आज समाज में ऐसे लोगों की अधिकता है जो दूसरों को आगे नहीं बढ़ने देना चाहते l ऐसे लोग अपनी योग्यता बढ़ाने का प्रयास नहीं करते , और अपनी सारी ऊर्जा दूसरों को नीचा दिखाने, उन पर अपनी हुकूमत चलाने में खर्च कर देते हैं l ये एक विशेष प्रकार की मानसिकता के लोग हैं , इन्हें किसी जाति के दायरे में नहीं बाँधा जा सकता क्योंकि ऐसे व्यक्ति किसी के सगे नहीं होते l ईर्ष्या - द्वेष इतना होता है कि अपने ही लोगों का हक छीनने, उनकी तरक्की के रास्ते में बाधा डालने के लिए वे गैर का सहारा लेते हैं l जब समाज में नैतिक गिरावट होती है , कायरता बढ़ जाती है तब अच्छे - बुरे की पहचान कठिन हो जाती है l वास्तव में अपराधी कौन है , निर्दोष कौन है ,जानना कठिन है l विचारों में परिवर्तन हो , संवेदना विकसित हो , इसी की आवश्यकता है l
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