संवेदनहीन होने के कारण ही मनुष्य के भीतर छुपा दानव जाग्रत हो जाता है और भ्रूण हत्या , दुष्कर्म , हत्या जैसी अमानवीय घटनाएँ होती हैं l पुरुष का अहंकार , उसकी निर्दयता , क्रूरता तो नारी उत्पीड़न का बहुत बड़ा कारण है लेकिन ईर्ष्या, द्वेष , लालच , वासना आदि अनेक मानवीय कमजोरियों के कारण अनेक महिलाएं ही किसी अन्य महिला को उत्पीड़ित करने में पुरुषों का सहयोग करती हैं और वर्चस्व के लिए स्वयं भी दूसरी महिला को उत्पीड़ित करती हैं जैसे दहेज आदि अनेक कारणों से परिवार में ही नारी के प्रति हिंसा होती है , उसे सताया जाता है l
हमारी सोच सकारात्मक हो , नारी और पुरुष दोनों ही एक - दूसरे के महत्व को समझें , अपने ह्रदय में सद्गुणों को स्थान दें , तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है l
हमारी सोच सकारात्मक हो , नारी और पुरुष दोनों ही एक - दूसरे के महत्व को समझें , अपने ह्रदय में सद्गुणों को स्थान दें , तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है l
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