करता है , उनकी चीखें , आहें , उनके आंसू इसी वातावरण में रहते हैं l मनुष्य जो प्रकृति को देता है उसी का परिणाम उसे लाइलाज बीमारियाँ , मानसिक अशांति , प्राकृतिक प्रकोप आदि सामूहिक दंड के रूप में मिलता है l
अब समय आ गया है --- यह सारे संसार के प्रबुद्ध और विवेकशील लोगों को मिलकर तय करना है कि --- संसार को कैसा होना चाहिए --- युद्ध , अशांति , बीमारी , हत्या और अपराधों का या सुख - चैन और मानसिक शांति का संसार हो l
अब समय आ गया है --- यह सारे संसार के प्रबुद्ध और विवेकशील लोगों को मिलकर तय करना है कि --- संसार को कैसा होना चाहिए --- युद्ध , अशांति , बीमारी , हत्या और अपराधों का या सुख - चैन और मानसिक शांति का संसार हो l
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