युगों - युगों से समाज में उच्च जाति के लोग दलितों और निम्न जाति के लोगों को अछूत मानते हैं , उन्हें उपेक्षित करते हैं , हर पल अपमानित करते हैं । उनके कष्टों से उन्हें कोई लेना -देना नहीं ।
अ + छूत ----- यानि उनसे दूर रहो , उन्हें आगे मत बढ़ने दो !
समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है ----- जो कमजोर है , जिसकी आर्थिक स्थिति दयनीय है , स्वास्थ्य अच्छा नहीं है वे समर्थ व संपन्न लोगों को क्या परेशान करेंगे ?
फिर भी ऊँची जाति के लोग उनसे भयभीत रहते हैं , उन्हें डर है कि कहीं वे लोग आगे बढ़ गये तो उनका वर्चस्व समाप्त न हो जाये ? इसी लिए वे उन्हें उपेक्षित करते हैं ।
समान धर्म के होने पर भी उच्च जाति ने इस वर्ग को अपने से अलग कर दिया है इसलिए समाज में इतनी अशांति व नकारात्मकता है ।
हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें सद्बुद्धि दें और हम समझें कि वास्तव में अछूत कौन ? हमें किस से दूर रहना है और किससे स्वयं की रक्षा करनी है ---------
हमें उन लोगों से दूर रहना है जिनसे हमारे व्यक्तित्व को चोट पहुँचती है , हमारा परिवार संकट में आ जाता है |
वास्तव में वे लोग अछूत हैं जो काम, क्रोध , लालच , अहंकार और ईर्ष्या जैसे दुर्गुणों से ग्रस्त हैं ।
यदि व्यक्ति कामांध है -- तो उससे दूर रहो क्योंकि ऐसे लोग अपने निकटतम व्यक्ति को , जो सरलता से उपलब्ध हो जाये उसे अपना शिकार बनाते हैं ।
यदि व्यक्ति क्रोधी है तो उससे बचो , यदि वह परिवार का है तो जब क्रोध करे तो बहस न करो, अपने किसी अनिवार्य कार्य का बहाना करके चले जाओ ।
यदि व्यक्ति लालची है तो वह सबसे बड़ा अछूत है , क्योंकि वह लालच में अँधा होकर रिश्तों को भूल जाता है और धन -सम्पति हड़पने के लिए अपनों के विरुद्ध षड्यंत्र रचता है ।
अहंकारी और ईर्ष्यालु व्यक्ति तो अछूतों का भी अछूत है , उसकी छाया से भी बचो ।
ऐसे दुर्गुणों वाले व्यक्तियों से दूर रहकर हम अपनी तरक्की का प्रयास करें , कभी किसी के आगे हाथ न पसारें , स्वाभिमान से रहे , ईश्वर पर विश्वास रखे और जब स्वयं समर्थ हो जायें तो इन दुर्गुणों से दूर रहें ।
अ + छूत ----- यानि उनसे दूर रहो , उन्हें आगे मत बढ़ने दो !
समाज पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है ----- जो कमजोर है , जिसकी आर्थिक स्थिति दयनीय है , स्वास्थ्य अच्छा नहीं है वे समर्थ व संपन्न लोगों को क्या परेशान करेंगे ?
फिर भी ऊँची जाति के लोग उनसे भयभीत रहते हैं , उन्हें डर है कि कहीं वे लोग आगे बढ़ गये तो उनका वर्चस्व समाप्त न हो जाये ? इसी लिए वे उन्हें उपेक्षित करते हैं ।
समान धर्म के होने पर भी उच्च जाति ने इस वर्ग को अपने से अलग कर दिया है इसलिए समाज में इतनी अशांति व नकारात्मकता है ।
हम ईश्वर से प्रार्थना करें कि वे हमें सद्बुद्धि दें और हम समझें कि वास्तव में अछूत कौन ? हमें किस से दूर रहना है और किससे स्वयं की रक्षा करनी है ---------
हमें उन लोगों से दूर रहना है जिनसे हमारे व्यक्तित्व को चोट पहुँचती है , हमारा परिवार संकट में आ जाता है |
वास्तव में वे लोग अछूत हैं जो काम, क्रोध , लालच , अहंकार और ईर्ष्या जैसे दुर्गुणों से ग्रस्त हैं ।
यदि व्यक्ति कामांध है -- तो उससे दूर रहो क्योंकि ऐसे लोग अपने निकटतम व्यक्ति को , जो सरलता से उपलब्ध हो जाये उसे अपना शिकार बनाते हैं ।
यदि व्यक्ति क्रोधी है तो उससे बचो , यदि वह परिवार का है तो जब क्रोध करे तो बहस न करो, अपने किसी अनिवार्य कार्य का बहाना करके चले जाओ ।
यदि व्यक्ति लालची है तो वह सबसे बड़ा अछूत है , क्योंकि वह लालच में अँधा होकर रिश्तों को भूल जाता है और धन -सम्पति हड़पने के लिए अपनों के विरुद्ध षड्यंत्र रचता है ।
अहंकारी और ईर्ष्यालु व्यक्ति तो अछूतों का भी अछूत है , उसकी छाया से भी बचो ।
ऐसे दुर्गुणों वाले व्यक्तियों से दूर रहकर हम अपनी तरक्की का प्रयास करें , कभी किसी के आगे हाथ न पसारें , स्वाभिमान से रहे , ईश्वर पर विश्वास रखे और जब स्वयं समर्थ हो जायें तो इन दुर्गुणों से दूर रहें ।