वर्तमान परिस्थितियों को देखकर ऐसा लगता है कि मनुष्य सामूहिक आत्म हत्या की ओर बढ़ रहा है l
मनुष्य अपने अहंकार के कारण लोगों को तो सताता ही है , वह प्रकृति को भी नहीं छोड़ता है l मानव शरीर में जो अंग शरीर के अन्दर हैं , वे अन्दर ही अच्छे हैं यदि ह्रदय , फेफड़ा या कोई भी आंतरिक भाग शरीर के ऊपर हो तो वह उचित न होगा , उसकी चिकित्सा जरुरी होगी l इसी प्रकार धरती हमारी माता है , इसके भीतर बहुत गहराई जो पदार्थ हैं , वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारणों से उनका उस गहराई में रहना ही उचित है l लेकिन आज विश्व भर में आतंक और आशंका का वातावरण है , नये - नये अणु स्रोतों की खोज हो रही l अहंकारी सोचता है की शक्तिशाली होकर मृत्यु पर विजय पा लेंगे l उनके ऐसे विनाशकारी प्रयासों से ही पर्यावरण असंतुलन है और उसके समाज पर अनेक हानिकारक प्रभाव हैं l
मनुष्य अपने अहंकार के कारण लोगों को तो सताता ही है , वह प्रकृति को भी नहीं छोड़ता है l मानव शरीर में जो अंग शरीर के अन्दर हैं , वे अन्दर ही अच्छे हैं यदि ह्रदय , फेफड़ा या कोई भी आंतरिक भाग शरीर के ऊपर हो तो वह उचित न होगा , उसकी चिकित्सा जरुरी होगी l इसी प्रकार धरती हमारी माता है , इसके भीतर बहुत गहराई जो पदार्थ हैं , वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारणों से उनका उस गहराई में रहना ही उचित है l लेकिन आज विश्व भर में आतंक और आशंका का वातावरण है , नये - नये अणु स्रोतों की खोज हो रही l अहंकारी सोचता है की शक्तिशाली होकर मृत्यु पर विजय पा लेंगे l उनके ऐसे विनाशकारी प्रयासों से ही पर्यावरण असंतुलन है और उसके समाज पर अनेक हानिकारक प्रभाव हैं l