Thursday 28 December 2017

सुख - शान्ति के लिए जीवन में सामूहिक संवेदनशीलता और सहयोग अनिवार्य है

   पारिवारिक  जीवन  हो  या  सामाजिक  जीवन   जब  तक  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  और  परस्पर  सहयोग  का  भाव  नहीं  होगा  तब  तक  सुख - शान्ति  संभव  नहीं  है  l   परिवार  इसीलिए  टूटते  हैं  कि  कहीं   पुरुष  निर्दयी  और  स्वार्थी  है ,  तो  कहीं  नारी  कर्कश  स्वभाव   की    है  l   संवेदना  और  त्याग  का  अभाव  है   l    कहीं  तलाक  दे कर  एक - दूसरे  को  और  बच्चों  को  उत्पीड़ित  करते  हैं  तो  कहीं   साथ  रहकर    निरंतर  क्रोध , लड़ाई - झगड़ा,  उपेक्षा  ,  कलह  आदि   से  पारिवारिक  जीवन  को  जहरीला  बना  देते  हैं  l  परिवार  से  मिलकर  ही  समाज  बना  है   l   हम  सब  एक  माला  के  मोती  हैं  l   इस  धरती  पर  सब  को  जीने  का  हक  है   और  हम  सब ---  मनुष्य ,  पेड़ - पौधे ,  जीव - जंतु  ,  जल , पहाड़ -----  सब  परस्पर  निर्भर  हैं   l   जब  हम  एक - दूसरे  के   महत्व   को  समझेंगे   तभी  सुख - शान्ति  संभव  है   l  

Monday 25 December 2017

अशांति का कारण है --- दूसरे को गुलाम बनाने की मानसिकता

  जो  सद्गुण  संपन्न  हैं    वे  सबके  साथ  बहुत  नम्रता  का  व्यवहार  करते  हैं  ,  किसी  को  कष्ट  नहीं  देते  l  ऐसे  लोग  आज  बहुत  कम  व  बिखरे  हुए  हैं  l  आज  ऐसे  लोगों  की  भरमार  है  जिन्होंने  अनैतिक  तरीके  से  बहुत  धन   कमा  लिया  , शक्ति  , पद  हासिल  कर  लिया   l  लेकिन  इच्छाएं  ख़त्म  नहीं  हुईं  l  ऐसे  व्यक्ति  हर  किसी  से  कोई  न  कोई  फायदा  उठाना  चाहते  हैं  ,  अपने  स्वार्थ  के  लिए  दूसरे  को  इस्तेमाल  करना  चाहते  हैं  l  उनकी    यह   मंशा  पूरी  न  हो  पाए  तो  फिर  उसके  विरुद्ध  षडयंत्र  रचेंगे ,  उपेक्षा  करेंगे  ,  उनके  विरुद्ध  लोगों  के  मन  में  जहर  भरेंगे  ,  उसको  नीचा  दिखाने  का ,  उसकी  प्रतिष्ठा  धूमिल  करने  का  हर  संभव  प्रयास  करेंगे   l
  सबसे  बड़ी  दुर्बुद्धि  यही  है  कि   अँधेरा  अपने  अस्तित्व  को  बनाये  रखने  के  लिए   प्रकाश   को   अन्दर  आने  ही  नहीं  देता   l  जरुरी  है  धैर्य  और  संगठित प्रयास  की  l 

समाज में अशांति का कारण व्यक्ति का अहंकार है

 प्रशंसा  की  चाहत  सबको  होती  है    लेकिन  यह  चाहत  भी  एक  बीमारी  तब  बन  जाती  है   जब  व्यक्ति   का  अहंकार  इस  सीमा  तक  बढ़  जाता  है  कि   वह  सोचने  लगता  है  कि  केवल  उसी  की  तारीफ  हो ,  अन्य   किसी  की  नहीं  l    ऐसे  व्यक्ति  को  यदि  यह  पता  लग  जाये  कि   अमुक  व्यक्ति  की  कई  लोग  तारीफ  करते  हैं   तब  वह  अपनी  अधिकांश   ऊर्जा  उन  लोगों  के  मुँह  बंद  कराने  में  लगा  देता  है   जिससे  अमुक  व्यक्ति  की  कोई  प्रशंसा  न  करे   और  इसके  साथ  ही  उसका  यह  भी  प्रयास  होता  है  कि    ऐसे  दोष - दुर्गुण  जो  अमुक  व्यक्ति  में  हैं  ही  नहीं  ,  लोगों  को  बताकर  उसकी  इमेज  खराब  की  जाये   l   इसलिए   हमें  निन्दा - प्रशंसा ,  मान - सम्मान  के  प्रति  तटस्थ  रहना  चाहिए   और  केवल  एक  बात  याद  रखनी  चाहिए  कि  ईश्वर  का  प्रत्येक  विधान  मंगलमय  है   l 

Tuesday 19 December 2017

समाज में सुख - शांति तभी होगी जब लोग परिश्रम से जीना सीखेंगे

  परिश्रम  भी  ईमानदारी  और  सच्चाई  से  होना  चाहिए   l  चोरी  करना , सेंध लगाना , भ्रष्टाचार ,  दूसरों  का   हक  छीनना  परिश्रम  नहीं  है  l  कोई  भी  राष्ट्र  तभी  आगे  बढ़  सकता  है   जब  उसके  नागरिक  कर्मयोगी  हों  l  मेहनत , परिश्रम  और  ईमानदारी  से  जीवन  जीने  वाले  हों  l  यदि  किसी  समाज  में  ऐसे  लोगों  की  भरमार  है   जो  शासन  से  या  विभिन्न  संस्थाओं  से  मिलने  वाली  सुविधाओं  के  बल  पर  आलसी  जीवन  जीते  हैं   तो   संकट  के  समय  ऐसे  आलसी  अपनी  ही  सुरक्षा  नहीं  कर  सकेंगे  तो  देश और  समाज  के  लिए  क्या  कर  पाएंगे  l  आज  की  सबसे  बड़ी  जरुरत  है  कि  लोग  आत्मनिर्भर  हों  l  इस  भौतिकवादी  युग  में   जब   लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  सूख  गई  है ,   स्वार्थ  अपनी  चरम  सीमा  पर  है  , लोग  अपने  चेहरे  पर  शराफत  का  नकाब  ओढें  हैं    तब  जागरूक  रहने  की  बहुत  जरुरत  है  l  जागरूकता  के  अभाव  में  कुटिल  लोग  अपना  स्वार्थ सिद्ध  करते  रहेंगे  l      

Friday 15 December 2017

सभी समस्याओं का एक हल ----- आत्मविश्वास

   आज  के  समय  में  अधिकांश  लोग  तनाव  से  पीड़ित  हैं  l  छोटी  सी  भी  समस्या  आने  से  भी  तनाव  से  पीड़ित  हो  जाते  हैं  l  इसका  प्रमुख   कारण  है ---- आत्मविश्वास  की  कमी  l  यदि  हमारे  भीतर  धैर्य  और  ईश्वर विश्वास  जैसे  गुण  हों  तो  कभी  तनाव  न  आये  l  ईश्वर  विश्वास  का  अर्थ  है -- हमारे  जीवन  की  दिशा  सही  हो ,  हमारी  भावनाएं  परिष्कृत  हो  l  ईश्वर  विश्वास  ही  आत्मविश्वास  है  l  ऐसा  व्यक्ति   प्रत्येक  कार्य  को  ईश्वर  की  पूजा  समझकर  करता  है  l  उसे  अपने  ह्रदय  में  यह  विश्वास  होता  है  कि  ईश्वर  जो  करते  हैं  वह  अच्छा  करते  हैं  ,  इसलिए  वह  समस्याओं  से  भागता  नहीं , सकारात्मक  तरीके  से  उनका  सामना  करता  है   और   अपने  मन  में  कभी  निराशा  को  नहीं  आने  देता  l    आज  के  समय  में  समस्याएं  इतनी  विकट   इसलिए  हो  गईं  हैं    क्योंकि    बिना  किसी  योग्यता  के ,  बिना  सही  दिशा  में  परिश्रम  के ,     लोग  दूसरे  को  धक्का  देकर  आगे  बढ़ना  चाहते  हैं  और  इसके  लिए  वे  तरह - तरह  के  हथकंडे  अपनाकर    अपने  प्रतिस्पर्धी  का  मनोबल   गिराने  का  प्रयास  करते  हैं  ताकि  वह  रास्ते  से  हट  जाये  l   ऐसी  स्थिति  में  ईश्वर विश्वास  ही  हमारी मदद  करता  है  और  हमें  तनाव  से  बचाता  है  l  

Friday 8 December 2017

सुख - शांति से जीने के लिए विवेक जरुरी है

 आज  के  समय  में  व्यक्ति  की  सही  पहचान   बहुत  कठिन  हो  गई  है   l  सामान्य  रूप  से  देखने  में  लगता  है  कि  उच्च  पदों  पर  बैठे  व्यक्ति ,  बड़े - बड़े  घरों  में  रहने  वाले  , समाज  सेवा  करने  वाले  ,  अच्छी  बात  करने  वाले  व्यक्ति  बहुत  सज्जन  होंगे  l  उनके  पीछे  छिपी  कालिमा  को  सामान्य  व्यक्ति  नहीं  जान  पाता  l   इसलिए  हमें  अपना  कार्य - व्यवहार  बहुत  संतुलित  रखना  चाहिए ,  प्रत्येक  कदम  बहुत  सोच - समझ  कर  उठाना  चाहिए   l 
    ऐसे  लोग  जो  अनैतिक  और  अमर्यादित   और  अवैध   कार्य  करते  हैं   उनकी  स्थिति  स्पष्ट  है  कि  वे  विवेकहीन  हैं  तभी  गलत  धन्धों  में  लगे  हैं  l  ऐसे  गलत   और  अनैतिक  कार्यों  में  पैसा  बहुत  है   इसलिए  ऐसे  लोग  बहुत   धनवान  और  अहंकारी  हो  जाते  हैं  l  विवेकहीनता  के  साथ  अहंकार  जुड़  जाता  है  फिर  दंड  का  भय  भी   नहीं  है  इसलिए  ऐसे  लोगों  से  हमेशा  दूर  रहना  चाहिए  ,  उनकी  छाया  से  भी  बचना  चाहिए  l   ऐसे  लोग  किसी  भी  स्तर  तक  गिर  सकते  हैं  ,  एक  सामान्य  व्यक्ति  इस  गिरावट  की  कल्पना  भी  नहीं  कर  सकता  l 
  आज समाज  में  नशा ,  मांसाहार ,  अश्लील  साहित्य , फिल्म  आदि  की  भरमार  है  l  समाज  का  एक  बहुत  बड़ा  भाग  इनमे  उलझ  चुका  है  इसलिए  ये  अनैतिक  धन्धे   बहुत  बड़े  पैमाने  पर  हो  गए  हैं  |  जिन्हें  धन   का  लालच  है  ,  विलासी  जीवन  जीना  है  वे  इन  धन्धों  को  कभी  बंद  नहीं  करेंगे  l  आज  जरुरत  है -- जनता  में  जागरूकता  की  l  यदि  लोगों  में  चेतना  जाग्रत  हो  जाये   कि  नशा ,  मांसाहार ,  अश्लीलता  से  उनका  स्वास्थ्य  ,  उनका  परिवार  ,  उनका  जीवन  बरबाद  हो  रहा  है   और  इनका   व्यापार  करने  वाले   ऊँचे  महलों  में  रहते  हैं ,  बड़ी  गाड़ियों  में  घूमते  हैं  l  यदि  यह  समझ  आ  जाये  कि  अपना  शरीर  सुखाकर  ,  गलाकर   ये  लोग  ही   इन  व्यापार  में  लगे  लोगों  को  अमीर  बना  रहे  है  ,  उस  दिन  ये  धंधे   अपने  आप  ही  बंद  हो  जायेंगे   l   लोगों  की  चेतना  जाग्रत  होना   बहुत  जरुरी  है  l