कहते हैं ' कायरता समाज का सबसे बड़ा कलंक है और अशांति का सबसे बड़ा कारण है l '
यदि व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि कोई उससे दुश्मनी क्यों रखे है ? क्यों उसका अहित करना चाहता है ? तो शांत प्रवृति का व्यक्ति उस दुश्मनी के कारण को दूर करने का प्रयत्न करेगा ताकि दोनों लोग शांति से रह सकें l लेकिन आज के समय में धन , पद का लालच , ईर्ष्या - द्वेष दुश्मनी के ऐसे कारण हैं जिनका कोई समाधान नहीं है l इन सबके अतिरिक्त अशांति का जो सबसे बड़ा कारण है वह यह कि लोग नैतिकता , मर्यादा , संवेदना जैसे सद्गुणों को भूल गए हैं l लोग अपने अनैतिक और गैर कानूनी कार्य दूसरे की मदद से करना चाहते हैं , दूसरे के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाना चाहते हैं l और जो उनके ऐसे कार्यों में सहयोग न दे , उनके जाल में न फंसे , उसकी खैर नहीं l आज हम सब को मिलकर समाज की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश व्यक्ति अपनी कमजोरियों और दुष्प्रवृत्तियों के कारण अपने स्वाभिमान को गंवाकर किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बने रहते हैं , इसकी डोर किसके हाथ में है वे स्वयं नहीं जानते l जब समाज का वातावरण ऐसी दुष्प्रवृत्तियों की वजह से विषाक्त हो जाये तब लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में निष्काम कर्म , पुण्य कार्य करने चाहिए जिससे नकारात्मकता दूर होगी l
यदि व्यक्ति को यह समझ आ जाये कि कोई उससे दुश्मनी क्यों रखे है ? क्यों उसका अहित करना चाहता है ? तो शांत प्रवृति का व्यक्ति उस दुश्मनी के कारण को दूर करने का प्रयत्न करेगा ताकि दोनों लोग शांति से रह सकें l लेकिन आज के समय में धन , पद का लालच , ईर्ष्या - द्वेष दुश्मनी के ऐसे कारण हैं जिनका कोई समाधान नहीं है l इन सबके अतिरिक्त अशांति का जो सबसे बड़ा कारण है वह यह कि लोग नैतिकता , मर्यादा , संवेदना जैसे सद्गुणों को भूल गए हैं l लोग अपने अनैतिक और गैर कानूनी कार्य दूसरे की मदद से करना चाहते हैं , दूसरे के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाना चाहते हैं l और जो उनके ऐसे कार्यों में सहयोग न दे , उनके जाल में न फंसे , उसकी खैर नहीं l आज हम सब को मिलकर समाज की सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि अधिकांश व्यक्ति अपनी कमजोरियों और दुष्प्रवृत्तियों के कारण अपने स्वाभिमान को गंवाकर किसी न किसी के हाथ की कठपुतली बने रहते हैं , इसकी डोर किसके हाथ में है वे स्वयं नहीं जानते l जब समाज का वातावरण ऐसी दुष्प्रवृत्तियों की वजह से विषाक्त हो जाये तब लोगों को अधिक से अधिक मात्रा में निष्काम कर्म , पुण्य कार्य करने चाहिए जिससे नकारात्मकता दूर होगी l
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