यदि व्यक्ति स्वयं शान्ति से रहे और दूसरों को भी चैन से जीने दे तो सब तरफ शांति रहे लेकिन आज ऐसे लोगों की अधिकता है जो दूसरों को चैन से जीने नहीं देते l जिनका चैन छीना जाता है इसके पीछे प्रमुख वजह -- अत्याचारी का अहंकार है l अहंकारी सोचता है की वो बिलकुल सही है , ऐसे व्यक्ति परिवार , समाज , संस्था सबको अपने ढंग से चलाना चाहते हैं जिससे सब दब कर रहें और उनके स्वार्थ व अहंकार की तुष्टि होती रहे l भौतिकता में वृद्धि के कारण अत्याचार का तरीका भी बदल गया है l अब लोग दूसरों की हंसी उड़ा कर , उन्हें नीचा दिखाकर , षडयंत्र कर उन्हें किसी जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करके , कमजोर का हक छीनकर अपनी शक्ति को दिखाते हैं l ऐसे मानसिक उत्पीड़न की प्रतिक्रिया बड़ी भयानक होती है l बदले की आग जब ह्रदय में पैदा होती है तो वह अच्छा - बुरा नहीं देखती सबको जला देती है l यह संसार बहुत बड़ा है इसमें ऐसे एक -दो व्यक्ति ही होंगे जो अत्याचार और उत्पीड़न की प्रतिक्रिया स्वरुप महामानव बन जाएँ l
जो गरीब है , शोषित है , उत्पीड़ित है , वह तो वैसे ही परेशान है , समाज में शांति के लिए जरुरी है जिनके पास धन , पद , वैभव की शक्ति है वे सुधरें और अपनी इस शक्ति का, विभूति का उपयोग जन कल्याण के लिए करें , लोगों का शोषण करने के स्थान पर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर उन्हें भी सुख शांति से जीने दें
जो गरीब है , शोषित है , उत्पीड़ित है , वह तो वैसे ही परेशान है , समाज में शांति के लिए जरुरी है जिनके पास धन , पद , वैभव की शक्ति है वे सुधरें और अपनी इस शक्ति का, विभूति का उपयोग जन कल्याण के लिए करें , लोगों का शोषण करने के स्थान पर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर उन्हें भी सुख शांति से जीने दें