आज समाज में सद्गुणों का नहीं धन का महत्व है इसलिए लोग भ्रष्टाचार से , हर अनुचित तरीके से धन कमाते हैं । इस तरह का धन ही , यह पाप की कमाई ही ऐसा धन कमाने वाले की और उसकी सन्तान की बुद्धि को भ्रष्ट कर देती है । ऐसे लोग इस धन का उपयोग किसी के हित के लिए नहीं वरन अपनी ' गुंडई ' को कायम रखने के लिए करते हैं ।
आज समाज को जागने की जरुरत है क्योंकि जब बुद्धि पर लोभ और स्वार्थ हावी हो जाता है तो व्यक्ति के सोचने - समझने की क्षमता समाप्त हो जाती है , ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते अपने स्वार्थ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं ।
आज की सबसे बड़ी जरुरत है ---- विवेक की , सद्बुद्धि की । जीवन के सफ़र में जब ऐसे दुर्बुद्धि ग्रस्त लोगों से पाला पड़ जाये तो हम विवेक की ढाल से ही उसका सामना कर सकते हैं की ---' सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे " l
सत्साहित्य का अध्ययन , निष्काम कर्म , सेवा - परोपकार करना , प्रार्थना -- इन सबसे ही हमारे भीतर समझ विकसित होती है ।
आज समाज को जागने की जरुरत है क्योंकि जब बुद्धि पर लोभ और स्वार्थ हावी हो जाता है तो व्यक्ति के सोचने - समझने की क्षमता समाप्त हो जाती है , ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते अपने स्वार्थ के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं ।
आज की सबसे बड़ी जरुरत है ---- विवेक की , सद्बुद्धि की । जीवन के सफ़र में जब ऐसे दुर्बुद्धि ग्रस्त लोगों से पाला पड़ जाये तो हम विवेक की ढाल से ही उसका सामना कर सकते हैं की ---' सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे " l
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