आज के समय में लोग अपने शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाने के लिए बहुत समय व धन खर्च करते हैं , इन सबसे स्वास्थ्य अच्छा हो भी जाता है लेकिन जब तक मनुष्य का चरित्र , चाल - चलन , उसके विचार अच्छे न होंगे उसका मन भटकता ही रहेगा , शांति नहीं मिलेगी । स्वास्थ्य अच्छा है लेकिन क्रोध बहुत है तो परिवार में झगडे होंगे , अहंकार , लालच , बेईमानी , छल - कपट आदि दुर्गुण हैं तो ऐसा व्यक्ति चाहे शारीरिक द्रष्टि से स्वस्थ हो लेकिन वह स्वयं के लिए और समाज के लिए हानिकारक है । अपनी बुरी आदतों को दूर करना , सद्गुणों को अपनाना बहुत बड़ा तप है । बुराई में रहते हुए व्यक्ति उसी का अभ्यस्त हो जाता है , अच्छाई को देखने से , सुनने से डरता है । इसलिए जरुरी है कि अच्छाई संगठित हो ताकि उसकी चमक देखकर अन्य लोगों को भी सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त हो ।
Friday 31 March 2017
Wednesday 29 March 2017
दूषित विचार ही संसार में अशान्ति का कारण हैं
आज समाज में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध , उन्हें अमानवीय तरीके से उत्पीड़ित करना , हत्या कर देना ---- यह सब पशु - प्रवृति बढ़ती जा रही है । इसका कारण हमेशा दूषित विचारों की संगत में रहना । फिल्मों की अश्लीलता , दूषित साहित्य --- यह सब मनुष्य के मन को विषैला कर देते हैं , जो कुछ व्यक्ति फिल्मों में देखता है , या ऐसे गंदे साहित्य में पढ़ता है , वही विचार उसके मन में चलते रहते हैं । वह कोई भी कार्य करे , इन दूषित विचारों से मुक्त नहीं हो पाता, उसकी बुद्धि , विवेक समाप्त हो जाता है और वह विभिन्न अपराधों में संलग्न हो जाता है । बिना श्रेष्ठ चरित्र के कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती । ऐसे दूषित प्रवृति के लोग अपने परिवार , समाज और राष्ट्र सभी के लिए घातक हैं । विचार परिष्कार के बिना शान्ति संभव नहीं है ।
Sunday 26 March 2017
संसार में अशांति का कारण वातावरण में नकारात्मकता है
व्यक्ति जो भी अच्छे - बुरे कार्य करता है उसका प्रभाव उस स्थान विशेष के वातावरण पर पड़ता
है । युगों - युगों से शक्तिशाली वर्ग ने अपने से कमजोर को सताया है , असहनीय कष्ट दिया है । इसका कारण विभिन्न देशों में भिन्न - भिन्न होगा , लेकिन आधिक्य उन्ही घटनाओं का रहा जिसमे लोगों को बहुत अधिक शारीरिक और मानसिक कष्ट दिया गया । कहते हैं उन उत्पीड़ित लोगों की आहें उस स्थान विशेष पर वायुमंडल में रहती हैं इसलिए परिवार हो या राष्ट्र ---- चाहें कितनी भी भौतिक सम्पन्नता हो , इस नकारात्मकता के कारण अशान्ति रहती है ।
इससे बचने का एक ही तरीका है कि अब वर्तमान में किसी पर अत्याचार न करे , किसी को कष्ट न दे और जितना संभव हो नि:स्वार्थ भाव से सेवा - परोपकार के कार्य करे ताकि इससे उत्पन्न सकारात्मकता , वातावरण की नकारात्मकता को दूर भगा दे ।
है । युगों - युगों से शक्तिशाली वर्ग ने अपने से कमजोर को सताया है , असहनीय कष्ट दिया है । इसका कारण विभिन्न देशों में भिन्न - भिन्न होगा , लेकिन आधिक्य उन्ही घटनाओं का रहा जिसमे लोगों को बहुत अधिक शारीरिक और मानसिक कष्ट दिया गया । कहते हैं उन उत्पीड़ित लोगों की आहें उस स्थान विशेष पर वायुमंडल में रहती हैं इसलिए परिवार हो या राष्ट्र ---- चाहें कितनी भी भौतिक सम्पन्नता हो , इस नकारात्मकता के कारण अशान्ति रहती है ।
इससे बचने का एक ही तरीका है कि अब वर्तमान में किसी पर अत्याचार न करे , किसी को कष्ट न दे और जितना संभव हो नि:स्वार्थ भाव से सेवा - परोपकार के कार्य करे ताकि इससे उत्पन्न सकारात्मकता , वातावरण की नकारात्मकता को दूर भगा दे ।
Thursday 16 March 2017
सद्बुद्धि कैसे जाग्रत हो
आज संसार पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है प्रत्येक व्यक्ति जाने - अनजाने स्वयं का ही अहित कर रहा है | जब कला , साहित्य , पर्यावरण सभी कुछ प्रदूषित है तो सद्बुद्धि कैसे आये ?
विचारों में परिवर्तन इतना आसान नहीं होता , मनुष्य अपने विचारों के प्रति बड़ा जड़ होता है , स्वयं को बदलना नहीं चाहता | आज के इस युग में जब मनुष्य बिना सोचे - समझे धन के पीछे भाग रहा है , इच्छाओं का अंत नहीं है , ऐसी स्थिति में सद्बुद्धि के लिए एक छोटा - सा प्रयास जरुरी है , वह है ----- निष्काम कर्म | नि:स्वार्थ भाव से व्यक्ति सेवा - परोपकार का कोई भी कार्य नियमित करे तो स्वयं के जीवन में , व्यक्तित्व में ऐसा सकारात्मक परिवर्तन होगा कि स्वयं को आश्चर्य होगा | अपने धार्मिक कर्मकांड के साथ यदि अज्ञात शक्ति को याद करते हुए गायत्री मन्त्र का जप कर लिया जाये तो इस मन्त्र की शक्ति को आप स्वयं अनुभव करेंगे |
विचारों में परिवर्तन इतना आसान नहीं होता , मनुष्य अपने विचारों के प्रति बड़ा जड़ होता है , स्वयं को बदलना नहीं चाहता | आज के इस युग में जब मनुष्य बिना सोचे - समझे धन के पीछे भाग रहा है , इच्छाओं का अंत नहीं है , ऐसी स्थिति में सद्बुद्धि के लिए एक छोटा - सा प्रयास जरुरी है , वह है ----- निष्काम कर्म | नि:स्वार्थ भाव से व्यक्ति सेवा - परोपकार का कोई भी कार्य नियमित करे तो स्वयं के जीवन में , व्यक्तित्व में ऐसा सकारात्मक परिवर्तन होगा कि स्वयं को आश्चर्य होगा | अपने धार्मिक कर्मकांड के साथ यदि अज्ञात शक्ति को याद करते हुए गायत्री मन्त्र का जप कर लिया जाये तो इस मन्त्र की शक्ति को आप स्वयं अनुभव करेंगे |
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