आज संसार पर दुर्बुद्धि का प्रकोप है प्रत्येक व्यक्ति जाने - अनजाने स्वयं का ही अहित कर रहा है | जब कला , साहित्य , पर्यावरण सभी कुछ प्रदूषित है तो सद्बुद्धि कैसे आये ?
विचारों में परिवर्तन इतना आसान नहीं होता , मनुष्य अपने विचारों के प्रति बड़ा जड़ होता है , स्वयं को बदलना नहीं चाहता | आज के इस युग में जब मनुष्य बिना सोचे - समझे धन के पीछे भाग रहा है , इच्छाओं का अंत नहीं है , ऐसी स्थिति में सद्बुद्धि के लिए एक छोटा - सा प्रयास जरुरी है , वह है ----- निष्काम कर्म | नि:स्वार्थ भाव से व्यक्ति सेवा - परोपकार का कोई भी कार्य नियमित करे तो स्वयं के जीवन में , व्यक्तित्व में ऐसा सकारात्मक परिवर्तन होगा कि स्वयं को आश्चर्य होगा | अपने धार्मिक कर्मकांड के साथ यदि अज्ञात शक्ति को याद करते हुए गायत्री मन्त्र का जप कर लिया जाये तो इस मन्त्र की शक्ति को आप स्वयं अनुभव करेंगे |
विचारों में परिवर्तन इतना आसान नहीं होता , मनुष्य अपने विचारों के प्रति बड़ा जड़ होता है , स्वयं को बदलना नहीं चाहता | आज के इस युग में जब मनुष्य बिना सोचे - समझे धन के पीछे भाग रहा है , इच्छाओं का अंत नहीं है , ऐसी स्थिति में सद्बुद्धि के लिए एक छोटा - सा प्रयास जरुरी है , वह है ----- निष्काम कर्म | नि:स्वार्थ भाव से व्यक्ति सेवा - परोपकार का कोई भी कार्य नियमित करे तो स्वयं के जीवन में , व्यक्तित्व में ऐसा सकारात्मक परिवर्तन होगा कि स्वयं को आश्चर्य होगा | अपने धार्मिक कर्मकांड के साथ यदि अज्ञात शक्ति को याद करते हुए गायत्री मन्त्र का जप कर लिया जाये तो इस मन्त्र की शक्ति को आप स्वयं अनुभव करेंगे |
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