एक समय था जब इस धरती पर कंस , जरासंध जैसे लोग थे l कंस को जब पता चला कि उसको मारने वाला गोकुल में पैदा हो गया है , तब वह उस वक्त में जन्मे नवजात बच्चों को मृत्यु के मुख में पहुँचाने लगा l यदि सद्प्रवृतियों का प्रचार - प्रसार न हो तो ईर्ष्या- द्वेष ,लोभ - लालच , कामना - वासना , अहंकार आदि दुष्प्रवृत्तियां मनुष्य पर बुरी तरह हावी हो जाती हैं l इन सबके ऊपर उस पर भय का भूत सवार हो जाता है , वह जिस भी स्थिति में है , उसे उसके खोने का भय होता है , यहाँ तक कि वह मासूम बच्चों से भी भयभीत होता है l छोटे बच्चों पर क्रूरता कर के वे सब बच्चों को ही भयभीत करना चाहते हैं , जिससे बचपन से ही उनका आत्मविश्वास कम हो जाये वे बड़े होकर अत्याचार , अन्याय के विरुद्ध खड़े न हो पायें l
अब कृष्ण के जन्म का इन्त्जार नहीं करना होगा l माता - पिता जागरूक बने , अपनी सुख - सुविधा छोड़कर बच्चों की परवरिश करें l अपने भोग - विलास कम कर के लोक - कल्याण के कार्य करें , नि:स्वार्थ भाव से पुण्य कार्य करें l ये पुण्य कार्य ही विपत्तियों से बचाते हैं l
अब कृष्ण के जन्म का इन्त्जार नहीं करना होगा l माता - पिता जागरूक बने , अपनी सुख - सुविधा छोड़कर बच्चों की परवरिश करें l अपने भोग - विलास कम कर के लोक - कल्याण के कार्य करें , नि:स्वार्थ भाव से पुण्य कार्य करें l ये पुण्य कार्य ही विपत्तियों से बचाते हैं l