मनुष्य का जीवन समस्याओं से घिरा हुआ है । विवेक न होने से वे समस्याएं हमें परेशान करती हैं , हम पर बोझ बन जाती हैं | लेकिन यदि हमारे पास विवेक है तो ये समस्याएं हमारे लिए चुनौती हैं हम इनका सामना करते हैं , सफल होते हैं और अगली चुनौती का इंतजार करते हैं ।
व्यक्ति में कोई सद्गुण है , उसका उपयोग कहाँ करना है यह समझ विवेक से आती है । जैसे एक व्यक्ति में बहुत सहनशक्ति है , वह पारिवारिक जीवन में , रिश्तों को मधुर बनाने में इसका प्रयोग करे तो यह इस गुण का सही उपयोग है । लेकिन यदि वह अत्याचार और अन्याय को सहन करता है तो यह उसकी कायरता है ।
अत्याचार और अन्याय को सहन कर के व्यक्ति अत्याचारी को और अहंकारी बना देता है , वह उन्मत हो कर और अत्याचार करता है | इसलिए हमें अन्याय का प्रतिरोध अवश्य करना चाहिए | आज संसार में सर्वत्र चुनौतियां हैं , हमारी प्राथमिकता हो कि हमारा विवेक , हमारी प्रज्ञा जाग्रत हो लेकिन कैसे ? कोई स्कूल , कोई संस्था हमारा विवेक जाग्रत नहीं कर सकती । इसके लिए जरुरी है ---- हम सन्मार्ग पर चलें , अपनी बुराइयों को दूर करें , नि:स्वार्थ भाव से सत्कर्म करें , अपने भगवान से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें । ऐसा करने से मन निर्मल होगा और निर्मल मन में ही विवेक जाग्रत होगा ।
व्यक्ति में कोई सद्गुण है , उसका उपयोग कहाँ करना है यह समझ विवेक से आती है । जैसे एक व्यक्ति में बहुत सहनशक्ति है , वह पारिवारिक जीवन में , रिश्तों को मधुर बनाने में इसका प्रयोग करे तो यह इस गुण का सही उपयोग है । लेकिन यदि वह अत्याचार और अन्याय को सहन करता है तो यह उसकी कायरता है ।
अत्याचार और अन्याय को सहन कर के व्यक्ति अत्याचारी को और अहंकारी बना देता है , वह उन्मत हो कर और अत्याचार करता है | इसलिए हमें अन्याय का प्रतिरोध अवश्य करना चाहिए | आज संसार में सर्वत्र चुनौतियां हैं , हमारी प्राथमिकता हो कि हमारा विवेक , हमारी प्रज्ञा जाग्रत हो लेकिन कैसे ? कोई स्कूल , कोई संस्था हमारा विवेक जाग्रत नहीं कर सकती । इसके लिए जरुरी है ---- हम सन्मार्ग पर चलें , अपनी बुराइयों को दूर करें , नि:स्वार्थ भाव से सत्कर्म करें , अपने भगवान से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करें । ऐसा करने से मन निर्मल होगा और निर्मल मन में ही विवेक जाग्रत होगा ।