किसी भी समाज में अन्याय , अत्याचार , शोषण , उत्पीड़न इसलिए बढ़ता है क्योंकि लोग उसे चुपचाप सहन करते हैं l एक गरीब , मजबूर या स्वयं ही अपनी मुसीबतों में फँसा हुआ व्यक्ति ऐसे अत्याचार के विरुद्ध खड़ा न हो पाए , यह एक अलग बात है लेकिन बहुसंख्यक ऐसे हैं जो अति का लालच , महत्वाकांक्षा और स्वार्थ के कारण अत्याचारियों का साथ देते हैं , अन्याय होता हुआ देखते हैं और चुप रहते हैं l अनेक समर्थ व्यक्ति जो अन्याय को रोक सकते हैं , वे सिर्फ इसलिए चुप रहते हैं ताकि उनकी ' दुकान ' चलती रहे l सोचते हैं -- ' हमें क्या करना , जो हो सो हो ' l ऐसे असंवेदनशील लोगों की वजह से छोटे - छोटे नेता , जो बड़े नेताओं के संरक्षण में पल रहे हैं , वे भी अत्याचार , अन्याय करने लगते हैं l
शिकायत करें भी तो किससे करें ? इसका एक ही हल है --- निर्भय होकर जियें , जब तक जीना है शान से जिएं l इसमें एक बात ध्यान रखनी होगी कि हम किसी का अहित न करें l केवल ईश्वर से डरें, कोई गलत काम न करें l तभी स्वाभिमान से , निर्भय होकर जी सकते हैं l
शिकायत करें भी तो किससे करें ? इसका एक ही हल है --- निर्भय होकर जियें , जब तक जीना है शान से जिएं l इसमें एक बात ध्यान रखनी होगी कि हम किसी का अहित न करें l केवल ईश्वर से डरें, कोई गलत काम न करें l तभी स्वाभिमान से , निर्भय होकर जी सकते हैं l
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