Sunday 29 July 2018

मनोबल की कमी से अत्याचार और अन्याय बढ़ता है

    यदि  कुछ  लोगों  के  विचार  व  द्रष्टिकोण  में  परिवर्तन  हो  जाये  , वे  अनीति  , अत्याचार  से  घ्रणा  करें  , उसे  मानवता  के   लिए  कलंक  माने   तो  भी  उससे  समस्या  का  हल  नहीं  होता  l  समाज  में  सुख - शांति   और  अमानवीय  तथा  जघन्य  अपराधों  की  रोकथाम  तभी  होगी   जब  सम्पूर्ण  जन - समूह ,  सारी  प्रकृति  अत्याचार  और  अनीति  को  त्याज्य  समझे   और   अत्याचारी , अन्यायी  का  सहयोगी बनने  की  अपेक्षा    कष्ट  और   अकेलापन  सहने  को  तैयार  रहे  l 
  अत्याचारी  हमेशा  बड़े  समूह  में  मजबूती  से  बंधे  होते  हैं  ,  इसलिए  जब  कोई  उनका  विरोध  करता  है ,  उनके  साथ  सहयोग  नहीं  करता  है   तब  वे  ओछे  हथकंडे  अपनाकर  उस  पर  हर  तरीके  से  आक्रमण  कर  उसके  मनोबल  को    गिराना    चाहते  हैं   l  कमजोर  मनोबल  के  व्यक्ति   भय  के   कारण,  लोभ - लालच  के  कारण  या  स्वयं  अपनी  कमजोरियों  के  कारण अत्याचारी  का  विरोध  नहीं  करते    बल्कि  उनको  छिपे  तौर  से  सहयोग  करते  हैं   इससे  अत्याचारियों  के  हौसले  और  बुलंद  हो  जाते  हैं   l 
 अच्छे  व  संवेदनशील  लोगों  को  भी  मजबूती  से  संगठित  होना  पड़ेगा   l    भले  ही  हम   अन्य  व्यक्तियों  की  भावनाओं  को  स्वीकार  करने  को  तैयार  न  हों  ,  तो  भी  हमें   अन्य   व्यक्तियों    के  द्रष्टिकोण  को  समझने  और   तथ्यों  को  दूसरे  व्यक्ति   के  द्रष्टिकोण  से   देखने     के  श्रम  से  बचना  नहीं  चाहिए   l   इस  धरती  पर  जीने  का  और  पनपने  का  हक  सबको  है   l  एक - दूसरे  के  सहयोग  और  सहायता  से  ही  संसार  में  सुख - शांति  संभव  है   l   

Saturday 28 July 2018

स्वयं को ऊँचा उठाने का प्रयास करें

  कोई  भी  देश  व  समाज  तभी  तरक्की  करता  है   जब  उसमे  रहने  वाले  लोग  स्वयं  को  आर्थिक  और    भावनात्मक  दोनों    क्षेत्र  में  ऊँचा  उठाने  का ,  श्रेष्ठ  बनने  का  प्रयास  करें   l  आज  के  समय  में  ऐसे  लोगों  की  अधिकता  है   जो  अपनी  अधिकांश  ऊर्जा  इस  बात  में  खर्च  करते  हैं  कि  सामने  वाला  व्यक्ति  आगे  न  बढ़  पाए ,  उसकी   तरक्की  में  बाधा  डालने  के  लिए  वे  हर  उचित - अनुचित  तरीके  इस्तेमाल  करते  है   l  इससे  खींचतान  की  स्थिति  बनी  रहती  है   और  समाज  भी  उनकी  प्रतिभा  और  योग्यता  के  लाभ  से  वंचित  रह  जाता  है   l  सुख - शांति  के  साथ   विकास  तभी  होगा  जब  लोग  ' जियो  और  जीने  दो '  के  सिद्धांत  पर  चलेंगे   l  

Tuesday 24 July 2018

सकारात्मक शिक्षा और रोजगार से ही अपराधों पर रोकथाम संभव है

   सही  शिक्षा  न  होने  से  विवेक  नहीं   जागता   और  बेरोजगारी   परिवार  के  पोषण  और  भूख  की  समस्या  उत्पन्न  करती  है   l  दुष्ट  शक्तियां  तो   हमेशा  इसी  फिराक  में  रहती  हैं  कि  किसकी  कमजोरी  का  फायदा  उठाया  जाये  और  अपना  संगठन  बढ़ाया  जाये   l    विवेकहीन  व्यक्ति    भेड़चाल  चलता  है  ,  उसे  यह  ज्ञान  भी  नहीं  होता  कि  उसे  हांकने  वाला  कौन  है   l  बस  ! पैसा मिल  जाये ,  हर  तरह  के  कार्य  करने  की  छूट  मिल  जाये  तो   वह  मानसिक  गुलाम  हो  जाता  है  ,  इशारे  पर  काम  करता  है   l    

Sunday 22 July 2018

दोषारोपण न करें

  किसी  भी  स्थिति  में  सुधार  इसलिए  नहीं  हो  पाता    क्योंकि  व्यक्ति  अपनी  गलती  को  स्वीकारने  और  उसे  सुधारने  के  बजाय  उसके  लिए  दूसरों  को  दोषी  ठहराता  है  l  इसका  परिणाम  यह  होता  है    कि  जिसने  गलती  की  है  वह  कभी  सुधरता    नहीं  है  क्योंकि  उसने  इसके  लिए   दूसरे    को  जिम्मेदार  ठहरा  दिया   l  यह  स्थिति  राजनीति  हो  या  समाज   सभी  जगह  देखने  को  मिलती  है  l   इस  कारण ठहराव  आ  जाता  है   l  जब  गलतियाँ  स्वीकार  नहीं  करना ,  सुधरना  नहीं   तो  व्यक्तित्व  का  विकास  तो  रुक  ही  जाता  है   l   आज  ऐसे  ही  लोगों  की  अधिकता  है  ,  इसका  सारे  समाज  पर  नकारात्मक  प्रभाव  पड़ता  है  l   शुरू  से  ही  विदेशी  सरकार  और  विदेशी  जातियों  को  दोष  देते  रहे  ,  कभी  अपने  गिरेबान  में  झांककर  नहीं  देखा ---- धर्म  के  नाम  पर ,  जाति  के  नाम    पर  युगों  से कितना  अत्याचार  किया   और    महिलाओं  व  बच्चियों  पर  जो  अमानवीय  अत्याचार  किया  जाता  है  ,  उसकी  खबर  तो  पूरी  दुनिया  को  है  l
  एक   समाज  वर्तमान  में    जैसा  व्यवहार  करता  है  ,  वही  उसका  इतिहास  बन  जाता  है   l  यदि   उत्पीड़न  और  अत्याचार  ज्यादा  है   तो  ऐसे  कलंकित  करने  वाले  शब्द  इस   युग  की  पहचान  बन  जायेंगे   l 
  अब  भी  वक्त  है    अपनी  गलतियों  को  सुधारकर  एक  नए  समाज  का  निर्माण  करें   l  

Friday 20 July 2018

नकारात्मक सोच व्यक्ति और समाज को आगे बढ़ने नहीं देती

जिनकी  सोच  नकारात्मक  होती  है   वे  हर  अच्छाई  में  बुराई  ढूंढते  हैं   l  जब  समाज  में  ऐसे  लोगों  की  अधिकता  हो  जाती  है   तो  वे   बुराई  को  ही  स्थापित  करते  हैं  l  ऐसे  लोगों  का  यथा संभव  प्रयास  यही  होता  है  कि  अच्छाई  को  उपेक्षित  किया  जाये ,  उसे  आगे  न  बढ़ने  दिया  जाये   l   इस   तरह  वे  लोग   बुराई  को  ही  प्रतिष्ठित  करना  चाहते  हैं  l  ऐसी  स्थिति  में  विकास  रुक  जाता  है  l 

Thursday 19 July 2018

आज की सबसे बड़ी जरुरत है --- जिनके पास ज्ञान और शक्ति है उनकी चेतना को जगाया जाये

  बहुत  लम्बे  समय  से   यह  देखा  जा  रहा  है  कि  लोग   समाज  को   सुधारने  के  लिए   सामान्य  जनता  को  जगाने  का  प्रयास  करते  हैं  ,  जो   समर्थ  हैं  और  अपने  ज्ञान  और  शक्ति  का  दुरूपयोग  कर  रहे  हैं  ,  उनकी  सुप्त  चेतना  को  जगाने  का  प्रयास  नहीं  किया   जाता   l    समर्थ  लोगों  को  इस  बात  का  एहसास  होना  चाहिए  कि  समाज  को  गलत  दिशा  देकर ,  लोगों  की  मज़बूरी  का ,  उनकी  सरलता  का  फायदा  उठाकर    वे  अपना  जो  स्वार्थ सिद्ध  करते  हैं   उसे  प्रकृति  क्षमा  नहीं  करती  l  उसका  परिणाम  उनके  जीवन  में  भीषण  तनाव ,  बीमारी ,  असहनीय  दुःख    आदि  घटनाओं  के  रूप  में  सामने  आता  है  l 
      जैसे    हम  देखते  हैं  कि  युगों  से  धर्म  के  ठेकेदार   सामान्य  जनता  को  गृह , नक्षत्र , दशा   आदि  का  भय  दिखाकर   लूटते  हैं  l  उनका  यह  कार्य  सही  है  या  गलत  इसका  निर्णय  प्रकृति  के  ,  ईश्वर  के  हाथ  में  है   l  सामान्य - जन  जिसके  सामने  परिवार  का  पोषण , गरीबी , बेरोजगारी  की    समस्या  है  जो  ध्यान ,  मन्त्र जप  आदि  साधना  नहीं  कर  सकता  , वह  भक्ति भाव  से   इस  प्रकार  के  कर्मकांड  कर  के  ईश्वर  को  प्रसन्न  करने  का  प्रयत्न  करता  है  l  उसके  ह्रदय  में  श्रद्धा भाव  होता  है ,  वह  इस  बात  को   नहीं  सोचता   कि  ग्रह  दशाओं  में  सुधार  का  झांसा  देकर  उसे   लूटा   जा   रहा  है   l
   समाज  में  एक  वर्ग  ऐसा  है  जो  संपन्न  है   उनके  लिए  कथा - आयोजन , जागरण ,  विभिन्न  धार्मिक  कर्मकांड   ईश्वर  को  याद  करने  के  माध्यम  से   समाज  में  व्यवहार  बनाना  और  अपने  वैभव  का  प्रदर्शन  है   l 
  समाज  का  एक  वर्ग  ऐसा  भी  है    जो   कथा  आदि  बड़े  स्तर  के   धार्मिक  कार्यक्रमों  से  खुश  होते  हैं  l  उन्हें  इस  बात  से  मतलब  नहीं  होता   कि  कथा - प्रवचन  में  क्या  कहा  गया  l  उनकी  ख़ुशी  इसमें  है  कि  उनके  ठेले  से  कितने  गुब्बारे  बिक  गए , किसी  की दुकान  की  कितनी  मिठाई ,  फूल माला  , पूजा  के  चित्र  आदि   बिके ,  झूले  वाले  को  कितनी  आमदनी  हो  गई  l  इस  वर्ग  की  ख़ुशी  इसमें  है  कि   इन  उत्सवों  में  उनके  परिवार  के  लिए  कितने  दिन  का  भोजन - पानी  का  प्रबंध  हो  गया   l 
समाज  का  एक  वर्ग  ऐसा  भी  है  जो  कहने  को  पढ़ा - लिखा  है  किन्तु  उसके  पास  सार्थक ,  सकारात्मक  शिक्षा  नहीं  है ,  बेरोजगार  है  l  ऐसे  में  वे  लोग  भक्तों  को  दूर - दराज  के  क्षेत्रों  से  जुटाना , उन्हें   दान - पुण्य  करने  को  प्रेरित  करना ,  आदि  कार्यों  में  कुछ  आमदनी  हो  जाती  है  l 
  मनुष्य  एक  सामाजिक  प्राणी  है  l  सामाजिक  , धार्मिक  कार्य  सम्पूर्ण  समाज  को  बहुत  गहरे  प्रभावित  करते  हैं   l  

Wednesday 18 July 2018

जब अधिकांश व्यक्ति अपने आप को नेता समझने लगते हैं तो अशांति और अव्यवस्था उत्पन्न होने लगती है

 एक  वाक्य  है --- ' कलियुग  में  शक्ति  संगठन  में  होती  है  '   इस  वाक्य  को  अपना  आदर्श  बनाकर  पुरे  देश  में  तरह - तरह  के  छोटे - बड़े  संगठन  बन  गए  l  इस  वाक्य  के  पीछे  जो  मूल  आधार  था   उसे  भुला  दिया    कि--  संगठन  का  आधार  नैतिकता  हो ,  जिसका  उद्देश्य  और  लक्ष्य  महान  हो l  जैसे  देश  को  आजाद  कराने  महान  लक्ष्य  लेकर  लोग  संगठित  हुए  ,  कष्ट   सहे ,  त्याग  किया   तब  इस  महान  लक्ष्य  में  सफलता  मिली  l   लेकिन  आज  स्वार्थ  और  लालच   और  अहंकार  जैसी  दुष्प्रवृत्तियों    का  पोषण  करने  के  लिए   संगठनों  की  भरमार  है   l  ऐसे  संगठन  ही  समाज  में   अव्यवस्था  फैलाते  हैं  

Saturday 14 July 2018

अत्याचारी और अन्यायी का कोई धर्म नहीं होता

 महिलाओं  पर  अत्याचार  के  सम्बन्ध  में   सभी  पुरुषों  की  मानसिकता एक  सी  होती  है  ,  चाहे  वे  किसी  भी  धर्म  के  हों ,  किसी  भी   जाति  अथवा  समाज  के  हों  l    अपने  अहंकार की  पूर्ति  और  अपने  को  नारी  से  श्रेष्ठ    दिखाने  की  भावना  ,  अपनी  हुकूमत  चलाने  की  आदत  ऐसे  अनेक  कारण  हैं    जिससे  वे  नारी  को  उत्पीड़ित  करते  हैं   l  
  घरेलू  हिंसा  एक  अलग  समस्या  है  l    शिक्षा  का  प्रचार - प्रसार  बढ़  रहा  है  ,  हम  आधुनिक  युग  में  जी  रहे  हैं   लेकिन  पुरुषों  की  मानसिकता  नहीं  बदली  ,  इस  कारण  सामाजिक  उत्पीड़न  भी   बहुत  है   l  पुरुषों  में     नारी  के  प्रति  मित्रता  का  भाव  नहीं  रहता  ,   उसकी  कमजोरी  का   फायदा  उठाने  का  भाव  प्रबल  होता  है   l  घर  और  बाहर  दोहरी  जिम्मेदारी  की  वजह  से   महिलाएं  इतनी  सजग  नहीं  हो  पातीं  इस  कारण  संस्थाओं  में ,  समाज  में   उत्पीड़न  सहना  पड़ता  है   l  
   महिलाएं  भी  आपसी  ईर्ष्या - द्वेष  ,  महत्वाकांक्षा  की  वजह  से ,  दूसरे  को  धक्का  मार  कर  स्वयं  आगे  बढ़ने  की   इच्छा   आदि  कारणों  से      विभिन्न  षड्यंत्रों  में  पुरुषों  का  साथ  देती  हैं  l  
   इन  सबसे  परिवार  और  समाज  में   तनाव  पैदा  होते  हैं   l  

Thursday 12 July 2018

प्रतिभा के दुरूपयोग से ही सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं

  जिनके  पास  धन  है  वे  अपने  भोग विलास  और  ऐश्वर्य  प्रदर्शन  में  उलझे  हैं   l   जिनके  पास  विद्दा बल  है   उनकी    ऐंठ  व  अहंकार  चरम  सीमा  पर  है  ,  वे  लोग  अपनी  बुद्धि  का  प्रयोग  चालाकी ,  चतुराई  और  धूर्तता  के  कारनामे  करने  में  कर  रहे  हैं   l  ऐसा  कर  के  व्यक्ति  स्वयं  अपने  जीवन  में  अशांति , कष्ट  और  तनाव  के  बीज  बो  रहा  है    l  

Wednesday 11 July 2018

बच्चे देश का भविष्य हैं

 ' बच्चे  देश  का  भविष्य  '  हैं --- जो  भी  देश  इस  सत्य  को  समझते  हैं  वे  अपने  देश  के  बच्चों  की  हिफाजत  करते  हैं   l    यदि  उनके  देश  के  बच्चे  किसी  मुसीबत  में  फंस  जाये ,  उनके  ऊपर  मृत्यु  का  खतरा  मंडरा रहा  हो   तो  वे  उन्हें  बचाने  के  लिए   कोई  कमेटी  बिठाकर  उसकी  रिपोर्ट  आने  का इंतजार  नहीं  करते  l  अपनी  सम्पूर्ण  शक्ति  लगाकर  उन्हें  बचाने  का  प्रयास  करते  हैं  l  यथा संभव  विदेशों  से  भी  मदद  लेते  हैं   ताकि  उनके  देश  का  भविष्य  सुरक्षित  हो  l  अनेक  देश  ऐसे  भी  हैं  जो  अपने  देश  की  गर्भवती  महिलाओं  की  भी   सामाजिक  रूप  से  बहुत  हिफाजत  करते  हैं  ,  वे  इस  बात  को  समझते  हैं  कि  उसके  गर्भ  में  उनके  देश  का  भविष्य  है  l   यह  सब  तभी  संभव होता  है  जब  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  हो ,  अपने  देश  से  सच्चा  प्रेम  हो    l 
  अनेक  देश  ऐसे  भी  हैं  ,  जहाँ  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  सूख  गई  है  l  स्वार्थ ,  लालच ,  पैसा  ही  उनके  लिए   सब  कुछ  है  l   अपने   घ्रणित  स्वार्थ  की  पूर्ति  के  लिए   वे  मासूम  बच्चे - बच्चियों  पर  ही  अपनी  ताकत  आजमाते  हैं  l 
  अब  विकास  को  केवल  भौतिक  द्रष्टि  से  नहीं  आध्यात्मिक  द्रष्टि  से  भी  परिभाषित  करने  की  जरुरत  है   k

Tuesday 10 July 2018

ईश्वर विश्वास से ही शांति संभव है

  यह  विचार  कि  ईश्वर  है   ,  उसकी  नजर  हमारे  हर  कार्य    पर  है  ,  यहाँ  तक  कि  जो   हम  सोच  रहे  हैं ,  जो  हमारे  मन  में  चल  रहा  है  वह  भी  ईश्वर  से  छुपा  नहीं  है  ---- यह  विश्वास  व्यक्ति  को  गलत  कार्य  करने  से  रोकता  है   l  ऐसे  व्यक्ति  अपना  कर्तव्य पालन  पूरी  निष्ठा  और  समर्पण  भाव  से  करते  हैं   l  एक  श्रेष्ठ  उद्देश्य  को  लेकर  जिस  भी  कार्य  में  हाथ  लगाते  हैं  ,  उसमे  सफल  होते  हैं   l  ऐसे  विश्वास  के  लिए  कर्मकांड  जरुरी  नहीं  है  ,  हमारी  भावनाएं  पवित्र  होनी  चाहिए  l 

Monday 9 July 2018

कठोर दंड से ही अपराध पर नियंत्रण संभव है

  जब  कभी  समाज  में  स्थिति  इतनी  विकट  हो   जाती  है  कि  व्यक्ति  अपने  को  राक्षस  कहने - कहलाने  में  गर्व  अनुभव  करने  लगे   तब  उसका  अंत  करना  ही  उचित  होता  है   l  ----  महर्षि  पुलस्त्य  का  पौत्र  और  परमज्ञानी , तेजस्वी  महर्षि  विश्रवा  का  पुत्र  रावण  अपने  को  ऋषि पुत्र   कहने  के  बजाय
    ' राक्षसराज '  कहता  था   l  वेद  और  शास्त्रों  का   ज्ञाता ,  महान  विद्वान्  होते  हुए  भी   मर्यादा  भुला  बैठा   l  छल  से  उसने  सीताजी  का  अपहरण  किया  l  तब  भगवन  राम  ने   न  केवल  रावण  का  वध  किया ,  बल्कि  पापी  और  अत्याचारी  का  साथ  देने  वाले  उसके  सभी   बन्धु - बांधवों  का  वध  कर  दिया   ताकि  समाज  को  कलंकित  करने  वाली  ऐसी  घटनाएँ  दुबारा  न  हों  l
  इसी  तरह  महाभारत  में  प्रसंग  है --- जब  पांडव  अज्ञातवास  में  राजा  विराट  के  महल  में  वेश  बदल कर  कार्य  करते  थे   l  महारानी  द्रोपदी    सैरंध्री   बनकर   रानी  की  सेवा  करती  थीं  l  तब  रानी  के  भाई
 ' कीचक '   की  कुद्रष्टि  द्रोपदी  पर  थी   l  जब  बात  असहनीय  हो  गई  तो  एक  दिन  अवसर  पाकर   सैरंध्री  ( महारानी  द्रोपदी )  ने   भीम  से  उसकी  शिकायत  की  l  भीम  को  बहुत  क्रोध  आया ,  उस  दिन  वे  अज्ञातवास  में  थे  इसलिए  सामने  चुनौती  देकर  युद्ध  नहीं  कर  सकते  थे  ,  उन्होंने  योजना  बनाई,  उसके  अनुसार  सैरंध्री  ने   कीचक  से  कहा --- ठीक  है  तुम  रात  को  अँधेरे  में  आना , शर्त  यह  है  कि  रोशनी  बिलकुल  न  हो  l  कीचक  तो   कामांध  था ,  चल  दिया l   वहां   सेज  पर  द्रोपदी  की  बजाय  भीम  बैठ  गए   l   कीचक  बहुत  बलवान  था  l  भीम  और  कीचक  में   मल्ल युद्ध  हुआ  l   भीम  ने  कीचक  को  मौत  के  घाट  उतार  दिया  l
दु:शासन  ने  चीर हरण  किया ,  दुर्योधन  ने  उस  वक्त  अपशब्द  बोले ,   तो  महाभारत  हुआ   समूचे  कौरव  वंश  का  अंत  हो  गया   l   इतिहास  ऐसे  उदाहरण  से  भरा  पड़ा  है  कि  जिसने  भी  नारी  के  सम्मान  को  चुनौती  दी ,  उसे  अपमानित  किया  ,  उसका  अंत   किया  गया   l 
  इसी  तरह  संस्कृति  की  रक्षा  संभव  हो  सकी  है   l    आज  के  समय  में  जब  अपराधी   समाज  में  मिलकर  रौब  से  रहते  हैं   तब  विचारशीलों   को   जागरूक  होने  की   अनिवार्यता  है  l  

Sunday 8 July 2018

नैतिक मूल्यों में गिरावट के कारण ही ऐसे अपराध होते हैं जिससे राष्ट्र की छवि खराब होती है

   नैतिक  शिक्षा  की  पुस्तक  पाठ्यक्रम  में  सम्मिलित  कर  देने  से    नैतिकता  का  ज्ञान  नहीं  होता   l   मानवीय  मूल्यों  के  आभाव  में   ज्ञान  का , धन  का ,  संचार  के  साधनों का   ,  समूची  वैज्ञानिक  प्रगति  का  ही  दुरूपयोग  होता  है   l   यह  सत्य  है  कि    अहंकारी  और  गलत  राह  पर  चलने  वाला   दूसरों  को  तो  कष्ट   पहुंचाता  है   लेकिन  स्वयं  भी  समूल  नष्ट  हो  जाता  है   l 
  समस्या  विकट  इसलिए  है  क्योंकि  बच्चों  को  शिक्षा  देने  वाले ,  उन्हें  अच्छे  संस्कार   देने  वाले  बहुत  कम  हैं   l    भ्रष्टाचार ,  बेईमानी , स्वार्थ ,  झूठ ,  नशा,  आदि   गैर कानूनी  कार्य  करने  वालों  का  बोलबाला  है  l   जब  तक  जन  चेतना  नहीं  जागेगी ,  लोग  दूसरे  के   कष्ट  को  महसूस  नहीं  करेंगे ,  संवेदना  नहीं  जागेगी  तब  तक    सुधार    संभव  नहीं  है   l  

Thursday 5 July 2018

व्यक्ति बदली हुई परिस्थिति से समझौता करना नहीं चाहता

  स्वतंत्रता  के  पहले   राजा - रजवाड़े  थे ,  जमींदार , जागीरदार ,  सामंत  आदि  थे  जो  अपने - अपने  क्षेत्र  में  अपना  दबदबा  रखते  थे   l  इसी  तरह  जाति  को  देखें  तो   एक  विशेष  वर्ग  ने  अपने  को  श्रेष्ठ  घोषित  कर  अन्य  वर्गों  को  बहुत   तिरस्कृत  व  अपमानित  किया  l 
  अब  परिस्थितियां  बदल   गईं  लेकिन  इन  लोगों  की  सोच  नहीं  बदली   इस  कारण   खुद  कुंठित  रहते  हैं  और   अपने  अहंकार  को  पोषण  न   मिलने  के  कारण  दूसरों  को  परेशान    करते  हैं  l  इससे  समाज  में   अशांति ,  तनाव  की  स्थिति  पैदा  होती  है  l  ऐसे  लोग  दूसरे  की  तरक्की ,  किसी  को  आगे  बढ़ता  हुआ  नहीं  देख  सकते  ,  लोगों  को  अपनी  कठपुतली  बना  कर  रखना  चाहते  हैं   l  ऐसे  अशांत  मन  के  लोग  अपनी  नकारात्मकता  से  सब    ओर    अशांति  पैदा  करते  हैं   l 
  शांति  तब  होगी   जब  लोगों  के  ह्रदय  में  संवेदना  होगी ,  जियो  और  जीने  दो  के  सिद्धांत  पर  सब  चलेंगे   l  

Tuesday 3 July 2018

अपराध तभी बढ़ते हैं , जब अपराधियों को संरक्षण मिलता है

  यदि  समाज  में  सुख  शांति  और  बच्चों  की  सुरक्षा  चाहिए   तो  अनैतिक  और  अवैध  धन्धों  को  जड़  से  समाप्त  करना  होगा   l  ऐसे  अनैतिक  कार्य  व्यक्ति  अकेला  नहीं  करता   l  इनके  कर्ता- धर्ता  इन  कामों  के  लिए  अनेक  गुंडे  पालते  हैं   जो  इसी  समाज  में  रहते  हैं   और  कभी  अपने  ' आका ' के  लिए  और  कभी  अपने  लिए  जघन्य  अपराधों  को  अंजाम  देते  हैं   l  ऐसे  लोग  अपने  स्वार्थ  के  लिए  एक  दूसरे  से  एक  श्रंखला  में  बंधे  होते  हैं  इसलिए  सजा  से  बच    जाते  हैं   l 
  हर  परिवार  को  जागना  होगा  क्योंकि  जो  भी  अपराधी  हैं  वे  किसी  न  किसी  परिवार  के  सदस्य  हैं  l  जब  कभी  समाज  में  दंगे - फसाद  होते  हैं  तो  कैसे  टिड्डी  दल  की  भांति  दंगाई  आते  हैं ,  उनके  हाथों  में  हथियार  भी  होते  हैं   l  यह  सब  समझने  की  बातें  हैं  कि  कहीं  कोई  जादू  की  छड़ी  नहीं  थी  कि  तुरंत  हथियार  समेत  सब  आ  गए  ,  समाज  में  ही  अनेक  लोग  इन  कामों  में  ,  व्यवस्था  में  लगे  होंगे  l 
  केवल   दोष  देने  से  समस्या  नहीं  सुलझती ,  एक  बड़े  परिवर्तन  की  आवश्यकता  है   l  

Monday 2 July 2018

जब तक जनता जागरूक नहीं होगी , किसी भी समस्या का समाधान संभव नहीं है

 अपराध  करना  और  अपराध , अत्याचार  , अन्याय  को  देखकर  भी  अनदेखा  करना ,  अपनी  आँखें  मूंद  लेना  भी  अपराध  है  l  तरह - तरह  के  सब  अपराध  समाज  में  ही  होते  हैं ,  और  अपराधी  प्रवृतियों  को  समाज  में  ही  छुपाते  हैं  जैसे  जो  नशे  का  कारोबार  करते  हैं , वे  ऐसी  सामग्री  समाज  में  ही  छुपाते  हैं , जो   मांस  का  अवैध  कारोबार  करते  हैं , वे  जानवरों  को  समाज  में  ही  चुराते और  छुपाते  हैं  ,  इसी  तरह  जो  बच्चे - बच्चियों  के  प्रति  जघन्य  अपराध  करते  हैं , रैक्ट्स  आदि  चलते  हैं ,  वह  सब  समाज  में  ही  है l  इसलिए  इनसे   निपटने  के  लिए    समाज  को  अपने  छोटे - छोटे  स्वार्थ  छोड़कर  जागरूक  और  संगठित  होना  पड़ेगा  l 
  कहते  हैं  ईश्वर  निराकार  है ,  वे  स्वयं  कैसे  काम  करेंगे  ?  यदि  हम  किसी  श्रेष्ठ  उद्देश्य  के  लिए  एक  कदम  आगे  बढ़ाएंगे  तो  वे  दैवी  शक्तियां  हमारे  प्रयत्नों  में  सहयोग  के  रूप  में  साकार  हो  जाएँगी  जैसे  अत्याचार  के  अंत  के  लिए  जब  अर्जुन  ने  कदम  बढाया  तो  भगवान  उनके  सारथी  बने , उनके  रथ  की  ध्वजा  पर  हनुमानजी  बैठे  l  हमें  एक  कदम  तो  आगे  बढ़ाना  ही  होगा  तभी  सहयोग  मिलेगा   l  

Sunday 1 July 2018

संवेदनहीन समाज में समस्याएं बढ़ती जाती हैं

  आज  के  समय  में     मुसीबत ,  कठिनाइयाँ  और  दुःख  में  डूबे  इनसान  के  प्रति  संवेदना  प्रकट  करना  भी  जीवन  रूपी नाटक  का  एक  हिस्सा  बन  गया  है   l  सच्ची  सहानुभूति  और   नि:स्वार्थ  सहयोग  करने  वाले    व्यक्ति  बहुत  कम  या  न  के  बराबर  हैं   l  यदि  किसी  के  ऊपर  मुसीबत  का  पहाड़  टूट  पड़ा   और  समस्या  को  सार्वजनिक  करने  से   किसी  की  गरिमा  को , सम्मान  को  ठेस  पहुँचती  है   तो  सहानुभूति  के  नाम  पर  मुंह  बंद  रखने  की  धमकी  देने  ज्यादा  लोग  आ  जाते  हैं   l
  आज  का  संसार  गणित  से  चलता  l   कुछ   लोग  आपस  में  बहुत  प्रेम  से  बात  करते  हैं ,  एक  दूसरे  का  सहयोग  कर  रहे  हैं   तो  इसका  अर्थ   यह  नहीं  कि  वे  एक  दूसरे  के  प्रति  सच्चे  और  बफादार  हैं  ,  उनका  परस्पर  स्वार्थ  सिद्ध  हो  रहा  है ,  इसलिए  वे  एक  हैं  l
 आज  का  समय  बहुत  विवेक  और  समझदारी  से  चलने  का  है  l  यदि हमारे  जीवन  का  पथ  सही  है   तो  अपनी  समस्याओं  से  कैसे  निपटें  ?  यह  ज्ञान  हमें  अपने   ही  भीतर  से , अपने  अंतर  से  प्राप्त  हो  जाता  है  l