Wednesday 26 September 2018

तनाव रहित जीवन जीने के लिए जरुरी है कि हम ऋषियों और आचार्य द्वारा समझाई गई चेतावनी को समझें

 भगवान  ने  गीता  में  कहा है --- काल  बड़ा  बलवान  होता  है  l ----- इसलिए  वक्त  से  हमेशा  डरकर  रहना  चाहिए ,  वक्त  का मिजाज  कब  बदल  जाये  कोई  नहीं  जानता  l
  सभी धर्मग्रंथों  में  इस  बात  को  कहा  गया  है  कि  कभी  अहंकार न  करे   l  अहंकारी  अपने  अहंकार  को  पोषित  करने  के  लिए   , स्वयं  को  श्रेष्ठ  सिद्ध  करने  के  लिए  दूसरों  का  शोषण  करता  है ,  अत्याचार  और  अन्याय  करता  है  l   शोषण  विनाश  का  प्रतीक  है  ,  इसका  परिणाम  अत्यंत  विनाशकारी  होता  है  l 
   समय   के  छोटे - छोटे  बिन्दुओं  से  मिलकर   यह  जीवन  बना  है   l  इस  अनमोल  जीवन  में   सत्कर्म  की  पूंजी  एकत्र  करें   l   लोगों   पर  अत्याचार  कर  के ,  उन्हें  सता  कर  उनकी  आहें  एकत्र  न  करें  l
  जियो  और  जीने  दो '  का  सिद्धांत  अपनाकर  ही  संसार  में  सुख शांति  स्थापित  हो  सकती  है  l 

Monday 24 September 2018

समाज में अपराध क्यों बढ़ रहे हैं ?

      अपराध  इसलिए  तेजी  से  बढ़ते  हैं  क्योंकि  यह  समाज  ही  अपराधियों  की  फसल  तैयार  करता  है  l 
   कई  बार  ऐसा  होता  है   कि  कोई  व्यक्ति  जिसने  जघन्य   अपराध   किया  है  , वह   सबूत    न  मिलने  से  बच    जाता  है   l   समाज  उसकी  सच्चाई  जानता  है  फिर  भी  उससे  निकटता  रखते  हैं ,  उसे  सम्मान  देते  हैं  l  इससे  उसकी  अपराध  करने  की  प्रवृति  को  और  बल  मिलता  है  l 
   कभी  परिस्थितियां  ऐसी  उत्पन्न  हो  जाती  हैं   कि  अपराधी  आत्मसमर्पण  कर  देता  है  ,  जैसे  डाकुओं  ने  किया  था   तो   उन्हें   समाज  में  मिलकर  जीने  का  अवसर  मिल  जाता  है   l    संभव  है  कि  समर्पण  के  बाद  वे  कोई  अपराध  न  करें   लेकिन  संस्कार  नहीं  मिटते  l  यह  अपराधी  प्रवृति   उनके  बच्चों  में भाई - बंधू  में  आ  जाती  है   l  जब  अनेक  महान , सज्जन  लोगों  की  संतानें  पथ भ्रष्ट  हो  जाती  हैं  , तो  अपराधी  जिसने  चाहे  अपराध  करना  छोड़  दिया  हो ,  उसकी  संताने कैसे  संत - सज्जन  होंगी  ?   ये  ही  लोग  अपने  संस्कारों  के  अनुरूप  अपराध  करते  हैं   और  समाज  में  अशांति - अव्यवस्था  फैलाते  हैं   l
    समाज  को  जागरूक  होना  होगा  कि  वह  अपने   निजी  स्वार्थ  को  छोड़कर  अपराधियों  से   दूरी   बनाये  l  जिनसे  मित्रता  करते  हैं ,  उनके  परिवार  की   ,  उसके  पिता  व  दादा  की  जानकारी  हासिल  करें  कि  कोई  किसी  जघन्य  अपराध  में  तो  सम्मिलित  नहीं  रहा  l   दुष्ट  संस्कार  कब  हावी  हो  जाएँ ,  अपराध  को  अंजाम  दें  कहा  नहीं  जा  सकता  l  

Saturday 15 September 2018

जब धर्म , शिक्षा और चिकित्सा व्यवसाय बन जाये तो उस राष्ट्र की संस्कृति का पतन होने लगता है

  पतन  की  राह  बड़ी  सरल  है  I  जब  कामना , वासना  और  लालच  मन  पर हावी  हो  जाता  है   तब  व्यक्ति  को    धर्म ,  शिक्षा  और  चिकित्सा    जैसे  क्षेत्रों  की  पवित्रता  और  सेवा  भाव  से  कोई  मतलब  नहीं  रहता ,  इन  दुष्प्रवृत्तियों  में  अँधा  हुआ  व्यक्ति   अपने  साथ   सम्पूर्ण  समाज  को  ,  आने  वाली  पीढ़ियों  को  पतन  के  गर्त  में  धकेलता    है  I  कभी   महान  समाज  सुधारकों  ने  अनाथों ,  अपंगों , मजबूर  और  बेसहारा   बच्चे ,  बच्चियों  , महिलाओं  की  सुरक्षा   के  लिए  अनेक  कार्य  किये  ,  इतिहास में  उन्हें  स्थान  मिला  I  आज  की  स्थिति  देखकर  उनकी  आत्मा  को  कितना  कष्ट  होता  होगा  ,  सफेद पोश  के  पीछे  कितनी  कालिख  है  I
  केवल  समस्या  पर  चर्चा  करने  से  समस्या नहीं  सुलझती   I    पवित्र  और  सेवा  के    क्षेत्रों  को  व्यवसाय  बनाने  वालों  को  अब  सुधरना  होगा ,  बहुत  धन  कमा  लिया ,  अपनी  ओर  उम्मीद  लेकर  आने  वालों  का  हर  तरह  से  बहुत  शोषण  कर  लिया ,  संरक्षक  की  आड़  में  उत्पीड़न  किया  I  ईश्वर के  न्याय  से  डरो  I
  अभी  भी  वक्त  है  ,  इन  क्षेत्रों  के  पुरोधा    संकल्प  ले  लें  कि  कलंक  का  टीका  लगाकर  नहीं  जाना  है  ,  अपनी  कमजोरियों  पर  नियंत्रण  रख   स्वस्थ  समाज  का  निर्माण  करना  है  I  अच्छाई  की ओर  एक  कदम  बढ़ाना  जरुरी  है   I

Thursday 6 September 2018

' जियो और जीने दो ' के सिद्धांत को जब लोग स्वीकार करेंगे , तभी समाज में शांति होगी

 आज  समाज  में  ऐसे  लोगों  की  अधिकता  है   जो  दूसरों  को  आगे  नहीं  बढ़ने  देना  चाहते   l  ऐसे  लोग  अपनी  योग्यता  बढ़ाने  का  प्रयास  नहीं  करते  ,  और  अपनी  सारी   ऊर्जा  दूसरों  को  नीचा  दिखाने,  उन  पर  अपनी  हुकूमत   चलाने  में  खर्च  कर  देते  हैं  l   ये  एक  विशेष  प्रकार  की  मानसिकता  के  लोग  हैं  ,  इन्हें  किसी  जाति  के  दायरे  में  नहीं  बाँधा  जा  सकता  क्योंकि   ऐसे  व्यक्ति   किसी  के  सगे  नहीं  होते  l  ईर्ष्या - द्वेष  इतना  होता  है  कि  अपने  ही  लोगों  का  हक  छीनने,  उनकी  तरक्की  के  रास्ते  में  बाधा  डालने  के  लिए   वे  गैर  का  सहारा  लेते  हैं   l  जब  समाज  में  नैतिक  गिरावट  होती  है  ,  कायरता बढ़  जाती  है  तब  अच्छे - बुरे की  पहचान  कठिन  हो  जाती  है  l  वास्तव  में  अपराधी  कौन  है ,  निर्दोष  कौन  है ,जानना  कठिन  है  l  विचारों  में  परिवर्तन  हो  , संवेदना  विकसित  हो ,  इसी  की आवश्यकता  है  l 

Tuesday 4 September 2018

वातावरण की नकारात्मकता व्यक्ति का सुख - चैन छीन लेती है

 वातावरण  की नकारात्मकता   व्यक्ति  को  शारीरिक  और  मानसिक  दोनों  तरह  से  अस्वस्थ  कर  देती  है   l  इसके  लिए  सम्पूर्ण  समाज  जिम्मेदार  है  l  विज्ञान  ने  यह  स्वीकार  कर  लिया  है  कि  हम  जो  कुछ  बोलते  हैं ,  हमारी  आवाज   वातावरण  में  रहती  है ,  नष्ट  नहीं  होती  l   तब  मनुष्य  अपने  स्वाद ,  अपनी  खुशी  और  अपनी    विकृत  मानसिकता  के   कारण  निरीह  पशुओं ,  प्राणियों  और  अबोध  बालिकाओं  पर  जो  अत्याचार  करता  है  ,  उनकी  चीखें ,  आहें ,  उनके  आंसू   इसी  वातावरण  में  रहते  हैं   l   मनुष्य  जो  प्रकृति  को  देता  है   उसी  का  परिणाम  उसे   लाइलाज  बीमारियाँ ,  मानसिक  अशांति ,  प्राकृतिक  प्रकोप  आदि  सामूहिक  दंड  के  रूप में  मिलता  है  l 
  अब  समय  आ  गया  है   --- यह  सारे  संसार  के  प्रबुद्ध  और  विवेकशील  लोगों  को  मिलकर  तय  करना  है  कि   --- संसार  को  कैसा  होना  चाहिए ---  युद्ध , अशांति , बीमारी ,  हत्या  और  अपराधों  का              या   सुख - चैन  और  मानसिक  शांति  का  संसार  हो   l