जैसे पानी बड़ी तेजी से नीचे गिरता है , इसी तरह बुरा बनना बहुत सरल है l नासमझ व्यक्ति तात्कालिक लाभ देखता है इसलिए वह बुरी आदतों को बहुत जल्दी अपना लेता है l दुष्प्रवृत्तियां संक्रामक रोग की तरह बड़ी तेजी से फैलती हैं l दंड का भय न हो , संरक्षण देने वाले अनेक हों तब समाज में बड़े - बड़े अपराध होते हैं और पतन इतनी तेजी से होता है कि मनुष्य , पशु से भी बदतर राक्षस हो जाता है l पहले समय में डाकू अपराधी समाज से बाहर गिरोह बनाकर रहते थे l किसी परिवार में कोई गलत रास्ते पर चलता था , अपराधी हो तो ऐसे परिवार से मेलजोल रखना लोग अपनी शान के खिलाफ समझते थे l लेकिन ये बातें अब दिवास्वप्न हैं l अब अपराधी समाज में घुलमिल कर रहते हैं , उन्हें सम्मान भी मिलता है , मानो उन्होंने कोई किला जीता हो !
अच्छे लोग भी बहुत हैं , लेकिन अंधकार इतना सघन है कि उसने अच्छाई को ढक दिया है l
सद्भाव से , सद्विचारों के प्रचार - प्रसार से यह बुराई दूर होगी , यह असंभव है l जब बीमारी नस - नस में समा जाये , लाइलाज हो जाये तो उसका बड़ी गंभीरता से इलाज करना पड़ता है l
समाज को जागरूक होना होगा , वह धन - वैभव को नहीं सद्गुणों को सम्मान दे l अपने छोटे - छोटे स्वार्थ पूरे करने के लिए ' गुंडों ' का ' ' आका ' का सहारा न लें l
अच्छे लोग भी बहुत हैं , लेकिन अंधकार इतना सघन है कि उसने अच्छाई को ढक दिया है l
सद्भाव से , सद्विचारों के प्रचार - प्रसार से यह बुराई दूर होगी , यह असंभव है l जब बीमारी नस - नस में समा जाये , लाइलाज हो जाये तो उसका बड़ी गंभीरता से इलाज करना पड़ता है l
समाज को जागरूक होना होगा , वह धन - वैभव को नहीं सद्गुणों को सम्मान दे l अपने छोटे - छोटे स्वार्थ पूरे करने के लिए ' गुंडों ' का ' ' आका ' का सहारा न लें l
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