यदि समाज में ऊँच - नीच , छोटे - बड़े , अमीर - गरीब आदि भेदभाव न करके प्रत्येक अपराधी को उसके अपराध के लिए दंड दिया जाये , तो लोग अपराध करने से डरेंगे l लेकिन ऐसा होता नहीं है l जब लोग जानते हैं कि वे कैसा भी अपराध करें उनके ' आका ' उन्हें दंड से बचा लेंगे , समाज उन्हें बहिष्कृत नहीं करेगा बल्कि अपने छोटे - बड़े स्वार्थ को पूरा करने के लिए उनकी पहचान से फायदा उठाएगा , तब ऐसे लोग अपनी - अपनी मानसिकता के अनुरूप कभी खुलकर , कभी छुपकर घोर अपराध करते हैं l जो लोग प्रत्यक्ष रूप से अपराध कर रहे हैं , वे तो अपराधी हैं ही , लेकिन जो लोग इन अपराधियों को शह देते हैं , कानून से बचने में उनकी हर संभव मदद करते हैं , अपने अनैतिक कार्य और बड़े - बड़े स्वार्थ उनसे पूरे कराते हैं , वे भी उन अपराधों में बराबर के भागीदार हैं l अब समाज को जागरूक होना पड़ेगा , संगठित होना होगा कि अपराधियों को बहिष्कृत करे , चाहे उनका समाज में कोई भी स्टेटस हो l
आज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि लोग अपनी दुर्बुद्धि के कारण और अपराधियों के खौफ के कारण अपराधियों का ही साथ दे रहे हैं और अच्छाई को बहिष्कृत कर रहे हैं l जागरूकता जरुरी है l
आज की सबसे बड़ी विडम्बना यह है कि लोग अपनी दुर्बुद्धि के कारण और अपराधियों के खौफ के कारण अपराधियों का ही साथ दे रहे हैं और अच्छाई को बहिष्कृत कर रहे हैं l जागरूकता जरुरी है l
No comments:
Post a Comment