हम कितना भी योग, आसन, प्राणायाम कर लें, जिम जाएँ, मैराथन में हों, जब तक हम अपना द्रष्टिकोण परिष्कृत नहीं करेंगे, सही दिशा में सोचेंगे नहीं, हमें शांति नहीं मिल सकती |
मनुष्य की यह बहुत बड़ी कमजोरी है कि वह सबसे अपनी प्रशंसा, अपनी तारीफ सुनना चाहता है । हम सुंदर हैं, अच्छे गायक हैं, कुशल चित्रकार हैं, सजीव एक्टिंग करते हैं, बड़े नेता हैं, कलाकार हैं---- हम में कोंई भी गुण है तो हम समाज से सम्मान चाहते हैं, हम चाहते हैं कि सब हमारे काम की सराहना करें, हमें महत्व दें , जब ऐसा नहीं होता तो मन में बहुत निराशा आ जाती है, कितने ही ऐसे उदाहरण हैं कि उपेक्षा और तिरस्कार से, योग्यता को सम्मान न मिलने से लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं |
एक सबसे बड़ी बात आप अपने मन में बैठा लीजिए कि---- मनुष्य बहुत स्वार्थी और स्वकेंद्रित होता है, आपकी कोई असफलता या कोई बुराई है उसे सब लोग एक दूसरे से जोर-शोर से कहेंगे, लेकिन आपकी कोई बड़ी उपलब्धि है, कोई विशेष गुण है,, उसकी चर्चा कोई नही करेगा, कोई महत्व नही देगा, यही संसार है, यह सच हर व्यक्ति समझ ले इसी में भलाई है ।
यदि आप में कोई योग्यता है, अच्छाई है उससे आपका व्यक्तित्व विकसित होंगा, आप भीड़ में अलग चमकेंगे, किसी से सम्मान और प्रशंसा की आशा में अपनी प्रतिभा पर निराशा का ग्रहण न लगने दें ।
ईश्वर पर विश्वास रखें, जो वास्तव में प्रतिभावान हैं, देर-सबेर, उनके जीवन में या जीवन के बाद उनका उचित मूल्यांकन होकर रहेगा ।