आज मनुष्य पर लालच इस कदर हावी है कि उसने अपने स्वाभिमान को ताले में बंद कर दिया है
कुछ वर्षों पहले डाकू आते थे , लेकिन वे घोषणा करके आते थे कि अमुक डाकू का गिरोह आज इस स्थान पर डाका डालेगा, कई डाकू तो महिलाओं और बच्चों को हाथ भी नहीं लगाते थे और लूट के माल से गरीबों की, दीन-दुःखियों की मदद करते थे । लेकिन अब भ्रष्टाचार का कोई मापदंड नहीं, कोई पैमाना नहीं, जितना लूट सको लूटो, इसी की प्रतियोगिता है ।
जब मनुष्य अपने स्वाभाविक गुणों---- ईमानदारी, सच्चाई, स्वाभिमान कों छोड़ देता है तो वह भीतर से खोखला हो जाता है । वह समाज में स्वयं कों कितना ही अच्छा साबित करे, उसके कर्म ही उसे अशांत कर देते हैं ।
आज समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है---- जो गरीब है वह तो मेहनत-मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है, उसे तो मालूम नहीं कि भ्रष्टाचार क्या होता है, कैसे होता है ?
वह तो मजदूरी करके, नमक-रोटी खाकर भी चैन की नींद सोता है ।
जो जितना अमीर है, जितना अधिक कमाता है , वही भ्रष्टाचार में, दूसरों का हक छीनने में, गलत तरीकों से धन कमाने में परेशान है, चैन की नींद उसके भाग्य में नही , ऐसा व्यक्ति मन का दरिद्र होता है और यह मानसिक दरिद्रता ही उसके जीवन की सुख-शान्ति कों छीन लेती है ।
कुछ वर्षों पहले डाकू आते थे , लेकिन वे घोषणा करके आते थे कि अमुक डाकू का गिरोह आज इस स्थान पर डाका डालेगा, कई डाकू तो महिलाओं और बच्चों को हाथ भी नहीं लगाते थे और लूट के माल से गरीबों की, दीन-दुःखियों की मदद करते थे । लेकिन अब भ्रष्टाचार का कोई मापदंड नहीं, कोई पैमाना नहीं, जितना लूट सको लूटो, इसी की प्रतियोगिता है ।
जब मनुष्य अपने स्वाभाविक गुणों---- ईमानदारी, सच्चाई, स्वाभिमान कों छोड़ देता है तो वह भीतर से खोखला हो जाता है । वह समाज में स्वयं कों कितना ही अच्छा साबित करे, उसके कर्म ही उसे अशांत कर देते हैं ।
आज समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है---- जो गरीब है वह तो मेहनत-मजदूरी करके अपना व अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है, उसे तो मालूम नहीं कि भ्रष्टाचार क्या होता है, कैसे होता है ?
वह तो मजदूरी करके, नमक-रोटी खाकर भी चैन की नींद सोता है ।
जो जितना अमीर है, जितना अधिक कमाता है , वही भ्रष्टाचार में, दूसरों का हक छीनने में, गलत तरीकों से धन कमाने में परेशान है, चैन की नींद उसके भाग्य में नही , ऐसा व्यक्ति मन का दरिद्र होता है और यह मानसिक दरिद्रता ही उसके जीवन की सुख-शान्ति कों छीन लेती है ।
very true
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