आज के समय में लोग अपने शरीर को स्वस्थ और सुडौल बनाने के लिए बहुत समय व धन खर्च करते हैं , इन सबसे स्वास्थ्य अच्छा हो भी जाता है लेकिन जब तक मनुष्य का चरित्र , चाल - चलन , उसके विचार अच्छे न होंगे उसका मन भटकता ही रहेगा , शांति नहीं मिलेगी । स्वास्थ्य अच्छा है लेकिन क्रोध बहुत है तो परिवार में झगडे होंगे , अहंकार , लालच , बेईमानी , छल - कपट आदि दुर्गुण हैं तो ऐसा व्यक्ति चाहे शारीरिक द्रष्टि से स्वस्थ हो लेकिन वह स्वयं के लिए और समाज के लिए हानिकारक है । अपनी बुरी आदतों को दूर करना , सद्गुणों को अपनाना बहुत बड़ा तप है । बुराई में रहते हुए व्यक्ति उसी का अभ्यस्त हो जाता है , अच्छाई को देखने से , सुनने से डरता है । इसलिए जरुरी है कि अच्छाई संगठित हो ताकि उसकी चमक देखकर अन्य लोगों को भी सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त हो ।
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