मनुष्य अपनी दुर्गति के लिए स्वयं जिम्मेदार है l आज कर्मकांड तो बहुत हैं लेकिन लोगों को ईश्वर की सत्ता में विश्वास नहीं है l यही कारण है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने से थोड़े भी ताकतवर को अपना भाग्य विधाता मान कर उसकी गुलामी शुरू कर देता है l बेजान चीजों में लोग संसार के आश्चर्य देखने जाते हैं लेकिन संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य ---- वे जीते - जागते प्राणी हैं , जो हर तरह से संपन्न हैं , समाज में जिनकी अलग पहचान है , अनेकों को प्रभावित भी करते हैं , ईश्वर ने उन्हें सब कुछ दिया है लेकिन अपनी कमजोरियों के कारण वे मानसिक गुलाम हैं l
एक मजदूर जो दिन भर मजदूरी करता है , मेहनत से कमाता है और स्वाभिमान से जीवन जीता है लेकिन संपन्न और समर्थ व्यक्ति किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बन कर रहता है l आज सबसे बड़ी जरुरत है कि प्रत्येक व्यक्ति सद्बुद्धि की प्रार्थना करे क्योंकि ' यूज एंड थ्रो ' केवल बेजान चीजों पर लागू नहीं होता l
सद्बुद्धि होगी , तभी विवेक होगा l विवेकशील व्यक्ति ही स्वाभिमानी होगा l निरंतर सद्बुद्धि की प्रार्थना करने से युगों से जो गुलामी की आदत बनी हुई है , वह धीरे - धीरे जाएगी l और तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा l
एक मजदूर जो दिन भर मजदूरी करता है , मेहनत से कमाता है और स्वाभिमान से जीवन जीता है लेकिन संपन्न और समर्थ व्यक्ति किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बन कर रहता है l आज सबसे बड़ी जरुरत है कि प्रत्येक व्यक्ति सद्बुद्धि की प्रार्थना करे क्योंकि ' यूज एंड थ्रो ' केवल बेजान चीजों पर लागू नहीं होता l
सद्बुद्धि होगी , तभी विवेक होगा l विवेकशील व्यक्ति ही स्वाभिमानी होगा l निरंतर सद्बुद्धि की प्रार्थना करने से युगों से जो गुलामी की आदत बनी हुई है , वह धीरे - धीरे जाएगी l और तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण होगा l
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