पारिवारिक जीवन हो या सामाजिक जीवन जब तक लोगों के ह्रदय में संवेदना और परस्पर सहयोग का भाव नहीं होगा तब तक सुख - शान्ति संभव नहीं है l परिवार इसीलिए टूटते हैं कि कहीं पुरुष निर्दयी और स्वार्थी है , तो कहीं नारी कर्कश स्वभाव की है l संवेदना और त्याग का अभाव है l कहीं तलाक दे कर एक - दूसरे को और बच्चों को उत्पीड़ित करते हैं तो कहीं साथ रहकर निरंतर क्रोध , लड़ाई - झगड़ा, उपेक्षा , कलह आदि से पारिवारिक जीवन को जहरीला बना देते हैं l परिवार से मिलकर ही समाज बना है l हम सब एक माला के मोती हैं l इस धरती पर सब को जीने का हक है और हम सब --- मनुष्य , पेड़ - पौधे , जीव - जंतु , जल , पहाड़ ----- सब परस्पर निर्भर हैं l जब हम एक - दूसरे के महत्व को समझेंगे तभी सुख - शान्ति संभव है l
Thursday 28 December 2017
Monday 25 December 2017
अशांति का कारण है --- दूसरे को गुलाम बनाने की मानसिकता
जो सद्गुण संपन्न हैं वे सबके साथ बहुत नम्रता का व्यवहार करते हैं , किसी को कष्ट नहीं देते l ऐसे लोग आज बहुत कम व बिखरे हुए हैं l आज ऐसे लोगों की भरमार है जिन्होंने अनैतिक तरीके से बहुत धन कमा लिया , शक्ति , पद हासिल कर लिया l लेकिन इच्छाएं ख़त्म नहीं हुईं l ऐसे व्यक्ति हर किसी से कोई न कोई फायदा उठाना चाहते हैं , अपने स्वार्थ के लिए दूसरे को इस्तेमाल करना चाहते हैं l उनकी यह मंशा पूरी न हो पाए तो फिर उसके विरुद्ध षडयंत्र रचेंगे , उपेक्षा करेंगे , उनके विरुद्ध लोगों के मन में जहर भरेंगे , उसको नीचा दिखाने का , उसकी प्रतिष्ठा धूमिल करने का हर संभव प्रयास करेंगे l
सबसे बड़ी दुर्बुद्धि यही है कि अँधेरा अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रकाश को अन्दर आने ही नहीं देता l जरुरी है धैर्य और संगठित प्रयास की l
सबसे बड़ी दुर्बुद्धि यही है कि अँधेरा अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए प्रकाश को अन्दर आने ही नहीं देता l जरुरी है धैर्य और संगठित प्रयास की l
समाज में अशांति का कारण व्यक्ति का अहंकार है
प्रशंसा की चाहत सबको होती है लेकिन यह चाहत भी एक बीमारी तब बन जाती है जब व्यक्ति का अहंकार इस सीमा तक बढ़ जाता है कि वह सोचने लगता है कि केवल उसी की तारीफ हो , अन्य किसी की नहीं l ऐसे व्यक्ति को यदि यह पता लग जाये कि अमुक व्यक्ति की कई लोग तारीफ करते हैं तब वह अपनी अधिकांश ऊर्जा उन लोगों के मुँह बंद कराने में लगा देता है जिससे अमुक व्यक्ति की कोई प्रशंसा न करे और इसके साथ ही उसका यह भी प्रयास होता है कि ऐसे दोष - दुर्गुण जो अमुक व्यक्ति में हैं ही नहीं , लोगों को बताकर उसकी इमेज खराब की जाये l इसलिए हमें निन्दा - प्रशंसा , मान - सम्मान के प्रति तटस्थ रहना चाहिए और केवल एक बात याद रखनी चाहिए कि ईश्वर का प्रत्येक विधान मंगलमय है l
Tuesday 19 December 2017
समाज में सुख - शांति तभी होगी जब लोग परिश्रम से जीना सीखेंगे
परिश्रम भी ईमानदारी और सच्चाई से होना चाहिए l चोरी करना , सेंध लगाना , भ्रष्टाचार , दूसरों का हक छीनना परिश्रम नहीं है l कोई भी राष्ट्र तभी आगे बढ़ सकता है जब उसके नागरिक कर्मयोगी हों l मेहनत , परिश्रम और ईमानदारी से जीवन जीने वाले हों l यदि किसी समाज में ऐसे लोगों की भरमार है जो शासन से या विभिन्न संस्थाओं से मिलने वाली सुविधाओं के बल पर आलसी जीवन जीते हैं तो संकट के समय ऐसे आलसी अपनी ही सुरक्षा नहीं कर सकेंगे तो देश और समाज के लिए क्या कर पाएंगे l आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि लोग आत्मनिर्भर हों l इस भौतिकवादी युग में जब लोगों के ह्रदय में संवेदना सूख गई है , स्वार्थ अपनी चरम सीमा पर है , लोग अपने चेहरे पर शराफत का नकाब ओढें हैं तब जागरूक रहने की बहुत जरुरत है l जागरूकता के अभाव में कुटिल लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहेंगे l
Friday 15 December 2017
सभी समस्याओं का एक हल ----- आत्मविश्वास
आज के समय में अधिकांश लोग तनाव से पीड़ित हैं l छोटी सी भी समस्या आने से भी तनाव से पीड़ित हो जाते हैं l इसका प्रमुख कारण है ---- आत्मविश्वास की कमी l यदि हमारे भीतर धैर्य और ईश्वर विश्वास जैसे गुण हों तो कभी तनाव न आये l ईश्वर विश्वास का अर्थ है -- हमारे जीवन की दिशा सही हो , हमारी भावनाएं परिष्कृत हो l ईश्वर विश्वास ही आत्मविश्वास है l ऐसा व्यक्ति प्रत्येक कार्य को ईश्वर की पूजा समझकर करता है l उसे अपने ह्रदय में यह विश्वास होता है कि ईश्वर जो करते हैं वह अच्छा करते हैं , इसलिए वह समस्याओं से भागता नहीं , सकारात्मक तरीके से उनका सामना करता है और अपने मन में कभी निराशा को नहीं आने देता l आज के समय में समस्याएं इतनी विकट इसलिए हो गईं हैं क्योंकि बिना किसी योग्यता के , बिना सही दिशा में परिश्रम के , लोग दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ना चाहते हैं और इसके लिए वे तरह - तरह के हथकंडे अपनाकर अपने प्रतिस्पर्धी का मनोबल गिराने का प्रयास करते हैं ताकि वह रास्ते से हट जाये l ऐसी स्थिति में ईश्वर विश्वास ही हमारी मदद करता है और हमें तनाव से बचाता है l
Friday 8 December 2017
सुख - शांति से जीने के लिए विवेक जरुरी है
आज के समय में व्यक्ति की सही पहचान बहुत कठिन हो गई है l सामान्य रूप से देखने में लगता है कि उच्च पदों पर बैठे व्यक्ति , बड़े - बड़े घरों में रहने वाले , समाज सेवा करने वाले , अच्छी बात करने वाले व्यक्ति बहुत सज्जन होंगे l उनके पीछे छिपी कालिमा को सामान्य व्यक्ति नहीं जान पाता l इसलिए हमें अपना कार्य - व्यवहार बहुत संतुलित रखना चाहिए , प्रत्येक कदम बहुत सोच - समझ कर उठाना चाहिए l
ऐसे लोग जो अनैतिक और अमर्यादित और अवैध कार्य करते हैं उनकी स्थिति स्पष्ट है कि वे विवेकहीन हैं तभी गलत धन्धों में लगे हैं l ऐसे गलत और अनैतिक कार्यों में पैसा बहुत है इसलिए ऐसे लोग बहुत धनवान और अहंकारी हो जाते हैं l विवेकहीनता के साथ अहंकार जुड़ जाता है फिर दंड का भय भी नहीं है इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए , उनकी छाया से भी बचना चाहिए l ऐसे लोग किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं , एक सामान्य व्यक्ति इस गिरावट की कल्पना भी नहीं कर सकता l
आज समाज में नशा , मांसाहार , अश्लील साहित्य , फिल्म आदि की भरमार है l समाज का एक बहुत बड़ा भाग इनमे उलझ चुका है इसलिए ये अनैतिक धन्धे बहुत बड़े पैमाने पर हो गए हैं | जिन्हें धन का लालच है , विलासी जीवन जीना है वे इन धन्धों को कभी बंद नहीं करेंगे l आज जरुरत है -- जनता में जागरूकता की l यदि लोगों में चेतना जाग्रत हो जाये कि नशा , मांसाहार , अश्लीलता से उनका स्वास्थ्य , उनका परिवार , उनका जीवन बरबाद हो रहा है और इनका व्यापार करने वाले ऊँचे महलों में रहते हैं , बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं l यदि यह समझ आ जाये कि अपना शरीर सुखाकर , गलाकर ये लोग ही इन व्यापार में लगे लोगों को अमीर बना रहे है , उस दिन ये धंधे अपने आप ही बंद हो जायेंगे l लोगों की चेतना जाग्रत होना बहुत जरुरी है l
ऐसे लोग जो अनैतिक और अमर्यादित और अवैध कार्य करते हैं उनकी स्थिति स्पष्ट है कि वे विवेकहीन हैं तभी गलत धन्धों में लगे हैं l ऐसे गलत और अनैतिक कार्यों में पैसा बहुत है इसलिए ऐसे लोग बहुत धनवान और अहंकारी हो जाते हैं l विवेकहीनता के साथ अहंकार जुड़ जाता है फिर दंड का भय भी नहीं है इसलिए ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए , उनकी छाया से भी बचना चाहिए l ऐसे लोग किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं , एक सामान्य व्यक्ति इस गिरावट की कल्पना भी नहीं कर सकता l
आज समाज में नशा , मांसाहार , अश्लील साहित्य , फिल्म आदि की भरमार है l समाज का एक बहुत बड़ा भाग इनमे उलझ चुका है इसलिए ये अनैतिक धन्धे बहुत बड़े पैमाने पर हो गए हैं | जिन्हें धन का लालच है , विलासी जीवन जीना है वे इन धन्धों को कभी बंद नहीं करेंगे l आज जरुरत है -- जनता में जागरूकता की l यदि लोगों में चेतना जाग्रत हो जाये कि नशा , मांसाहार , अश्लीलता से उनका स्वास्थ्य , उनका परिवार , उनका जीवन बरबाद हो रहा है और इनका व्यापार करने वाले ऊँचे महलों में रहते हैं , बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं l यदि यह समझ आ जाये कि अपना शरीर सुखाकर , गलाकर ये लोग ही इन व्यापार में लगे लोगों को अमीर बना रहे है , उस दिन ये धंधे अपने आप ही बंद हो जायेंगे l लोगों की चेतना जाग्रत होना बहुत जरुरी है l
Thursday 30 November 2017
अच्छाई का संगठित होना जरुरी है
आज संसार में अनेक लोग है , जो बहुत सद्गुणी है , कर्मयोगी हैं , लोक कल्याण के कार्य करते हैं , किसी का अहित नहीं करते हैं , सत्य और धर्म के मार्ग पर चलते हैं l लेकिन ये लोग संगठित नहीं हैं l अत्याचार और अन्याय को समाप्त करने के लिए अच्छाई को संगठित होना पड़ेगा l भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि , यदि हम अत्याचारी को समाप्त नहीं करेंगे तो वह हमें समाप्त कर देगा l अन्यायी को समाप्त करने के लिए अस्त्र- शस्त्र और बाहुबल की नहीं धैर्य और विवेक और सावधानी की जरुरत है l जागरूक रहकर समय रहते संगठित होने से ही , अत्याचारी का अंत संभव होता है l
Wednesday 29 November 2017
सुख -शांति से जीना है तो किसी को देखकर परेशान न हों
इस संसार में भांति - भांति के लोग हैं , उनका बाहरी रूप , व्यवहार , हाव - भाव आदि देखकर उनके भीतर की सच्चाई क्या है ? इसे नहीं समझ सकते l जैसे दो लोग एक - दूसरे की बड़ी तारीफ कर रहे है , बात - बात में परस्पर प्रशंसा कर एक - दूसरे को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं तो इसका अर्थ यह नहीं कि वास्तव में यह सच्ची प्रशंसा है l संभव है वे दोनों एक दूसरे को खुश कर , अपने सहयोगियों के माध्यम से कोई बहुत बड़ा स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हों l यह संसार ' गिव एंड टेक ' से चलता है l
जो व्यक्ति वास्तव में अच्छा है , जिसमे छल - कपट नहीं , किसी का अहित नहीं करता , संभव है अनेक लोग उसे भला - बुरा कह रहे हों , हर जगह उसकी आलोचना हो ---- ऐसी स्थिति में हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि दुष्टता अपने अस्तित्व को बनाये रखना चाहती है , यदि अच्छाई आ गई तो उनका नामोनिशान मिट जायेगा l इसलिए ऐसी दुष्प्रवृत्ति के लोग अपने ऐसे अनेक साथी तैयार कर लेते हैं जिनका काम अच्छे और सच्चे व्यक्ति के खिलाफ लोगों के मन में जहर भरना है , उनका माइंड वाश करना है l आज के समय में बड़े धैर्य और विवेक की जरुरत है कि हम अपने अस्तित्व को भी बनाये रखें और अपने मन को गिरने न दें l क्योंकि सच्चाई कभी छुप नहीं सकती l
जो व्यक्ति वास्तव में अच्छा है , जिसमे छल - कपट नहीं , किसी का अहित नहीं करता , संभव है अनेक लोग उसे भला - बुरा कह रहे हों , हर जगह उसकी आलोचना हो ---- ऐसी स्थिति में हमें कभी निराश नहीं होना चाहिए क्योंकि दुष्टता अपने अस्तित्व को बनाये रखना चाहती है , यदि अच्छाई आ गई तो उनका नामोनिशान मिट जायेगा l इसलिए ऐसी दुष्प्रवृत्ति के लोग अपने ऐसे अनेक साथी तैयार कर लेते हैं जिनका काम अच्छे और सच्चे व्यक्ति के खिलाफ लोगों के मन में जहर भरना है , उनका माइंड वाश करना है l आज के समय में बड़े धैर्य और विवेक की जरुरत है कि हम अपने अस्तित्व को भी बनाये रखें और अपने मन को गिरने न दें l क्योंकि सच्चाई कभी छुप नहीं सकती l
Tuesday 28 November 2017
अशांति का कारण है ----- कायरता
कहते हैं ' कायरता समाज का सबसे बड़ा कलंक है और अशांति का सबसे बड़ा कारण है l '
यदि व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि कोई उससे दुश्मनी क्यों रखे है ? क्यों उसका अहित करना चाहता है ? तो शांत प्रवृति का व्यक्ति उस दुश्मनी के कारण को दूर करने का प्रयत्न करेगा ताकि दोनों लोग शांति से रह सकें l लेकिन आज के समय में धन , पद का लालच , ईर्ष्या - द्वेष दुश्मनी के ऐसे कारण हैं जिनका कोई समाधान नहीं है l इन सबके अतिरिक्त अशांति का जो सबसे बड़ा कारण है वह यह कि लोग नैतिकता , मर्यादा , संवेदना जैसे सद्गुणों को भूल गए हैं l लोग अपने अनैतिक और गैर कानूनी कार्य दूसरे की मदद से करना चाहते हैं , दूसरे के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाना चाहते हैं l और जो उनके ऐसे कार्यों में सहयोग न दे , उनके जाल में न फंसे , उसकी खैर नहीं l आज हम सब को मिलकर समाज की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश व्यक्ति अपनी कमजोरियों और दुष्प्रवृत्तियों के कारण अपने स्वाभिमान को गंवाकर किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बने रहते हैं , इसकी डोर किसके हाथ में है वे स्वयं नहीं जानते l जब समाज का वातावरण ऐसी दुष्प्रवृत्तियों की वजह से विषाक्त हो जाये तब लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में निष्काम कर्म , पुण्य कार्य करने चाहिए जिससे नकारात्मकता दूर होगी l
यदि व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि कोई उससे दुश्मनी क्यों रखे है ? क्यों उसका अहित करना चाहता है ? तो शांत प्रवृति का व्यक्ति उस दुश्मनी के कारण को दूर करने का प्रयत्न करेगा ताकि दोनों लोग शांति से रह सकें l लेकिन आज के समय में धन , पद का लालच , ईर्ष्या - द्वेष दुश्मनी के ऐसे कारण हैं जिनका कोई समाधान नहीं है l इन सबके अतिरिक्त अशांति का जो सबसे बड़ा कारण है वह यह कि लोग नैतिकता , मर्यादा , संवेदना जैसे सद्गुणों को भूल गए हैं l लोग अपने अनैतिक और गैर कानूनी कार्य दूसरे की मदद से करना चाहते हैं , दूसरे के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाना चाहते हैं l और जो उनके ऐसे कार्यों में सहयोग न दे , उनके जाल में न फंसे , उसकी खैर नहीं l आज हम सब को मिलकर समाज की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश व्यक्ति अपनी कमजोरियों और दुष्प्रवृत्तियों के कारण अपने स्वाभिमान को गंवाकर किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बने रहते हैं , इसकी डोर किसके हाथ में है वे स्वयं नहीं जानते l जब समाज का वातावरण ऐसी दुष्प्रवृत्तियों की वजह से विषाक्त हो जाये तब लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में निष्काम कर्म , पुण्य कार्य करने चाहिए जिससे नकारात्मकता दूर होगी l
समाज में नकली चेहरा लगाये हुए अपराधियों से निपटना जरुरी है
आतंकवाद से तो संसार की बड़ी - बड़ी शक्तियों के साथ मिलकर निपटा जा सकता है लेकिन देश में ही जो लोग शराफत का नकाब पहन कर अपराध करते हैं , लोगों को मानसिक रूप से उत्पीड़ित करते है , कन्याओं और छोटे बच्चों को सताते हैं , ऐसे अपराधी और उन्हें संरक्षण देने वाले बच जाते हैं और फिर बड़े अपराधों को अंजाम देते हैं ---- इन्हें क्या नाम दिया जाये ? इन्हें समाप्त करना जरुरी है क्योंकि ये लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी से भी साठ - गाँठ कर सकते हैं l
एक - एक सीढ़ी चढ़कर ही आगे बढ़ा जा सकता है , यदि संसार का प्रत्येक राष्ट्र निष्पक्ष होकर अपने - अपने देश के अपराधियों को कठोर सजा दे , उन पर सख्त नियंत्रण रखे तो अपने आप ही पूरे संसार में शांति हो जाये l
एक - एक सीढ़ी चढ़कर ही आगे बढ़ा जा सकता है , यदि संसार का प्रत्येक राष्ट्र निष्पक्ष होकर अपने - अपने देश के अपराधियों को कठोर सजा दे , उन पर सख्त नियंत्रण रखे तो अपने आप ही पूरे संसार में शांति हो जाये l
Wednesday 15 November 2017
दंड का भय न होने से अपराध बढ़ते है
यदि समाज में ऊँच - नीच , छोटे - बड़े , अमीर - गरीब आदि भेदभाव न करके प्रत्येक अपराधी को उसके अपराध के लिए दंड दिया जाये , तो लोग अपराध करने से डरेंगे l लेकिन ऐसा होता नहीं है l जब लोग जानते हैं कि वे कैसा भी अपराध करें उनके ' आका ' उन्हें दंड से बचा लेंगे , समाज उन्हें बहिष्कृत नहीं करेगा बल्कि अपने छोटे - बड़े स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनकी पहचान से फायदा उठाएगा , तब ऐसे लोग अपनी - अपनी मानसिकता के अनुरूप कभी खुलकर , कभी छुपकर घोर अपराध करते हैं l जो लोग प्रत्यक्ष रूप से अपराध कर रहे हैं , वे तो अपराधी हैं ही , लेकिन जो लोग इन अपराधियों को शह देते हैं , कानून से बचने में उनकी हर संभव मदद करते हैं , अपने अनैतिक कार्य और बड़े - बड़े स्वार्थ उनसे पूरे कराते हैं , वे भी उन अपराधों में बराबर के भागीदार हैं l अब समाज को जागरूक होना पड़ेगा , संगठित होना होगा कि अपराधियों को बहिष्कृत करे , चाहे उनका समाज में कोई भी स्टेटस हो l
आज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि लोग अपनी दुर्बुद्धि के कारण और अपराधियों के खौफ के कारण अपराधियों का ही साथ दे रहे हैं और अच्छाई को बहिष्कृत कर रहे हैं l जागरूकता जरुरी है l
आज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि लोग अपनी दुर्बुद्धि के कारण और अपराधियों के खौफ के कारण अपराधियों का ही साथ दे रहे हैं और अच्छाई को बहिष्कृत कर रहे हैं l जागरूकता जरुरी है l
Saturday 14 October 2017
मानसिक प्रदूषण अशांति का बड़ा कारण है
नशा , मांसाहार , निम्न स्तर का साहित्य और वैसी ही फिल्म देखने आदि अनेक कारणों से आज लोगों की मानसिकता प्रदूषित हो गई है और इस प्रदूषण ने बच्चे , युवा , प्रौढ़ , वृद्ध सबको अपनी गिरफ्त में ले लिया है l इसी कारण समाज में अपराध में वृद्धि हुई है , दंड का भय न होने से पाशविकता और बढ़ती जाती है l
प्रत्येक व्यक्ति , प्रत्येक परिवार स्वयं अपना सुधार करे तभी सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा l
प्रत्येक व्यक्ति , प्रत्येक परिवार स्वयं अपना सुधार करे तभी सकारात्मक परिवर्तन संभव होगा l
Thursday 12 October 2017
धन के लालच ने वर्ग भेद और जाति - भेद और ऊँच - नीच के मायने बदल दिए
समाज में एक वर्ग ऐसा तैयार हो गया है जिसका उद्देश्य हर तरीके से धन कमाना , लोगों पर प्रभुत्व जमाना और अपनी झूठी शान को बनाये रखना है l जो उनके इस ' स्वार्थ ' में मदद करते हैं उनकी कठपुतली बन कर रहते हैं , उन्हें हर तरह का लाभांश मिलता रहता है , फिर उनकी जाति, धर्म , वर्ग कुछ भी हो कोई फरक नहीं पड़ता , पुरुष हो या महिला हो , उनके इशारों पर चले तो ठीक अन्यथा जीना मुश्किल कर देंगे l यह वर्ग ' एक्स ' है
दूसरा वर्ग ' वाई ' वह है जिसका विवेक जाग्रत है , वह किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनता , ईमानदारी से जीता है , ईमानदारी उसकी मजबूरी नहीं उसका स्वभाव है , उसके संस्कार हैं l वर्ग 'एक्स ' मन ही मन इससे भयभीत रहता है , इसका ऐसे बायकाट करता है जैसे इसने कोई भयंकर अपराध किया हो l अब ईमानदारी और सच्चाई से जीने वाला अछूतों की श्रेणी में आ गया है l
इस समाज से ऊपर एक प्राकृतिक व्यवस्था है जहाँ तराजू से तोलकर न्याय होता है l जिनके जीवन की दिशा गलत है और जो ऐसे गलत लोगों का , अन्यायी का साथ देते हैं , उन्हें सांसारिक लाभ चाहे जितना मिल जाये लेकिन तरह - तरह की मुसीबतें , परेशानी , अशांति उनके हिस्से में आती है l जो सही मार्ग पर चलते हैं , किसी का अहित नहीं करते हैं उनको परेशानियाँ एक हलके कांटे की तरह छूकर निकल जाती हैं l इस संसार में जो सबसे अनमोल है ' मन की शान्ति ' इनके पास होती है l
प्रत्येक व्यक्ति के सामने ये दोनों रास्ते हैं , व्यक्ति को स्वयं चयन करना है कि वह किस रास्ते पर चले ? अपने स्वाभिमान को खोकर संसार को खुश रखे या अपनी आत्मा को , ह्रदय में बैठे ईश्वर को प्रसन्न कर सिर उठाकर चले l
दूसरा वर्ग ' वाई ' वह है जिसका विवेक जाग्रत है , वह किसी के हाथ की कठपुतली नहीं बनता , ईमानदारी से जीता है , ईमानदारी उसकी मजबूरी नहीं उसका स्वभाव है , उसके संस्कार हैं l वर्ग 'एक्स ' मन ही मन इससे भयभीत रहता है , इसका ऐसे बायकाट करता है जैसे इसने कोई भयंकर अपराध किया हो l अब ईमानदारी और सच्चाई से जीने वाला अछूतों की श्रेणी में आ गया है l
इस समाज से ऊपर एक प्राकृतिक व्यवस्था है जहाँ तराजू से तोलकर न्याय होता है l जिनके जीवन की दिशा गलत है और जो ऐसे गलत लोगों का , अन्यायी का साथ देते हैं , उन्हें सांसारिक लाभ चाहे जितना मिल जाये लेकिन तरह - तरह की मुसीबतें , परेशानी , अशांति उनके हिस्से में आती है l जो सही मार्ग पर चलते हैं , किसी का अहित नहीं करते हैं उनको परेशानियाँ एक हलके कांटे की तरह छूकर निकल जाती हैं l इस संसार में जो सबसे अनमोल है ' मन की शान्ति ' इनके पास होती है l
प्रत्येक व्यक्ति के सामने ये दोनों रास्ते हैं , व्यक्ति को स्वयं चयन करना है कि वह किस रास्ते पर चले ? अपने स्वाभिमान को खोकर संसार को खुश रखे या अपनी आत्मा को , ह्रदय में बैठे ईश्वर को प्रसन्न कर सिर उठाकर चले l
Monday 2 October 2017
संवेदनहीन समाज अशांत और अव्यवस्थित होता है
आज की सबसे बड़ी समस्या है कि लोगों के ह्रदय में संवेदना समाप्त हो चुकी है l अब लोग दूसरे की मृत्यु का , दूसरों के कष्ट का तमाशा देखते हैं , वीडिओ बनाते हैं l किसी की मदद नहीं करते l यदि कोई मदद करना भी चाहे तो दुष्ट प्रवृति के लोग उस पीड़ित व्यक्ति को इतना टार्चर करते हैं , उस पर दबाव बनाते हैं कि वह उस मदद करने वाले के पास न जाये l क्योंकि यदि पीड़ित व्यक्ति किसी नि:स्वार्थ सेवा भाव वाले के पास चले गए तो उसको यश मिल जायेगा , यह स्वार्थी समाज से सहन नहीं होगा कि किसी को यश मिले , तारीफ मिले l और सबसे बढ़कर भ्रष्टाचार में बाधा उपस्थित होगी l
ऐसे स्वार्थी और संवेदनहीन समाज में आपदाएं , विपदाएं आती हैं , लोग मौखिक रूप से दुःख मना कर , अपने ऐश- आराम में मगन हो जाते हैं l
जाके पैर न फटे बिवाई , वो का जाने पीर पराई l
ऐसे स्वार्थी और संवेदनहीन समाज में आपदाएं , विपदाएं आती हैं , लोग मौखिक रूप से दुःख मना कर , अपने ऐश- आराम में मगन हो जाते हैं l
जाके पैर न फटे बिवाई , वो का जाने पीर पराई l
Saturday 30 September 2017
आत्म - निरीक्षण जरुरी है
संसार में समय - समय पर आपदाएं आती रहती हैं , कुछ प्राकृतिक हैं तो अनेक दुर्घटनाएं मानवीय भूलों का परिणाम हैं l ऐसी दुर्घटनाओं में अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है अनेक परिवार बिखर जाते हैं l सबसे बड़ी बात यह है कि ये दुर्घटनाएं यह नहीं देखतीं कि --- किस दल को मारें , किस धर्म , किस समुदाय , नारी अथवा पुरुष किस पर प्रकोप दिखाएँ ? इन दुर्घटनाओं में तो अच्छे - बुरे , ऊँच - नीच , छोटे - बड़े , किसी पर भी विपत्ति आ सकती है l प्रत्येक मनुष्य जब अपने ---- अधिकार और कर्तव्य ---- दोनों के प्रति जागरूक होगा तभी समस्या हल हो सकती है l
Friday 29 September 2017
कर्तव्यपालन में ईमानदारी न होना
समाज में असमानता है
समाज में अनेक समस्याएं हैं , उनके मूल में एक ही कारण है कि जो व्यक्ति जहाँ लगा है वह ईमानदारी से काम नहीं कर रहा l लोग गरीबों से , मेहनत - मजदूरी करने वालों से और बहुत कम वेतन पाने वालों से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं , थोड़ा भी काम गलत होने पर उनसे दुर्व्यवहार करते हैं l लेकिन ये वर्ग भी क्या करे ? जब देखते हैं कि एक से एक अमीर और समर्थ लोग अपनी जेब भरने में लगे हैं , ईमानदारी है ही नहीं , तो ये लोग भी अपने काम में लापरवाह रहते हैं , इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि हम सब एक माला के मोती हैं , एक मोती भी खराब होगा तो माला तो माला सही नहीं रहेगी l
समाज में अनेक समस्याएं हैं , उनके मूल में एक ही कारण है कि जो व्यक्ति जहाँ लगा है वह ईमानदारी से काम नहीं कर रहा l लोग गरीबों से , मेहनत - मजदूरी करने वालों से और बहुत कम वेतन पाने वालों से ईमानदारी की उम्मीद करते हैं , थोड़ा भी काम गलत होने पर उनसे दुर्व्यवहार करते हैं l लेकिन ये वर्ग भी क्या करे ? जब देखते हैं कि एक से एक अमीर और समर्थ लोग अपनी जेब भरने में लगे हैं , ईमानदारी है ही नहीं , तो ये लोग भी अपने काम में लापरवाह रहते हैं , इस सत्य को स्वीकार करना होगा कि हम सब एक माला के मोती हैं , एक मोती भी खराब होगा तो माला तो माला सही नहीं रहेगी l
Wednesday 27 September 2017
अशांति का कारण है ----- नारी - उत्पीड़न
जिस भी समाज में नारी को शारीरिक और मानसिक रूप से उत्पीड़ित किया जाता है , वहां अशान्ति होती है , विकास अवरुद्ध हो जाता है l परिवारों में महिलाओं पर दहेज़ हत्या , भ्रूण हत्या आदि अनेक कारणों से अत्याचार होते हैं l पढने- लिखने , नौकरी करने , स्वयं को सक्षम बनाने के लिए जब वे घर से बाहर जाती हैं तो वहां भी उत्पीड़न होता है l
नारी उत्पीड़न के लिए कोई एक विशेष वर्ग , विशेष धर्म , विशेष जाति, समूह जिम्मेदार नहीं है , इसका मुख्य कारण है पुरुषों की मानसिकता , उनकी शोषण करने और हुकूमत ज़माने की प्रवृति l समस्या इसलिए विकट हो गई है कि अब वासना , कामना और धन की तृष्णा ने पुरुषों में कायरता को बढ़ा दिया है l पहले के पुरुषों में स्वाभिमान था , वे महिलाओं से मदद लेना अपने पौरुष के विरुद्ध समझते थे लेकिन अब पुरुषों ने नारी - सुलभ कमजोरियों और उनके घर - बाहर के दोहरे दायित्व की उनकी व्यस्तता का लाभ उठाकर उन्हें भ्रष्टाचार का माध्यम बना लिया है l पहले केवल पुरुष भ्रष्टाचार में लिप्त थे लेकिन अब उन्होंने अपने दांवपेंच लगाकर महिलाओं को भी जोड़ लिया l इससे समाज में भ्रष्टाचार और अपराध दोनों बढ़े हैं l अनेक महिलाओं को तो इस बात का ज्ञान ही नहीं होता कि उनकी योग्यता और कुशलता का कोई फायदा उठा रहा है , कुछ को ज्ञान होता है लेकिन वे अपनी कमजोरियों के कारण चुप रहती हैं या यों कहें कि चक्रव्यूह में फंसकर निकलना मुश्किल होता है l कुछ महिलाएं जिनका विवेक जाग्रत है , जिन पर ईश्वर की कृपा है वे इस जाल से बच जाती हैं तो ' हारे हुए जुआरी ' की तरह पुरुष उसका जीना मुश्किल कर देते हैं l
नारी शिक्षित हो या न हो , परिवार में , समाज में उसका उत्पीड़न हर हाल में है l इस स्थिति से उबरने के लिए नारी को ही जागरूक होना पड़ेगा l शिक्षित होने के साथ ही जीवन जीने की कला का ज्ञान जरुरी है l माँ दुर्गा की पूजा ही पर्याप्त नहीं है , हमें सद्गुणों को अपने आचरण में लाना होगा l
नारी उत्पीड़न के लिए कोई एक विशेष वर्ग , विशेष धर्म , विशेष जाति, समूह जिम्मेदार नहीं है , इसका मुख्य कारण है पुरुषों की मानसिकता , उनकी शोषण करने और हुकूमत ज़माने की प्रवृति l समस्या इसलिए विकट हो गई है कि अब वासना , कामना और धन की तृष्णा ने पुरुषों में कायरता को बढ़ा दिया है l पहले के पुरुषों में स्वाभिमान था , वे महिलाओं से मदद लेना अपने पौरुष के विरुद्ध समझते थे लेकिन अब पुरुषों ने नारी - सुलभ कमजोरियों और उनके घर - बाहर के दोहरे दायित्व की उनकी व्यस्तता का लाभ उठाकर उन्हें भ्रष्टाचार का माध्यम बना लिया है l पहले केवल पुरुष भ्रष्टाचार में लिप्त थे लेकिन अब उन्होंने अपने दांवपेंच लगाकर महिलाओं को भी जोड़ लिया l इससे समाज में भ्रष्टाचार और अपराध दोनों बढ़े हैं l अनेक महिलाओं को तो इस बात का ज्ञान ही नहीं होता कि उनकी योग्यता और कुशलता का कोई फायदा उठा रहा है , कुछ को ज्ञान होता है लेकिन वे अपनी कमजोरियों के कारण चुप रहती हैं या यों कहें कि चक्रव्यूह में फंसकर निकलना मुश्किल होता है l कुछ महिलाएं जिनका विवेक जाग्रत है , जिन पर ईश्वर की कृपा है वे इस जाल से बच जाती हैं तो ' हारे हुए जुआरी ' की तरह पुरुष उसका जीना मुश्किल कर देते हैं l
नारी शिक्षित हो या न हो , परिवार में , समाज में उसका उत्पीड़न हर हाल में है l इस स्थिति से उबरने के लिए नारी को ही जागरूक होना पड़ेगा l शिक्षित होने के साथ ही जीवन जीने की कला का ज्ञान जरुरी है l माँ दुर्गा की पूजा ही पर्याप्त नहीं है , हमें सद्गुणों को अपने आचरण में लाना होगा l
Tuesday 26 September 2017
मनुष्य को स्वयं ही सुधरना होगा
समाज में अशांति हो , लोग मर्यादाहीन आचरण कर रहे हों , असुरता बढ़ रही हो ---- और हम सोचें कि भगवान आयेंगे , फिर सब ठीक हो जायेगा --- यह असंभव है l महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार , उन्हें अपमानित व उपेक्षित करना ---- ये सब ऐसी बातें हैं जिनका प्रभाव दीर्घकालीन होता है और ये घटनाएँ परिवार , समाज सब जगह अशांति उत्पन्न करती है l
पुरुषों ने युगों से नारी को अपनी दासी समझा है और हर तरह से अत्याचार किया है l अनेक महान पुरुषों के प्रयासों से जब महिलाएं आगे बढ़ रही हैं तो अब पुरुष वर्ग यह सहन नहीं कर पा रहा , उनकी नारी जाति के प्रति ईर्ष्या बढ़ गई है l बाहरी जीवन में पुरुष केवल उन्ही महिलाओं की उपस्थिति को स्वीकार करते हैं जो उनके भ्रष्टाचार में सहयोग दे , उनके इशारों पर काम करे महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं से नारी तो अपमानित , उत्पीड़ित होती है , ऐसी घटनाओं से सम्पूर्ण पुरुष जाति नारी की निगाहों में अपना सम्मान खो देती है l नारी को तो अपमान , उपेक्षा सहने की आदत बन चुकी है , लेकिन जब पुरुष वर्ग को सम्मान नहीं मिलता तो उनमे हीनता का भाव पैदा हो जाता है l
ऐसी समस्या से निपटने के लिए समाज के सम्भ्रांत पुरुषों को ही आगे आना होगा जो मर्यादाहीन आचरण करने वाले लोगों पर लगाम लगायें l श्रेष्ठ आचरण से ही समाज में सुधार संभव है , ' बाबाओं ' ने तो समाज को पतन के गर्त में धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी l
पुरुषों ने युगों से नारी को अपनी दासी समझा है और हर तरह से अत्याचार किया है l अनेक महान पुरुषों के प्रयासों से जब महिलाएं आगे बढ़ रही हैं तो अब पुरुष वर्ग यह सहन नहीं कर पा रहा , उनकी नारी जाति के प्रति ईर्ष्या बढ़ गई है l बाहरी जीवन में पुरुष केवल उन्ही महिलाओं की उपस्थिति को स्वीकार करते हैं जो उनके भ्रष्टाचार में सहयोग दे , उनके इशारों पर काम करे महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं से नारी तो अपमानित , उत्पीड़ित होती है , ऐसी घटनाओं से सम्पूर्ण पुरुष जाति नारी की निगाहों में अपना सम्मान खो देती है l नारी को तो अपमान , उपेक्षा सहने की आदत बन चुकी है , लेकिन जब पुरुष वर्ग को सम्मान नहीं मिलता तो उनमे हीनता का भाव पैदा हो जाता है l
ऐसी समस्या से निपटने के लिए समाज के सम्भ्रांत पुरुषों को ही आगे आना होगा जो मर्यादाहीन आचरण करने वाले लोगों पर लगाम लगायें l श्रेष्ठ आचरण से ही समाज में सुधार संभव है , ' बाबाओं ' ने तो समाज को पतन के गर्त में धकेलने में कोई कसर नहीं छोड़ी l
Friday 22 September 2017
अशांति का कारण है -- मनुष्य सरल रास्ते से तरक्की चाहता है
धन - दौलत और पद - प्रतिष्ठा हर व्यक्ति चाहता है l महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है , लेकिन आज के समय में लोगों में धैर्य नहीं है , सब कुछ बिना मेहनत के और बहुत जल्दी पा लेना चाहते हैं l इसके लिए ऐसे लोगों के पास एक ही तरीका है --- जिसके माध्यम से सब कुछ अति शीघ्र हासिल हो सके , उसकी खुशामद करो l लोग इस कदर चापलूसी करते हैं जैसे वह व्यक्ति भगवान हो , जिसमे उनके भाग्य बदलने की क्षमता हो l
इस एक दोष के कारण समाज का वातावरण दूषित होता है l जिसकी चापलूसी की जाती है उसका अहंकार उसके सिर चढ़ जाता है वह सब पर अपनी हुकूमत चलाना चाहता है l
जो चापलूसी करता है वह धन - सम्पदा तो इकट्ठी कर लेता है लेकिन अपनी योग्यता नहीं बढ़ाता, उसका व्यक्तित्व खोखला हो जाता है l वह भी अपने लिए चापलूसों की भीड़ चाहता है और इसके लिए हर प्रकार के तरीके अपनाता है , इसी कारण समाज में अशांति होती है l
इस एक दोष के कारण समाज का वातावरण दूषित होता है l जिसकी चापलूसी की जाती है उसका अहंकार उसके सिर चढ़ जाता है वह सब पर अपनी हुकूमत चलाना चाहता है l
जो चापलूसी करता है वह धन - सम्पदा तो इकट्ठी कर लेता है लेकिन अपनी योग्यता नहीं बढ़ाता, उसका व्यक्तित्व खोखला हो जाता है l वह भी अपने लिए चापलूसों की भीड़ चाहता है और इसके लिए हर प्रकार के तरीके अपनाता है , इसी कारण समाज में अशांति होती है l
Wednesday 20 September 2017
WISDOM ----- वेश - विन्यास से अपनी राष्ट्रीयता और संस्कृति का परिचय मिलता है
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि तंग वस्त्र और शरीर का प्रदर्शन करने वाले वस्त्र स्वास्थ्य की द्रष्टि से उपयुक्त नहीं हैं l अपनी संस्कृति के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों का विचार है कि ऐसे वस्त्रों में विवेकहीनता और फूहड़पन झलकता है l अपने देश , अपनी संस्कृति के अनुरूप पहनावा ही इस बात कि सूचना देता है कि हम राजनीतिक रूप से ही नहीं , मानसिक और संस्कृतिक रूप से भी स्वतंत्र हैं l
बात उन दिनों कि है जब विश्वविख्यात रसायन वैज्ञानिक डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे l पूरे देश में स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय भावनाएं हिलोरें ले रहीं थीं l डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय का अंतर्मन इनसे अछूता न रह सका l अपने वैज्ञानिक कार्यों के बीच राष्ट्र प्रेम को किस तरह निभाएं ? यह जानने के लिए वे गांधीजी से मिलने गए l
गांधीजी ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा --- " राय महाशय ! इतनी भी जल्दी क्या थी जो आप ऐसे ही चले आये l " महात्मा गाँधी कि बात ने उन्हें हैरानी में डाल दिया , तब गांधीजी ने कहा ---- ------ " विदेशी ढंग के कपड़े पहन कर सही ढंग से राष्ट्र सेवा नहीं की जा सकती l राष्ट्रीय मूल्य , राष्ट्रीय भावनाएं एवं राष्ट्रीय संस्कृति , इन सबकी एक ही पहचान है , अपना राष्ट्रीय वेश - विन्यास l " अब बापू बातें प्रोफेसर राय की समझ में आ गईं l उस दिन से उन्होंने अपना पहनावा पूरी तरह बदल डाला l देशी खद्दर का देशी पहनावा जीवन के अंतिम क्षणों तक उनका साथी रहा l
बात उन दिनों कि है जब विश्वविख्यात रसायन वैज्ञानिक डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे l पूरे देश में स्वाधीनता के लिए राष्ट्रीय भावनाएं हिलोरें ले रहीं थीं l डॉ. प्रफुल्लचंद्र राय का अंतर्मन इनसे अछूता न रह सका l अपने वैज्ञानिक कार्यों के बीच राष्ट्र प्रेम को किस तरह निभाएं ? यह जानने के लिए वे गांधीजी से मिलने गए l
गांधीजी ने उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और कहा --- " राय महाशय ! इतनी भी जल्दी क्या थी जो आप ऐसे ही चले आये l " महात्मा गाँधी कि बात ने उन्हें हैरानी में डाल दिया , तब गांधीजी ने कहा ---- ------ " विदेशी ढंग के कपड़े पहन कर सही ढंग से राष्ट्र सेवा नहीं की जा सकती l राष्ट्रीय मूल्य , राष्ट्रीय भावनाएं एवं राष्ट्रीय संस्कृति , इन सबकी एक ही पहचान है , अपना राष्ट्रीय वेश - विन्यास l " अब बापू बातें प्रोफेसर राय की समझ में आ गईं l उस दिन से उन्होंने अपना पहनावा पूरी तरह बदल डाला l देशी खद्दर का देशी पहनावा जीवन के अंतिम क्षणों तक उनका साथी रहा l
Tuesday 19 September 2017
संस्कृति की रक्षा जरुरी है
भारतीय संस्कृति को मिटाने के अनेकों प्रयास हुए लेकिन ' कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी l '
आज हम सबको जागरूक होने की जरुरत है l कहीं दंगा हो , बम विस्फोट हो , दहशत की वजह से जानमाल की हानि हो तो उस क्षेत्र विशेष के लोग उस घटना को भूल नहीं पाते l डर उनके ह्रदय में समां जाता है , सामान्य स्थिति में आने में बहुत समय लग जाता है l
हम बच्चों के कोमल मन की कल्पना कर सकते हैं , स्कूलों में बच्चों को टार्चर किया जाये , किसी बच्चे का मर्डर हो जाये , अज्ञात कारण से किसी बच्चे की स्कूल में मृत्यु हो जाये तो ऐसी घटनाओं का सीधा प्रभाव बच्चों के आत्मविश्वास पर पड़ता है , वे भयभीत रहने लगते हैं , उनका सही मानसिक विकास नहीं हो पाता , आत्मविश्वास डगमगाने लगता है l ऐसी घटनाएँ बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करती है l
एक देश का वैभव उसका कुशल और आत्मविश्वास से भरपूर मानवीय संसाधन है l आज के बच्चे ही , कल देश की कार्यशील जनसँख्या हैं , देश का भविष्य हैं l ऐसे आतंकियों से उनकी रक्षा करना , उन्हें संरक्षण देना अनिवार्य है l
आज हम सबको जागरूक होने की जरुरत है l कहीं दंगा हो , बम विस्फोट हो , दहशत की वजह से जानमाल की हानि हो तो उस क्षेत्र विशेष के लोग उस घटना को भूल नहीं पाते l डर उनके ह्रदय में समां जाता है , सामान्य स्थिति में आने में बहुत समय लग जाता है l
हम बच्चों के कोमल मन की कल्पना कर सकते हैं , स्कूलों में बच्चों को टार्चर किया जाये , किसी बच्चे का मर्डर हो जाये , अज्ञात कारण से किसी बच्चे की स्कूल में मृत्यु हो जाये तो ऐसी घटनाओं का सीधा प्रभाव बच्चों के आत्मविश्वास पर पड़ता है , वे भयभीत रहने लगते हैं , उनका सही मानसिक विकास नहीं हो पाता , आत्मविश्वास डगमगाने लगता है l ऐसी घटनाएँ बच्चों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करती है l
एक देश का वैभव उसका कुशल और आत्मविश्वास से भरपूर मानवीय संसाधन है l आज के बच्चे ही , कल देश की कार्यशील जनसँख्या हैं , देश का भविष्य हैं l ऐसे आतंकियों से उनकी रक्षा करना , उन्हें संरक्षण देना अनिवार्य है l
Monday 18 September 2017
अन्याय और अत्याचार समाप्त क्यों नहीं होता ?
अपराधी यदि पकड़ में न आये , उसे दंड का भय न हो , तो उनके हौसले बुलंद हो जाते हैं और उनके भीतर कायरता बढ़ती जाती है l बच्चों की हत्या करना कायरता की चरम सीमा है l न्याय की अपनी एक प्रक्रिया है l अपराध इसलिए बढ़ते हैं क्योंकि समाज संगठित रूप से अपराधियों का बहिष्कार नहीं करता l बुरे से बुरा व्यक्ति भी समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए चेहरे पर शराफत का नकाब ओढ़े रहता है l समाज के लोग उसकी असलियत को जानते भी हैं लेकिन अपने छोटे - छोटे स्वार्थ के लिए वे उससे जुड़े रहते हैं , ' गिव एंड टेक ' चलता रहता है जनता जागरूक होगी , संगठित होगी तभी समस्याओं से मुक्ति है l विज्ञान ने मनुष्य को इतना बुद्धिमान बना दिया है कि ' कठपुतली ' की डोर किसके हाथ में है , यह जानना कठिन है l
Friday 15 September 2017
वर्तमान के आधार पर ही भविष्य का निर्माण होता है
सुनहरे भविष्य के लिए हमें वर्तमान में ही प्रयास करना होगा l बालक - बालिकाओं का जीवन सुरक्षित न हो , युवा पीढ़ी के जीवन को सही दिशा न हो , अश्लीलता अपने चरम पर हो और जो समर्थ हैं वे धन , पद और प्रतिष्ठा की अंधी दौड़ में लगे हों , तो भविष्य कैसा होगा ?
आज लोगों का अहंकार इस कदर बढ़ गया है कि वे बच्चों को निशाना बना कर , देश के भविष्य पर , संस्कृति पर वार कर अपने अहंकार को पोषित कर रहे हैं l
जिस प्रकार दंड का भय न होने से व्यक्ति अपराध करता है , अनैतिक और अमानवीय कार्य करता है , यदि कठोर दंड का भय हो तो लोग अपराध करने से डरेंगे जिससे वातावरण में सुधार होगा l
आज लोगों का अहंकार इस कदर बढ़ गया है कि वे बच्चों को निशाना बना कर , देश के भविष्य पर , संस्कृति पर वार कर अपने अहंकार को पोषित कर रहे हैं l
जिस प्रकार दंड का भय न होने से व्यक्ति अपराध करता है , अनैतिक और अमानवीय कार्य करता है , यदि कठोर दंड का भय हो तो लोग अपराध करने से डरेंगे जिससे वातावरण में सुधार होगा l
Thursday 14 September 2017
संवेदनहीन समाज में अशान्ति होती है
अब लोगों में संवेदना समाप्त हो गई है और कायरता बढ़ गई है l भ्रूण हत्या , छोटी बच्चियों के साथ अनैतिक कार्य , स्कूल में पढने वाले बच्चों की निर्मम हत्या ---- यह सब व्यक्ति की कायरता के प्रमाण हैं l बाहरी आतंकवाद को तो सैन्य शक्ति मजबूत कर के रोका जा सकता है लेकिन देश के भीतर ही पीछे से वार करने वाले आतंकियों को रोकने से ही समाज में शान्ति होगी l जिनके ह्रदय में संवेदना सूख गई है , तो इस संवेदना को जगाने का , पुन: हरा - भरा करने का कोई तरीका नहीं है l केवल एक ही रास्ता है --- ऐसे अपराधियों को कठोर और शीघ्र दण्ड दिया जाये l समाज को जागरूक होना पड़ेगा , जो लोग अपराधियों को संरक्षण देते हैं उनका सामूहिक बहिष्कार करें l
Wednesday 13 September 2017
बच्चों तुम तकदीर हो कल ------- ?--? __-- ?---
बच्चे ही किसी देश का भविष्य होते हैं लेकिन जहाँ छोटी सी उम्र के कोमल बच्चों को मार दिया जाता हो , ऐसी घटनाओं से अन्य बच्चे भयभीत हों और भय के वातावरण में पल कर युवा हों तो वह समाज कैसा होगा ? इसकी कल्पना की जा सकती है l
दंड का भय समाप्त हो जाये , अपराधियों को संरक्षण देने वाले अनेक ' आका ' हों तो ये अपराध कैसे रुकेंगे l सर्वप्रथम हमें ऐसे लोगों को ' जो छुप कर निहत्थे और मासूम बच्चों ' की अमानवीय तरीके से हत्या करते हैं , और जो इन्हें पनाह देते हैं , उन्हें एक ' नाम ' देना पड़ेगा क्योंकि यह केवल हत्या नहीं है , देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है l
दंड का भय समाप्त हो जाये , अपराधियों को संरक्षण देने वाले अनेक ' आका ' हों तो ये अपराध कैसे रुकेंगे l सर्वप्रथम हमें ऐसे लोगों को ' जो छुप कर निहत्थे और मासूम बच्चों ' की अमानवीय तरीके से हत्या करते हैं , और जो इन्हें पनाह देते हैं , उन्हें एक ' नाम ' देना पड़ेगा क्योंकि यह केवल हत्या नहीं है , देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है l
Sunday 10 September 2017
सुख - शान्ति से जीने का एक ही रास्ता ----- निष्काम कर्म
प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन अपने लिए सुन्दर दुनिया स्वयं बनानी पड़ती है l सुख - शान्ति से वही व्यक्ति जीवन जी सकता है जिसके पास विवेक हो , सद्बुद्धि हो l सद्बुद्धि कहीं बाजार में नहीं मिलती और न ही इसे कोई सिखा सकता है l लोभ , लालच , स्वार्थ , ईर्ष्या, अहंकार , झूठ , बेईमानी , धोखा , अनैतिक कार्य जैसे दुर्गुणों को त्यागने का प्रयास करने के साथ जब कोई निष्काम कर्म करता है , तब धीरे - धीरे उसके ये विकार दूर होते है और निर्मल मन होने पर ईश्वर की कृपा से उसको सद्बुद्धि मिलती है l सद्बुद्धि न होने पर संसार के सारे वैभव होने पर भी व्यक्ति अशांत रहता है l अपनी दुर्बुद्धि के कारण छोटी सी समस्या को बहुत बड़ी समस्या बना लेता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
Saturday 9 September 2017
दंड का भय न होने से समाज में अशांति बढती है
हमारे आचार्य , ऋषि - मुनि का कहना था कि अपराधियों को कभी माफी नहीं मिलनी चाहिए l इसका समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है , लोगों में दंड का भय समाप्त हो जाता है l
आज के समय में लोग बड़े - बड़े अपराध करते हैं और समर्थ लोगों से अपना जुड़ाव रख कर सजा से बच जाते हैं l यदि पकडे भी गए तो जमानत पर छूट गए और वर्षों तक खुले घूमते हैं , ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l उनके सहारे अनेक लोगों के गैर - क़ानूनी धन्धे और काले - कारनामे चलते हैं l ऐसे में अपराधियों की श्रंखला बहुत बड़ी हो जाती है l
आज के समय में लोग बड़े - बड़े अपराध करते हैं और समर्थ लोगों से अपना जुड़ाव रख कर सजा से बच जाते हैं l यदि पकडे भी गए तो जमानत पर छूट गए और वर्षों तक खुले घूमते हैं , ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l उनके सहारे अनेक लोगों के गैर - क़ानूनी धन्धे और काले - कारनामे चलते हैं l ऐसे में अपराधियों की श्रंखला बहुत बड़ी हो जाती है l
Wednesday 6 September 2017
अशान्ति का कारण है ----- भय
यह भी एक आश्चर्य है कि समाज में भयभीत वे लोग होते हैं जिनके पास धन , पद - प्रतिष्ठा सब कुछ होता है l उन्हें हर वक्त उसके खोने का भय सताता रहता है l रावण के पास सोने की लंका थी , शनि , राहु, केतु सब उसके वश में थे लेकिन वो वनवासी राम से भयभीत था l ऐसे ही दुर्योधन था , उसने पांडवों का छल से राज्य हड़प लिया , उन्हें वनवास दे दिया लेकिन फिर भी वह उनसे भयभीत था , उन्हें समाप्त करने की नई- नई चालें चलता था l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
Wednesday 30 August 2017
धन - सम्पति की अधिकता बुराई की जड़ है
धन - सम्पति जरुरी भी है लेकिन इसकी अधिकता से व्यक्ति चाहे कोई भी हो उसमे बुरी आदतों का समावेश होने लगता है l बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो धन का सदुपयोग करें , बुराइयों से बचे रहें l आजकल के बाबा - बैरागियों के पास अपार सम्पदा है , यह सम्पदा देश - दुनिया में कहाँ तक फैली है , इसका आकलन करना कठिन है l एक सामान्य व्यक्ति के पास तो देने के लिए अपनी आस्था और श्रद्धा है , वह अपनी मेहनत की कमाई में से बहुत कम चढ़ावा चढ़ा पाता है , फिर इन बाबाओं के पास करोड़ों की सम्पदा , इतना वैभव कहाँ से आता है l जो लोग गलत रास्ते से अपार धन कमाते है , वे ऐसे बाबाओं के माध्यम से अपना धन ठिकाने लगाते हैं l इससे उन्हें दोहरा लाभ हो जाता है --- एक तो मन का अपराध - बोध कुछ कम हो जाता है और दूसरा वे इनके माध्यम से अपने बड़े - बड़े , हर तरह के स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं l अब जरुरत है जागरूकता की , अपनी क्षमताओं पर और उस अज्ञात शक्ति पर विश्वास रखने की l
Sunday 27 August 2017
मानसिक गुलामी
राजनैतिक रूप से पराधीनता से मुक्त होना ही पर्याप्त नहीं होता l वर्षों गुलामी भोगते - भोगते यदि हमारी गुलाम रहने की आदत बन चुकी है तो हम किसी न किसी कि गुलामी करते ही रहेंगे l जिस भी व्यक्ति के पास थोड़ी भी ताकत होती है , वह अपने शक्ति - प्रदर्शन के लिए लोगों को अपना गुलाम बना लेता है l युवा - वर्ग में सबसे ज्यादा ऊर्जा होती है , जीवन का इतना अनुभव नहीं होता , अत: यह वर्ग बड़ी जल्दी लोगों के बहकावे में आ जाता है l अपने ' आका ' के कहने पर ये लोग सड़कों पर नारे बाजी कर लें , दंगे - फसाद कर लें , तोड़ -फोड़ आदि हिंसक कारनामे कर लें इन लोगों के पास सोचने - समझने की शक्ति नहीं होती l विवेक न होने के कारण उनके इशारों पर कठपुतली की तरह नाचते हैं l यह स्थिति छोटे - बड़े हर क्षेत्र में है l
इस मानसिक गुलामी से तभी मुक्ति मिल सकती है जब बच्चों को शुरू से ही परिश्रमी और स्वाभिमानी बनाया जायेगा l
इस मानसिक गुलामी से तभी मुक्ति मिल सकती है जब बच्चों को शुरू से ही परिश्रमी और स्वाभिमानी बनाया जायेगा l
Friday 25 August 2017
धन और पद का लालच अशान्ति का कारण है
जनसँख्या के एक छोटे से भाग के पास ही धन , पद व प्रतिष्ठा होती है , यदि इस शक्ति का सदुपयोग किया जाता है तो पूरे समाज का , जनसँख्या के एक बड़े भाग का कल्याण होता है लेकिन जब इस शक्ति का दुरूपयोग होता है , इन लोगों में अपने इस ' सुख ' का लालच आ जाता है तो उसका परिणाम यह होता है कि धन व पद के ठेकेदार तो अपने मजबूत घरों में सुरक्षित रहते हैं , चैन की वंशी बजाते हैं और आम जनता , जनसँख्या का एक बड़ा भाग अराजकता और अव्यवस्था में पिसता और भयभीत रहता है l
जनता को अब जागने की और स्वाभिमान से जीने की जरुरत है l आज हर व्यक्ति स्वार्थी हो गया है , लोगों को सम्मोहित कर के , तरह - तरह से बेवकूफ बनाकर लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं l जब लोग अपनी मेहनत, अपने ईमान पर भरोसा करके स्वाभिमान से जीना सीखेंगे तभी शान्ति होगी l
जनता को अब जागने की और स्वाभिमान से जीने की जरुरत है l आज हर व्यक्ति स्वार्थी हो गया है , लोगों को सम्मोहित कर के , तरह - तरह से बेवकूफ बनाकर लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं l जब लोग अपनी मेहनत, अपने ईमान पर भरोसा करके स्वाभिमान से जीना सीखेंगे तभी शान्ति होगी l
Tuesday 22 August 2017
मानसिकता में परिवर्तन जरुरी है
मनुष्य के जैसे विचार होते हैं वह उसी के अनुरूप कार्य करता है l जब व्यक्ति अपने को श्रेष्ठ और ताकतवर समझता है , अहंकारी होता है तब वह अपनी हुकूमत अपने से कमजोर पर चलाता है l ऐसे कमजोर में चाहे -- नारी हो , अपने कार्यस्थल के कर्मचारी हों या अपने ही बच्चे हों , --- वे सबको अपने अनुशासन में चलाना चाहते हैं l ऐसी ही सोच से समाज में अत्याचार बढ़ते हैं l वक्त के साथ अत्याचार का रूप बदल जाता है l पहले समाज में अनेक कुप्रथाएं थीं -- सती-प्रथा थी , बाल -विवाह थे l समाज - सुधारकों के अनेक प्रयासों से यह कुप्रथाएं समाप्त हुईं तो अब दहेज़ -हत्या , कन्या -भ्रूण -हत्या , बलात्कार फिर हत्या ----- !
केवल नारी ही उत्पीड़ित नहीं है , ऐसे अहंकारी अपने बच्चों के लिए भी घातक हैं , अनेक जो उच्च पदों पर होते हैं ---डाक्टर , इंजीनियर, नेता --- वे अपने बच्चों की रूचि का ध्यान नहीं रखते , अपने धन और पद के बल पर , उचित - अनुचित हर प्रयास करके उन्हें अपनी इच्छा अनुसार चलाना चाहते हैं , ताकि समाज में उनकी ' झूठी प्रतिष्ठा ' बनी रहे , इसके लिए चाहे बच्चे कुर्बान हो जाएँ , उनकी ' प्रतिष्ठा ' बनी रहे l
समाज में सुधार के निरंतर प्रयास जरुरी हैं , लेकिन स्थायी सुधार तभी होगा जब लोगों के ह्रदय में संवेदना होगी , दूसरे के सुख - दुःख को अपना समझेंगे l शक्ति और अहंकार से नहीं , सद्गुणों से लोगों का ह्रदय जीतेंगे l
केवल नारी ही उत्पीड़ित नहीं है , ऐसे अहंकारी अपने बच्चों के लिए भी घातक हैं , अनेक जो उच्च पदों पर होते हैं ---डाक्टर , इंजीनियर, नेता --- वे अपने बच्चों की रूचि का ध्यान नहीं रखते , अपने धन और पद के बल पर , उचित - अनुचित हर प्रयास करके उन्हें अपनी इच्छा अनुसार चलाना चाहते हैं , ताकि समाज में उनकी ' झूठी प्रतिष्ठा ' बनी रहे , इसके लिए चाहे बच्चे कुर्बान हो जाएँ , उनकी ' प्रतिष्ठा ' बनी रहे l
समाज में सुधार के निरंतर प्रयास जरुरी हैं , लेकिन स्थायी सुधार तभी होगा जब लोगों के ह्रदय में संवेदना होगी , दूसरे के सुख - दुःख को अपना समझेंगे l शक्ति और अहंकार से नहीं , सद्गुणों से लोगों का ह्रदय जीतेंगे l
Sunday 20 August 2017
अशांति का मूल कारण ------ कर्तव्य की चोरी
आज की सबसे बड़ी जरुरत है ---- नैतिक शिक्षा l लोगों को अपने संस्कृतिक मूल्यों का ज्ञान हो , ह्रदय में संवेदना हो , पराये दुःख को अपना समझें , किसी को हानि न पहुंचाए ---- जब तक यह सब भावनाएं व्यक्ति में नहीं होंगी , वह ईमानदारी से अपना कर्तव्यपालन नहीं करता l लोगों को जोर - जबरदस्ती से सच्चाई के रास्ते पर नहीं चलाया जा सकता l जनता में अनुकरण करने की प्रवृति होती है , जैसा आचरण वे धन , पद और सामर्थ्य में अपने से अधिक ऊंचाई वाले , बड़े लोगों का देखती है वैसा ही अनुकरण जनता करती है l पारिवारिक , सामाजिक और राजनैतिक हर क्षेत्र में यह बात लागू होती है l समाज में बहुत बड़े परिवर्तन की जरुरत है l विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न पदों पर ऐसे व्यक्ति हों जो अपने आचरण से शिक्षा दें l
Friday 18 August 2017
अस्तित्व के लिए संघर्ष
समाज में तरह - तरह भेद होते हैं ---- ऊँच-नीच , अमीर- गरीब धर्म के आधार पर वर्ग भेद l इन सब से बढ़कर एक और वर्ग भेद संसार में बहुत समय से है --- यह योग्यता के आधार पर है ---- योग्य और अयोग्य l जो वास्तव में योग्य है , ईमानदारी और समर्पण भाव से कार्य करते हैं , वे अपने साथ औरों को भी आगे बढ़ाते हैं , इससे पूरा समाज और राष्ट्र तरक्की करता है l
लेकिन जब किसी समाज में दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तब अयोग्य व्यक्ति बड़ी मजबूती से संगठित हो जाते हैं l अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए वे ऐसा ताना - बाना बुनते हैं कि किसी की योग्यता से समाज परिचित ही न हो पाए l क्योंकि यदि योग्य व्यक्ति सामने आ गया तो उनकी अयोग्यता जग - जाहिर हो जाएगी l संगठित होना ऐसे लोगों की मज़बूरी है l मनुष्यों में यह कछुआ प्रवृति होती है , कोई आगे बड़े तो उसकी टांग खींच लेते हैं l ऐसे लोगों की वजह से ही समाज में अशांति , अपराध , भ्रष्टाचार बढ़ता है l
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जरुरी है कि सच्चाई और ईमानदारी से कार्य करने वाले अपने कर्तव्य - पथ पर डटे रहें , संगठित हों , पलायन न करें l हर रात्रि के बाद सुबह अवश्य होती है l
लेकिन जब किसी समाज में दुर्बुद्धि का प्रकोप होता है तब अयोग्य व्यक्ति बड़ी मजबूती से संगठित हो जाते हैं l अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए वे ऐसा ताना - बाना बुनते हैं कि किसी की योग्यता से समाज परिचित ही न हो पाए l क्योंकि यदि योग्य व्यक्ति सामने आ गया तो उनकी अयोग्यता जग - जाहिर हो जाएगी l संगठित होना ऐसे लोगों की मज़बूरी है l मनुष्यों में यह कछुआ प्रवृति होती है , कोई आगे बड़े तो उसकी टांग खींच लेते हैं l ऐसे लोगों की वजह से ही समाज में अशांति , अपराध , भ्रष्टाचार बढ़ता है l
ऐसी स्थिति से निपटने के लिए जरुरी है कि सच्चाई और ईमानदारी से कार्य करने वाले अपने कर्तव्य - पथ पर डटे रहें , संगठित हों , पलायन न करें l हर रात्रि के बाद सुबह अवश्य होती है l
Tuesday 15 August 2017
जागरूकता जरुरी है
लोगों को अपना गुलाम बनाना , उनका शोषण करना , अन्याय , अत्याचार करना , नारी जाति को उत्पीड़ित करना ----- यह हर उस व्यक्ति की प्रवृति है जिसके पास थोड़ी भी ताकत है l यदि दंड का भय न हो तो समाज में कायरता बढ़ जाती है l समाज में सारे उत्पीड़न का दायित्व कायर लोगों पर है , कायरता इस समाज का सबसे बड़ा कलंक है l इसी वजह से हम सदियों तक गुलाम रहे l राजनैतिक रूप से चाहे हम आजाद हो गए हों , पर शोषण , अत्याचार , अन्याय समाप्त नहीं हुआ l अत्याचारी के चेहरे बदल गए , नये कलाकार आ गये l
सही मायने में हम तभी आजाद होंगे जब लोगों की दुष्प्रवृत्तियों पर अंकुश होगा l दुष्प्रवृत्तियों का अंधकार बहुत सघन है , जनता अपना रोल -माँडल किसे चुने ?
सही मायने में हम तभी आजाद होंगे जब लोगों की दुष्प्रवृत्तियों पर अंकुश होगा l दुष्प्रवृत्तियों का अंधकार बहुत सघन है , जनता अपना रोल -माँडल किसे चुने ?
Friday 11 August 2017
ऐसी शिक्षण संस्थाएं खुलें जो लोगों को जीना सिखाएं
आज की सबसे बड़ी समस्या है कि लोगों को जीना नहीं आता l गरीब के जीवन में विभिन्न परेशानी आती हैं तो अपनी गरीबी के साथ वह उन्हें भी झेल लेता है और अपने सीमित साधनों में तीज - त्योहार आदि अवसर पर अपने परिवार और अपने समाज के साथ खुशियाँ भी मना लेता है l कष्ट कठिनाइयों में रहने से उसकी संघर्ष क्षमता विकसित हो जाती है l
लेकिन जो लोग सुख - सुविधाओं में रहते हैं , आरामतलबी का जीवन जीते हैं , उनकी श्रम करने की आदत नहीं होती l थोड़ी सी परेशानी भी उन्हें विचलित कर देती है l
शिक्षा ऐसी हो जो व्यक्ति को श्रम करना , कर्तव्य पालन करना , ईमानदारी और सच्चाई से रहना सिखाये l लोग थोडा सा धन - वैभव और किताबी ज्ञान होने से अहंकारी हो जाते है , उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते l ऐसे लोगों का अहंकार सम्पूर्ण समाज के लिए घातक हो जाता है l
नम्रता , करुणा , संवेदना , परोपकार जैसी भावनाएं जब जीवन की शुरुआत से ही बच्चों को सिखाई जाएँगी तभी एक स्वस्थ , सुन्दर समाज होगा l इन भावनाओं के अभाव में व्यक्ति निर्दयी हो जाता है l
लेकिन जो लोग सुख - सुविधाओं में रहते हैं , आरामतलबी का जीवन जीते हैं , उनकी श्रम करने की आदत नहीं होती l थोड़ी सी परेशानी भी उन्हें विचलित कर देती है l
शिक्षा ऐसी हो जो व्यक्ति को श्रम करना , कर्तव्य पालन करना , ईमानदारी और सच्चाई से रहना सिखाये l लोग थोडा सा धन - वैभव और किताबी ज्ञान होने से अहंकारी हो जाते है , उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ते l ऐसे लोगों का अहंकार सम्पूर्ण समाज के लिए घातक हो जाता है l
नम्रता , करुणा , संवेदना , परोपकार जैसी भावनाएं जब जीवन की शुरुआत से ही बच्चों को सिखाई जाएँगी तभी एक स्वस्थ , सुन्दर समाज होगा l इन भावनाओं के अभाव में व्यक्ति निर्दयी हो जाता है l
Tuesday 8 August 2017
आचरण से शिक्षा दें -----
प्रवचनों का , उपदेशों का लोगों पर कोई विशेष प्रभाव तब तक नहीं पड़ता जब तक उपदेश देने वाला स्वयं उन बातों को अपने आचरण में नहीं उतारता l जब कोई व्यक्ति स्वयं श्रेष्ठ आचरण करता है और फिर वैसा ही श्रेष्ठ आचरण करने का लोगों को उपदेश देता है तो उसकी वाणी में प्राण आ जाते है और उसकी कही हुई बात श्रोताओं के ह्रदय में उतर जाती है और वे उसकी बताई राह पर चलने लगते हैं l ऐसे लोग आज बहुत कम हैं l धन की चकाचौंध ने व्यक्ति को दोरंगा बना दिया l परदे के सामने कुछ है और परदे के पीछे कुछ और है l चाहे पारिवारिक जीवन हो , सामाजिक या राजनीतिक, यह खोखलापन सब जगह है l बूढ़े होते लोग भी अपनी कामना , वासना , लोभ , लालच का त्याग नहीं कर पाते , तो वे समाज को क्या शिक्षा देंगे ? कौन सा आदर्श प्रस्तुत करेंगे ? प्रकृति ने ऐसी व्यवस्था की है कि मृत्यु होने पर कोई अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकता , अन्यथा आज का मनुष्य सारा धन - वैभव अपने साथ बाँध कर ले जाता l
Wednesday 2 August 2017
अति स्वार्थ के कारण व्यक्ति नीचे गिरता चला जाता है
मनुष्य पर स्वार्थ हावी हो जाता है , कहते हैं मनुष्य स्वार्थ में अन्धा हो जाता है l ऐसा व्यक्ति किसी भी स्तर तक नीचे गिर सकता है l जिन्दगी में जब ऐसे व्यक्तियों से सामना हो तब हमें अपना आत्मविश्वास बनाये रखना चाहिए l लोग क्या कहते हैं , समाज क्या कहता है ? यह सब सोचकर अपने मन को नहीं गिरने देना हैअ सही है l यदि हमारे जीवन की दिशा सही है तो रास्ते की सभी बाधाएं हट जाएँगी , ' जीत हमेशा सत्य की होती है l '
Monday 31 July 2017
धन का लालच और असीमित इच्छाओं के कारण वीरता और स्वाभिमान जैसे गुण लुप्त हो रहे हैं
अति महत्वाकांक्षा और बढ़ती हुई तृष्णा ने मनुष्य की कायरता में वृद्धि की है l अपने से कमजोर को संरक्षण देने के बजाय व्यक्ति उसे लूटने में , उसे गलत दिशा दिखाने में तत्पर रहता है ताकि वे समर्थ होकर उसकी बराबरी में न आ जाये l ' स्वाभिमान ' जैसा गुण जिससे व्यक्ति और समाज गर्व से सिर उठाकर रहते हैं , मिलना बड़ा मुश्किल हो गया है l लोगों का दोहरा व्यक्तित्व है l बढ़ती हुई कामनाओं और वासना की पूर्ति के लिए लोग अपनी आत्मा को बेच देते हैं l ऐसे ही लोग समाज में अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए अत्याचार और अन्याय का सहारा लेते हैं , इस वजह से समाज में अशान्ति बढ़ती है l
Monday 24 July 2017
अत्याचारी को पहचानना कठिन है
एक जमाना था -- जब डाकू होते थे , पहले से ही घोषणा कर के डाके डालने आया करते थे l उनका भी ईमान था , धर्म था , देवी के भक्त थे और समाज से बाहर बीहड़ों में रहते थे l लेकिन अब भ्रष्टाचार के युग ने सब पर लीपापोती कर दी l अब तो अपराधी शराफत का नकाब पहन कर समाज में सब के साथ हिल -मिल कर रहता है l विज्ञान के युग में लोगों के पास दूसरों का शोषण करने के बहुत हथकंडे हैं l थोड़े बहुत अपराध तो हर युग में होते रहे हैं , लेकिन तब लोग अपराधियों को , गुंडों को अपने समाज , अपनी जाति से बहिष्कृत कर देते थे l आज की स्थिति में यदि किसी तरह अपराधी पकड़ भी जाये तो सबूत , गवाह ----- आदि लम्बी प्रक्रिया से वर्षों खुला घूमता है और अपने जैसे अनेक अपराधी तैयार करता है l आज समाज की अधिकांश समस्याएं बुद्धि भ्रष्ट होने से , सद्बुद्धि की कमी से उत्पन्न हुई हैं l स्वतंत्रता से पूर्व , देश की आजादी के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए जो देशभक्त भाषण देते , लेख लिखते , अपनी जान जोखिम में डालते उन्हें अति कठोर जेल , काले पानी की सजा , असहनीय कष्ट दिया जाता था लेकिन अब मासूम बच्चियों से बलात्कार करने वाले , छोटे बच्चों का अपहरण कर उन्हें सताने वाले , बड़े - बड़े अपराध करने वाले समाज में खुले घूमते हैं l आज जरुरत है -- ऐसे लोगों की जिनके पास सद्बुद्धि हो , विवेक हो जो जाति व धर्म के आधार पर लोगों को न बांटे l ऐसा भेद हो जिसमे एक ओर ईमानदार, सच्चे और नेक दिल वाले लोग हों और दूसरी तरफ समाज को अंधकार में ले जाने वाले अपराधी , अत्याचारी , अन्यायी हों l इस अंधकार तरफ के लोगों को कठोर सजा भी हो और सुधरने का प्रयास भी हो तभी एक सुन्दर समाज का निर्माण हो सकता है l
Saturday 22 July 2017
अशान्ति इसलिए है क्योंकि लोग अत्याचार को चुपचाप सहन करते हैं
नैतिकता और मानवीय मूल्यों का ज्ञान न होने से जो समर्थ हैं , जिनके पास धन और पद की ताकत है , वे अपनी शक्ति का सदुपयोग नहीं करते l अपने अहंकार में , शक्ति के मद में वे कमजोर पर अत्याचार करते हैं l कहते हैं अत्याचार में भी एक नशा होता है , यदि अत्याचार को सहन किया जाये तो वह धीरे - धीरे बढ़ता जाता है , संगठित हो जाता है और अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को बंद कर देता है l
समस्या इसलिए बढ़ती जाती है --- यदि छोटे बच्चे - बच्चियों पर अत्याचार हुआ , उन्हें तरह -तरह से सताया गया , तो वे बेचारे छोटे हैं , ऐसे आतताइयों का मुकाबला कैसे करेंगे ? समाज के गरीब , कमजोर लोगों का शोषण हो , विभिन्न संस्थाओं में उत्पीड़न हो तो अकेला उत्पीड़ित व्यक्ति कैसे मुकाबला करे ? सबसे बड़ी गलती समाज के उस वर्ग की है जो धन के लालच में , कुछ सुविधाओं के लिए और सबसे बढ़कर अपने चेहरे पर जो शराफत का नकाब है उसे बचाने के लिए वे अत्याचारियों का साथ देते हैं , उनकी मदद करते हैं , उनका साथ दे कर उन्हें मजबूत बनाते हैं l
आज अच्छाई को , सत्य को संगठित होने की जरुरत है l यश प्राप्त करने की कामना को त्याग कर जब सुख-शांतिपूर्ण समाज व्यवस्था की चाह रखने वाले लोग संगठित होंगे , जियो और जीने दो , हम सब एक माला के मोती हैं --- इस विचारधारा के लोग संगठित होंगे , अत्याचार के विरुद्ध तुरन्त संगठित होकर खड़े होंगे तभी समाज से नशा , जीव हत्या , अत्याचार - अन्याय समाप्त हो सकेगा l
समस्या इसलिए बढ़ती जाती है --- यदि छोटे बच्चे - बच्चियों पर अत्याचार हुआ , उन्हें तरह -तरह से सताया गया , तो वे बेचारे छोटे हैं , ऐसे आतताइयों का मुकाबला कैसे करेंगे ? समाज के गरीब , कमजोर लोगों का शोषण हो , विभिन्न संस्थाओं में उत्पीड़न हो तो अकेला उत्पीड़ित व्यक्ति कैसे मुकाबला करे ? सबसे बड़ी गलती समाज के उस वर्ग की है जो धन के लालच में , कुछ सुविधाओं के लिए और सबसे बढ़कर अपने चेहरे पर जो शराफत का नकाब है उसे बचाने के लिए वे अत्याचारियों का साथ देते हैं , उनकी मदद करते हैं , उनका साथ दे कर उन्हें मजबूत बनाते हैं l
आज अच्छाई को , सत्य को संगठित होने की जरुरत है l यश प्राप्त करने की कामना को त्याग कर जब सुख-शांतिपूर्ण समाज व्यवस्था की चाह रखने वाले लोग संगठित होंगे , जियो और जीने दो , हम सब एक माला के मोती हैं --- इस विचारधारा के लोग संगठित होंगे , अत्याचार के विरुद्ध तुरन्त संगठित होकर खड़े होंगे तभी समाज से नशा , जीव हत्या , अत्याचार - अन्याय समाप्त हो सकेगा l
Friday 21 July 2017
अशांति इसलिए है क्योंकि मनुष्य स्वयं सुधरने के बजाय दूसरों को अपने मन के अनुकूल बनाना चाहता है
संसार में अधिकांश समस्याएं इसलिए उत्पन्न होती हैं क्योंकि जिसके पास धन , पद आदि की ताकत है वह चाहता है कि दूसरे उसके अनुसार चले l अशान्ति तब होती है जब समर्थ लोग गरीबों , मजदूर, किसानों और हर तरह से कमजोर लोगों का शोषण करते हैं और चाहते हैं वो इसी तरह शोषित होता रहे , एक शब्द भी न बोले ताकि ' उनका ' वैभव - विलास चलता रहे l ऐसे लोगों की आड़ में कितने ही ' दबंग ' समाज में तैयार हो जाते हैं जिन्हें कानून का भय नहीं होता , उनमे कोई नैतिकता नहीं होती , दो पैर के पशु समान होते हैं l ऐसे में समाज की नयी पीढ़ी भी सुरक्षित नहीं है l लोगों की सोच बहुत संकुचित हो गई है l आज जरुरत है ऐसे विचारशील लोगों की जो अपनेश्रेष्ठ आचरण से लोगों को जीना सिखाएं l
Sunday 16 July 2017
जिनके मन में अशान्ति है वही इस संसार में अशान्ति फैलाते हैं
' अशान्ति भी संक्रामक रोग की तरह है , अशान्त मन - मस्तिष्क के व्यक्ति अपने क्रिया - कलापों से आसपास के लोगों को अशांत करते हैं और इस तरह अशान्ति का क्षेत्र बढ़ता जाता है l
पशु - पक्षियों को देखें तो वे अपने समुदाय में शान्ति से रहते हैं , ईर्ष्या, द्वेष , अहंकार जैसी कोई दुष्प्रवृत्ति नहीं है , मनुष्यों से उनकी शांति देखी नहीं जाती इसलिए मानव समाज बेजान पशु - पक्षी को भी चैन से जीने नहीं देता l मानव समाज में भी पुरुष और नारी है l संसार का कोई भी देश हो , कोई भी धर्म हो सभी में पुरुषों ने अपने अहंकार और शक्ति के मद में नारी पर अत्याचार किये है l
संसार में जितने बड़े - बड़े युद्ध हुए वे सब पुरुषों के अहंकार की वजह से हुए लेकिन उसके घातक परिणाम स्त्रियों और बच्चों को भोगने पड़े l पुरुष वर्ग अपने बेवजह के अहंकार को कम कर ले , अपने मन को शांत रखे तो संसार में भी शान्ति रहे l आज सबसे बड़ी जरुरत है ---- मन की शान्ति l जब शांत मन के लोग अधिक होंगे , लोगों में सद्बुद्धि होगी , विवेक जाग्रत होगा तभी शान्ति होगी l
पशु - पक्षियों को देखें तो वे अपने समुदाय में शान्ति से रहते हैं , ईर्ष्या, द्वेष , अहंकार जैसी कोई दुष्प्रवृत्ति नहीं है , मनुष्यों से उनकी शांति देखी नहीं जाती इसलिए मानव समाज बेजान पशु - पक्षी को भी चैन से जीने नहीं देता l मानव समाज में भी पुरुष और नारी है l संसार का कोई भी देश हो , कोई भी धर्म हो सभी में पुरुषों ने अपने अहंकार और शक्ति के मद में नारी पर अत्याचार किये है l
संसार में जितने बड़े - बड़े युद्ध हुए वे सब पुरुषों के अहंकार की वजह से हुए लेकिन उसके घातक परिणाम स्त्रियों और बच्चों को भोगने पड़े l पुरुष वर्ग अपने बेवजह के अहंकार को कम कर ले , अपने मन को शांत रखे तो संसार में भी शान्ति रहे l आज सबसे बड़ी जरुरत है ---- मन की शान्ति l जब शांत मन के लोग अधिक होंगे , लोगों में सद्बुद्धि होगी , विवेक जाग्रत होगा तभी शान्ति होगी l
Saturday 15 July 2017
धन का स्रोत क्या है ?
मनुष्य का पारिवारिक जीवन कैसा है ? समाज में शांति है अथवा नहीं , लोगों का चरित्र कैसा है आदि बहुत सी बातें इस बात पर निर्भर करती हैं किउनके परिवार में धन किस तरह आता है l
जिन परिवारों में बेईमानी , भ्रष्टाचार से धन आता है वहां बीमारी , चारित्रिक पतन आदि की वजह से अशांति रहती है l
यदि लोगों को बिना मेहनत के धन मिल जाये जैसे अनेक लोग , संस्थाएं दान के नाम पर , निष्काम कर्म के नाम पर निर्धन लोगों को विभिन्न सहायता देते हैं l दान - पुण्य के कार्य करना अच्छी बात है लेकिन हमारे शास्त्रों में लिखा है ---- किसी को आलसी बना देना , बहुत बड़ा पाप है l कहते हैं ' खाली मन शैतान का घर ' l जिस समाज में ऐसे आलसी लोग , जिन्हें बिना श्रम के धन , सुविधाएँ मिल जाती हैं --- तो ऐसे समाज में विकास रुक जाता है , लोग अपनी उर्जा का उपयोग नकारात्मक कार्यों में करने लगते हैं , समाज में अपराध , अराजकता बढ़ने लगती है जो सबके लिए घातक है l समाज में सुख शांति के लिए जरुरी है कि लोगों को आत्म निर्भर बनाया जाये , वो अपनी रोटी स्वयं कमा कर खा लें l भिखारियों को भी पुरुषार्थी बनाया जाये l केवल वृद्ध और हर तरह से असमर्थ को ही भोजन आदि दिया जाये l l
जिन परिवारों में बेईमानी , भ्रष्टाचार से धन आता है वहां बीमारी , चारित्रिक पतन आदि की वजह से अशांति रहती है l
यदि लोगों को बिना मेहनत के धन मिल जाये जैसे अनेक लोग , संस्थाएं दान के नाम पर , निष्काम कर्म के नाम पर निर्धन लोगों को विभिन्न सहायता देते हैं l दान - पुण्य के कार्य करना अच्छी बात है लेकिन हमारे शास्त्रों में लिखा है ---- किसी को आलसी बना देना , बहुत बड़ा पाप है l कहते हैं ' खाली मन शैतान का घर ' l जिस समाज में ऐसे आलसी लोग , जिन्हें बिना श्रम के धन , सुविधाएँ मिल जाती हैं --- तो ऐसे समाज में विकास रुक जाता है , लोग अपनी उर्जा का उपयोग नकारात्मक कार्यों में करने लगते हैं , समाज में अपराध , अराजकता बढ़ने लगती है जो सबके लिए घातक है l समाज में सुख शांति के लिए जरुरी है कि लोगों को आत्म निर्भर बनाया जाये , वो अपनी रोटी स्वयं कमा कर खा लें l भिखारियों को भी पुरुषार्थी बनाया जाये l केवल वृद्ध और हर तरह से असमर्थ को ही भोजन आदि दिया जाये l l
Monday 3 July 2017
जागरूकता का अभाव
समाज में अशांति का सबसे बड़ा कारण है ---- लोग जागरूक नहीं हैं l अपने आप परिस्थितियों से ठोकर खा कर जागरूक होने में जीवन का बहुत बड़ा हिस्सा खप जाता है l सच्चाई यह है कि आज लोग दूसरों को बेवकूफ बना कर ही पैसा कमा रहें हैं , पद , शोहरत , वैभव सब तभी तक है जब तक दूसरा बेवकूफ है l धर्म , शिक्षा , राजनीति, चिकित्सा -------- कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं बचा जहाँ ईमानदारी और कर्तव्यपालन हो l लोग गरीब और कमजोर को जागरूक करना चाहते भी नहीं अन्यथा बहुतों की रोटी -रोजी छिन जाएगी l जो गरीब है , हर तरह से कमजोर है उसी को सब मिलकर लूटते हैं ---- धार्मिक कर्मकांडी उसे भाग्य अच्छा करने के लिए तरह -तरह की पूजा , कर्मकांड बताकर पैसा ऐंठते हैं , शिक्षा के क्षेत्र में उसे प्रश्न -उत्तर रटा दिए , व्यवहारिक ज्ञान नहीं हुआ , बीमार हो जाये तो चिकित्सक छोटी सी बीमारी को बड़ा बताकर , तरह - तरह की जांच करा के खूब लूटते हैं , कहीं अपनी समस्या को हल कराने के लिए जाये तो जो उसका बचा - खुचा है , वह भी समाप्त !
हमारे शास्त्रों में , धर्म ग्रन्थों में कहा भी गया है गरीब को , कमजोर को मत सताओ , गरीब की
' हाय ' बहुत बुरी होती है l समाज में एक वर्ग सुख - वैभव में रहे और दूसरे वर्ग को दिन - रात मेहनत - मजदूरी करने पर भी दो वक्त भोजन नसीब न हो तो अशान्ति तो होगी l
हमारे शास्त्रों में , धर्म ग्रन्थों में कहा भी गया है गरीब को , कमजोर को मत सताओ , गरीब की
' हाय ' बहुत बुरी होती है l समाज में एक वर्ग सुख - वैभव में रहे और दूसरे वर्ग को दिन - रात मेहनत - मजदूरी करने पर भी दो वक्त भोजन नसीब न हो तो अशान्ति तो होगी l
Thursday 29 June 2017
जियो और जीने दो
यदि व्यक्ति स्वयं शान्ति से रहे और दूसरों को भी चैन से जीने दे तो सब तरफ शांति रहे लेकिन आज ऐसे लोगों की अधिकता है जो दूसरों को चैन से जीने नहीं देते l जिनका चैन छीना जाता है इसके पीछे प्रमुख वजह -- अत्याचारी का अहंकार है l अहंकारी सोचता है की वो बिलकुल सही है , ऐसे व्यक्ति परिवार , समाज , संस्था सबको अपने ढंग से चलाना चाहते हैं जिससे सब दब कर रहें और उनके स्वार्थ व अहंकार की तुष्टि होती रहे l भौतिकता में वृद्धि के कारण अत्याचार का तरीका भी बदल गया है l अब लोग दूसरों की हंसी उड़ा कर , उन्हें नीचा दिखाकर , षडयंत्र कर उन्हें किसी जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करके , कमजोर का हक छीनकर अपनी शक्ति को दिखाते हैं l ऐसे मानसिक उत्पीड़न की प्रतिक्रिया बड़ी भयानक होती है l बदले की आग जब ह्रदय में पैदा होती है तो वह अच्छा - बुरा नहीं देखती सबको जला देती है l यह संसार बहुत बड़ा है इसमें ऐसे एक -दो व्यक्ति ही होंगे जो अत्याचार और उत्पीड़न की प्रतिक्रिया स्वरुप महामानव बन जाएँ l
जो गरीब है , शोषित है , उत्पीड़ित है , वह तो वैसे ही परेशान है , समाज में शांति के लिए जरुरी है जिनके पास धन , पद , वैभव की शक्ति है वे सुधरें और अपनी इस शक्ति का, विभूति का उपयोग जन कल्याण के लिए करें , लोगों का शोषण करने के स्थान पर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर उन्हें भी सुख शांति से जीने दें
जो गरीब है , शोषित है , उत्पीड़ित है , वह तो वैसे ही परेशान है , समाज में शांति के लिए जरुरी है जिनके पास धन , पद , वैभव की शक्ति है वे सुधरें और अपनी इस शक्ति का, विभूति का उपयोग जन कल्याण के लिए करें , लोगों का शोषण करने के स्थान पर उन्हें आत्मनिर्भर बना कर उन्हें भी सुख शांति से जीने दें
Friday 23 June 2017
सुख - साधनों ने व्यक्ति को आलसी बना दिया
विकास के लिए वैज्ञानिक आविष्कार जरुरी हैं लेकिन इन आविष्कारों में जो शरीर को आराम देने वाले हैं उनके अधिक उपयोग से मनुष्य आलसी हो गया है l शारीरिक श्रम न करने से अनेक बीमारियाँ घेरती हैं l घर हो , ऑफिस हो या कोई कम्पनी हो , तकनीकी सुविधाओं से जब लोग अपना काम जल्दी कर के फालतू हो जाते हैं तो उनका समय व्यर्थ की बातों में , नकारात्मक कार्यों में बीतता है l कहा भी जाता है --' खाली मन शैतान का घर l ' इसलिए लोगों को स्वयं जागरूक होना पड़ेगा कि वे अपने फालतू समय में व्यर्थ की बातों में अपनी ऊर्जा न गंवाकर , कुछ समय मौन रहकर श्रेष्ठ चिंतन करें l कोई सकारात्मक कार्य करें , सत्साहित्य पढ़ने की व्यवस्था हो l ऐसा होने से लोगों का मन शांत रहेगा , इससे धीरे - धीरे परिवार और समाज में भी शांति रहेगी
Wednesday 21 June 2017
तन के साथ मन का स्वस्थ होना भी जरुरी है
मनुष्य के सारे प्रयास शरीर को स्वस्थ रखने के लिए होते हैं , मन को स्वस्थ और परिष्कृत करने का कोई प्रयास मनुष्य नहीं करता l काम , क्रोध , लोभ , ईर्ष्या, द्वेष, स्वार्थ जिसके मन में है वह न तो खुद शान्ति से रहता है और न और किसी को शान्ति से जीने देता है l एक व्यक्ति जो क्रोधी है , अहंकारी है , तो उसका यह दुर्गुण परिवार , समाज सब जगह अशान्ति उत्पन्न करता है l जिसे सिगरेट आदि नशे की लत है वह समाज में कोई सकारात्मक योगदान नहीं देते वरन अपने जैसे पचास और नशेड़ी तैयार कर लेते हैं l इसी प्रकार जो लोभी है , लालची है वह अपने साथ बेईमानों की पूरी श्रंखला तैयार कर लेता है l ऐसे दुष्प्रवृत्तियों वाले लोगों की अधिकता से ही दंगे , अपराध , लूटमार होते हैं l आज जरुरत है कि पूरी दुनिया में ऐसी संस्थाएं हों जो लोगों को ईमानदारी , सच्चाई , संवेदना , ईश्वरविश्वास , धैर्य , कर्तव्यपालन जैसे सद्गुण सिखाएं और क्रोध , लालच , ईर्ष्या-द्वेष जैसे दुर्गुणों को त्यागना , आदि की शिक्षा देकर ' नैतिकता ' में बड़ी -बड़ी डिग्री दें l इन सब के साथ जरुरी है लोग आलस को त्यागे , कर्मयोगी बने l
Tuesday 20 June 2017
आत्मविश्वास जरुरी है
जीवन में सफलता के लिए आत्मविश्वास जरुरी है l अनेक लोग ऐसे होते हैं जो संघर्ष कर के जीवन में आगे बढ़ते हैं , सफल भी होते हैं लेकिन आत्मविश्वास की कमी के कारण वे हमेशा अपने से पद व धन -सम्पन्नता में बड़े व्यक्ति की चापलूसी करते रहते हैं , उनके सब कार्य उस व्यक्ति को खुश करने के लिए होते हैं l इसलिए उनसे कोई लोक कल्याण नहीं हो पाता l अति चापलूसी से व्यक्तित्व भी प्रभावशाली नहीं रह जाता l सर्वप्रथम हमें अपनी योग्यता पर विश्वास होना चाहिए , अहंकार नहीं l हमारा प्रत्येक कार्य किसी व्यक्ति विशेष को खुश करने के लिए नहीं , ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए होना चाहिए l ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए जब ईमानदारी , सच्चाई और मनोयोग से जब हम कोई छोटा सा काम भी करते हैं तो वह पूजा बन जाता है जिससे आगे सफलता के रास्ते खुलते जाते हैं l
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