व्यक्ति कितना भी पढ़ - लिख जाये , उच्च पद पर पहुँच जाये , लेकिन यदि वह स्वविवेक से काम नहीं लेता तो उसकी शिक्षा व्यर्थ है l अधिकांश लोग कान के कच्चे होते हैं , बिना देखे , बिना सोचे - समझे दूसरों की बात का विश्वास कर लेते हैं l अधिकांश लोग धन का लालच , अपनी असीमित कामना , वासना के कारण अपना जीवन कठपुतली बन कर ही गुजार देते हैं l समाज में जाति, धर्म आदि को लेकर झगड़े, दंगे मनुष्य की इसी कमजोरी के कारण होते हैं l
अधिकांश संस्थाओं में अधिकारियों से मन - मुटाव , विभागीय झगड़े इसी कारण उत्पन्न होते हैं l एक पक्ष , दूसरे पक्ष से उन गलतियों की वजह से चिढ़ा हुआ है , जो दूसरे पक्ष ने कभी की ही नहीं l स्वविवेक न होने के कारण ही आज मनुष्य ' बिकाऊ ' है l गरीबी , भुखमरी , दिवालिया आदि कारणों से कोई व्यक्ति अपना घर - परिवार बेच दे , स्वयं को भी बेच दे , तो यह उसकी मज़बूरी है लेकिन हर तरह से संपन्न लोग जब अपना स्वाभिमान गिरवी रखकर , किसी के हाथ की कठपुतली बन जाते हैं , मानसिक गुलाम बन जाते हैं और ऐसा कर के बहुत खुश भी होते हैं ---- तो यह उनकी दुर्बुद्धि है l
आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि बच्चों को शिक्षा के साथ स्वाभिमान से जीना सिखाया जाये l भौतिक प्रगति ही विकास का मानदंड नहीं है l परिवार और देश का उत्थान उसके सदस्यों के श्रेष्ठ चरित्र से होता है l
अधिकांश संस्थाओं में अधिकारियों से मन - मुटाव , विभागीय झगड़े इसी कारण उत्पन्न होते हैं l एक पक्ष , दूसरे पक्ष से उन गलतियों की वजह से चिढ़ा हुआ है , जो दूसरे पक्ष ने कभी की ही नहीं l स्वविवेक न होने के कारण ही आज मनुष्य ' बिकाऊ ' है l गरीबी , भुखमरी , दिवालिया आदि कारणों से कोई व्यक्ति अपना घर - परिवार बेच दे , स्वयं को भी बेच दे , तो यह उसकी मज़बूरी है लेकिन हर तरह से संपन्न लोग जब अपना स्वाभिमान गिरवी रखकर , किसी के हाथ की कठपुतली बन जाते हैं , मानसिक गुलाम बन जाते हैं और ऐसा कर के बहुत खुश भी होते हैं ---- तो यह उनकी दुर्बुद्धि है l
आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि बच्चों को शिक्षा के साथ स्वाभिमान से जीना सिखाया जाये l भौतिक प्रगति ही विकास का मानदंड नहीं है l परिवार और देश का उत्थान उसके सदस्यों के श्रेष्ठ चरित्र से होता है l
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