वर्षों पहले घर - परिवार में बच्चे - बड़े सभी धर्म ग्रंथो का अध्ययन किया करते थे जिससे उन्हें सद्गुणों का ज्ञान होता था और सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती थी लेकिन अब व्यक्ति इतना व्यस्त हो गया है कि उसने धर्म ग्रंथों का सत्साहित्य का अध्ययन करना ही छोड़ दिया है |
नैतिकता का अभाव होने के कारण ही इतनी अशान्ति है ।
किसी भी क्षेत्र का कोई भी कार्य हो , कल्याणकारी योजना हो , नैतिकता न होने से व्यक्ति उनका सदुपयोग नहीं करता । इसी तरह वैज्ञानिक अविष्कारों का प्रयोग भी दूसरों के शोषण के लिए ही करता है । इसलिए जरुरी है कि सभी आयु वर्ग के व्यक्तियों को , बच्चों से लेकर 80 वर्ष तक के वृद्धों को भी नैतिक शिक्षा दी जाये । तभी शान्ति संभव है ।
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