अपराध इसलिए तेजी से बढ़ते हैं क्योंकि यह समाज ही अपराधियों की फसल तैयार करता है l
कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति जिसने जघन्य अपराध किया है , वह सबूत न मिलने से बच जाता है l समाज उसकी सच्चाई जानता है फिर भी उससे निकटता रखते हैं , उसे सम्मान देते हैं l इससे उसकी अपराध करने की प्रवृति को और बल मिलता है l
कभी परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं कि अपराधी आत्मसमर्पण कर देता है , जैसे डाकुओं ने किया था तो उन्हें समाज में मिलकर जीने का अवसर मिल जाता है l संभव है कि समर्पण के बाद वे कोई अपराध न करें लेकिन संस्कार नहीं मिटते l यह अपराधी प्रवृति उनके बच्चों में भाई - बंधू में आ जाती है l जब अनेक महान , सज्जन लोगों की संतानें पथ भ्रष्ट हो जाती हैं , तो अपराधी जिसने चाहे अपराध करना छोड़ दिया हो , उसकी संताने कैसे संत - सज्जन होंगी ? ये ही लोग अपने संस्कारों के अनुरूप अपराध करते हैं और समाज में अशांति - अव्यवस्था फैलाते हैं l
समाज को जागरूक होना होगा कि वह अपने निजी स्वार्थ को छोड़कर अपराधियों से दूरी बनाये l जिनसे मित्रता करते हैं , उनके परिवार की , उसके पिता व दादा की जानकारी हासिल करें कि कोई किसी जघन्य अपराध में तो सम्मिलित नहीं रहा l दुष्ट संस्कार कब हावी हो जाएँ , अपराध को अंजाम दें कहा नहीं जा सकता l
कई बार ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति जिसने जघन्य अपराध किया है , वह सबूत न मिलने से बच जाता है l समाज उसकी सच्चाई जानता है फिर भी उससे निकटता रखते हैं , उसे सम्मान देते हैं l इससे उसकी अपराध करने की प्रवृति को और बल मिलता है l
कभी परिस्थितियां ऐसी उत्पन्न हो जाती हैं कि अपराधी आत्मसमर्पण कर देता है , जैसे डाकुओं ने किया था तो उन्हें समाज में मिलकर जीने का अवसर मिल जाता है l संभव है कि समर्पण के बाद वे कोई अपराध न करें लेकिन संस्कार नहीं मिटते l यह अपराधी प्रवृति उनके बच्चों में भाई - बंधू में आ जाती है l जब अनेक महान , सज्जन लोगों की संतानें पथ भ्रष्ट हो जाती हैं , तो अपराधी जिसने चाहे अपराध करना छोड़ दिया हो , उसकी संताने कैसे संत - सज्जन होंगी ? ये ही लोग अपने संस्कारों के अनुरूप अपराध करते हैं और समाज में अशांति - अव्यवस्था फैलाते हैं l
समाज को जागरूक होना होगा कि वह अपने निजी स्वार्थ को छोड़कर अपराधियों से दूरी बनाये l जिनसे मित्रता करते हैं , उनके परिवार की , उसके पिता व दादा की जानकारी हासिल करें कि कोई किसी जघन्य अपराध में तो सम्मिलित नहीं रहा l दुष्ट संस्कार कब हावी हो जाएँ , अपराध को अंजाम दें कहा नहीं जा सकता l
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