Tuesday 4 September 2018

वातावरण की नकारात्मकता व्यक्ति का सुख - चैन छीन लेती है

 वातावरण  की नकारात्मकता   व्यक्ति  को  शारीरिक  और  मानसिक  दोनों  तरह  से  अस्वस्थ  कर  देती  है   l  इसके  लिए  सम्पूर्ण  समाज  जिम्मेदार  है  l  विज्ञान  ने  यह  स्वीकार  कर  लिया  है  कि  हम  जो  कुछ  बोलते  हैं ,  हमारी  आवाज   वातावरण  में  रहती  है ,  नष्ट  नहीं  होती  l   तब  मनुष्य  अपने  स्वाद ,  अपनी  खुशी  और  अपनी    विकृत  मानसिकता  के   कारण  निरीह  पशुओं ,  प्राणियों  और  अबोध  बालिकाओं  पर  जो  अत्याचार  करता  है  ,  उनकी  चीखें ,  आहें ,  उनके  आंसू   इसी  वातावरण  में  रहते  हैं   l   मनुष्य  जो  प्रकृति  को  देता  है   उसी  का  परिणाम  उसे   लाइलाज  बीमारियाँ ,  मानसिक  अशांति ,  प्राकृतिक  प्रकोप  आदि  सामूहिक  दंड  के  रूप में  मिलता  है  l 
  अब  समय  आ  गया  है   --- यह  सारे  संसार  के  प्रबुद्ध  और  विवेकशील  लोगों  को  मिलकर  तय  करना  है  कि   --- संसार  को  कैसा  होना  चाहिए ---  युद्ध , अशांति , बीमारी ,  हत्या  और  अपराधों  का              या   सुख - चैन  और  मानसिक  शांति  का  संसार  हो   l 

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