अनेक लोगों की यह मान्यता है कि उनके धर्म को मानने वाले जितने अधिक होंगे उतना ही अधिक धर्म का प्रचार होगा और वह स्थायी होगा लेकिन चाहे धर्म हो , संस्कृति हो या शिक्षा हो ------ संख्यात्मक वृद्धि से उसका स्तर नहीं सुधरता , गुणात्मक वृद्धि होनी चाहिए ।
जिस धर्म व जाति में श्रेष्ठ चरित्र के लोगों की अधिकता होगी वही दीर्घकाल तक जीवित रहेगा और उसी में महान आत्माएं जन्म लेंगी । इतिहास साक्षी है किसी भी शराबी , व्याभिचारी , अनैतिक और भ्रष्ट व्यक्ति के यहाँ किसी महान आत्मा ने जन्म नहीं लिया । बबूल के पेड़ में आम नहीं लगता ।
आज की सबसे बड़ी जरुरत है चरित्र - निर्माण की । इससे संसार की अनेक बड़ी - बड़ी समस्याएं स्वत: ही हल हो जायेंगी ।
जिस धर्म व जाति में श्रेष्ठ चरित्र के लोगों की अधिकता होगी वही दीर्घकाल तक जीवित रहेगा और उसी में महान आत्माएं जन्म लेंगी । इतिहास साक्षी है किसी भी शराबी , व्याभिचारी , अनैतिक और भ्रष्ट व्यक्ति के यहाँ किसी महान आत्मा ने जन्म नहीं लिया । बबूल के पेड़ में आम नहीं लगता ।
आज की सबसे बड़ी जरुरत है चरित्र - निर्माण की । इससे संसार की अनेक बड़ी - बड़ी समस्याएं स्वत: ही हल हो जायेंगी ।