आज समाज में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध , उन्हें अमानवीय तरीके से उत्पीड़ित करना , हत्या कर देना ---- यह सब पशु - प्रवृति बढ़ती जा रही है । इसका कारण हमेशा दूषित विचारों की संगत में रहना । फिल्मों की अश्लीलता , दूषित साहित्य --- यह सब मनुष्य के मन को विषैला कर देते हैं , जो कुछ व्यक्ति फिल्मों में देखता है , या ऐसे गंदे साहित्य में पढ़ता है , वही विचार उसके मन में चलते रहते हैं । वह कोई भी कार्य करे , इन दूषित विचारों से मुक्त नहीं हो पाता, उसकी बुद्धि , विवेक समाप्त हो जाता है और वह विभिन्न अपराधों में संलग्न हो जाता है । बिना श्रेष्ठ चरित्र के कोई भी संस्कृति जीवित नहीं रह सकती । ऐसे दूषित प्रवृति के लोग अपने परिवार , समाज और राष्ट्र सभी के लिए घातक हैं । विचार परिष्कार के बिना शान्ति संभव नहीं है ।
No comments:
Post a Comment