Saturday 30 March 2019

विचार श्रेष्ठ और सकारात्मक हों

  कहते  हैं  --विचार  कभी  नष्ट  नहीं  होते  ,  एक  बंद  कमरे में  ,  एक  गुफा  में  बैठ  कर  भी  आप  विचार  करेंगे  तो  वे  संसार  में  फैल  जायेंगे  और  अपना  प्रभाव  दिखायेंगे  l    मजदूरों  की  दीन-  हीन   दशा  को   सुधारने   के    लिए , शोषण  से  मुक्ति  के  लिए    कार्ल  मार्क्स  ने  क्रांतिकारी  विचार  प्रस्तुत  किये  ,  इससे  पूंजीपति  भयभीत  हो  गए  ,  उन  पर  तरह - तरह   से  प्रतिबन्ध  लगाये  गए  ,  देश - निकला  भी  दिया  गया   l  लेकिन  उनके  विचार  सारे  संसार  में  फैल  गए   और  उनका  प्रभाव   समाज  में , संसार  में  देखा  जा  सकता  है  l
  आज  समाज  में  जो  अत्याचार  और  अन्याय  बढ़  रहा  है  ,  वीरता  समाप्त  हुई  है  कायरता  बढ़ी  है   l किसी  भी  अपराध  के  पीछे  वास्तविक  अपराधी  कौन  है  ?  यह  जानना  भी  कठिन  हो  गया  है  l   ऐसे  समय  में  यदि   हमारी  कल्पनाएँ ,  हमारे  विचार   श्रेष्ठ  और  सकारात्मक  हों   l  विचार  के  साथ  आचरण  भी  श्रेष्ठ  हो   तो  सुधार  संभव  है   l   

Friday 29 March 2019

धन और पद के लालच से मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है

 जब  व्यक्ति  का  लोभ  व  लालच   मर्यादा  की  सीमा  रेखा  पार  कर  जाता है   तब  ऐसा  व्यक्ति  कायर  व  संवेदनहीन  हो  जाता  है   और  अपने  साथ  ऐसे  कायर व  संवेदनहीन  लोगों  की  भीड़  इकट्ठी  कर  लेता  है   और  इनके  पास सिर्फ  एक  ही  काम  होता  है   कि  हर  उचित - अनुचित  तरीके  से   योग्य  व्यक्ति  को  आगे  मत  आने  दो ,  अन्यथा  उनकी   अयोग्यता   का  पर्दाफाश  हो  जायेगा  l  गलत  तरीके  से  जो  साजो - सामान ,  वैभव  इकट्ठा  किया  है , उन्हें    उसका  भय  सताता  है  l  इस कारण  ऐसे  कायर  व्यक्ति  अपनी  योग्यता  नहीं  बढ़ाते ,   अपनी  सारी  शक्ति  योग्य  व  कुशल  व्यक्ति  को  पीछे  धकेलने  में  लगा  देते  हैं  l
  अँधेरा  कितना  भी  घना  हो ,  आखिर  सूर्योदय  तो  होता  ही  है  l
  गुलामी  के  दिनों  में  अंग्रेजों  ने   भारतीयों  को  बहुत  दीन- हीन  व  कमजोर  समझा ,  बहुत  अत्याचार  किये   l  उन  विपरीत  परिस्थितियों  में  भी  अनेक  महान  व्यक्ति  हुए  जिनके  प्रयासों  से  देश  को  आजादी  मिली  l  बुद्धिमानी  इसी  में  है   कि  दूसरों  को  धक्का  देकर  आगे  बढ़ने  के   बजाय  अपनी  योग्यता   बढ़ाओ  l 

Thursday 21 March 2019

अनजाने भय के कारण व्यक्ति सत्य से दूर हो जाता है

  मनुष्य  अपनी  दुर्गति  के  लिए  स्वयं  जिम्मेदार  है  l  आज  कर्मकांड  तो  बहुत  हैं  लेकिन  लोगों  को  ईश्वर  की  सत्ता  में  विश्वास  नहीं  है  l   यही  कारण  है  कि  प्रत्येक  व्यक्ति   अपने  से  थोड़े  भी  ताकतवर  को  अपना  भाग्य विधाता  मान  कर  उसकी  गुलामी  शुरू  कर  देता  है   l   बेजान  चीजों  में  लोग  संसार  के  आश्चर्य  देखने   जाते  हैं   लेकिन  संसार  का  सबसे  बड़ा  आश्चर्य ---- वे  जीते - जागते  प्राणी  हैं  ,  जो  हर  तरह  से  संपन्न  हैं  ,  समाज   में  जिनकी  अलग  पहचान  है  ,  अनेकों  को  प्रभावित  भी  करते  हैं ,  ईश्वर  ने  उन्हें  सब  कुछ  दिया  है   लेकिन  अपनी  कमजोरियों  के  कारण  वे  मानसिक  गुलाम  हैं  l 
  एक  मजदूर  जो  दिन  भर  मजदूरी  करता  है ,   मेहनत    से  कमाता  है  और  स्वाभिमान  से   जीवन  जीता  है   लेकिन  संपन्न  और  समर्थ  व्यक्ति   किसी  न  किसी  के  हाथ  की  कठपुतली  बन  कर  रहता  है   l   आज  सबसे बड़ी  जरुरत  है  कि  प्रत्येक  व्यक्ति  सद्बुद्धि  की  प्रार्थना  करे   क्योंकि  ' यूज  एंड  थ्रो '    केवल  बेजान  चीजों  पर  लागू  नहीं  होता  l
   सद्बुद्धि  होगी ,  तभी  विवेक  होगा   l  विवेकशील  व्यक्ति  ही  स्वाभिमानी  होगा  l  निरंतर   सद्बुद्धि  की  प्रार्थना   करने  से   युगों  से  जो  गुलामी  की  आदत  बनी  हुई  है ,  वह  धीरे - धीरे  जाएगी  l  और  तभी  एक  स्वस्थ  समाज  का  निर्माण  होगा   l   

Wednesday 20 March 2019

स्वविवेक जरुरी है

   व्यक्ति  कितना  भी  पढ़ - लिख  जाये ,  उच्च  पद  पर  पहुँच  जाये   , लेकिन  यदि  वह  स्वविवेक  से  काम  नहीं  लेता   तो  उसकी  शिक्षा  व्यर्थ  है  l   अधिकांश  लोग  कान  के  कच्चे  होते  हैं  ,  बिना  देखे ,  बिना  सोचे - समझे  दूसरों  की  बात  का  विश्वास  कर  लेते  हैं  l   अधिकांश  लोग  धन  का  लालच ,  अपनी  असीमित  कामना , वासना  के  कारण  अपना  जीवन  कठपुतली  बन  कर  ही  गुजार  देते  हैं   l  समाज  में  जाति,   धर्म  आदि  को  लेकर  झगड़े, दंगे   मनुष्य  की  इसी  कमजोरी  के  कारण  होते  हैं  l 
 अधिकांश  संस्थाओं  में   अधिकारियों  से मन - मुटाव ,  विभागीय झगड़े  इसी  कारण    उत्पन्न  होते हैं   l  एक  पक्ष   , दूसरे  पक्ष  से    उन  गलतियों  की  वजह  से   चिढ़ा  हुआ  है ,  जो   दूसरे  पक्ष  ने  कभी  की  ही  नहीं  l  स्वविवेक  न  होने  के  कारण  ही  आज  मनुष्य  ' बिकाऊ '  है  l   गरीबी , भुखमरी , दिवालिया  आदि  कारणों  से   कोई  व्यक्ति   अपना  घर - परिवार  बेच  दे ,  स्वयं  को  भी  बेच  दे  ,  तो  यह  उसकी  मज़बूरी  है   लेकिन   हर  तरह  से  संपन्न  लोग जब   अपना  स्वाभिमान  गिरवी  रखकर  , किसी  के  हाथ  की कठपुतली  बन  जाते  हैं  ,  मानसिक  गुलाम  बन  जाते  हैं   और  ऐसा  कर  के  बहुत  खुश  भी  होते  हैं ---- तो  यह  उनकी  दुर्बुद्धि  है  l
  आज  की  सबसे बड़ी  जरुरत  है  कि  बच्चों  को  शिक्षा  के  साथ  स्वाभिमान  से  जीना  सिखाया  जाये  l  भौतिक  प्रगति  ही  विकास का  मानदंड  नहीं  है  l  परिवार   और  देश  का  उत्थान   उसके  सदस्यों  के  श्रेष्ठ  चरित्र  से  होता  है   l