लोग धन संपन्न हों , ऊँचे पद पर हों , बाहरी तौर पर बहुत सुखी - संपन्न दिखाई देते हैं लेकिन ऐसे लोग सामान्य लोगों से ज्यादा तनाव में रहते हैं l जब व्यक्ति तरक्की की राह पर होता है , सुख - वैभव बढ़ता जाता है तब वह अपने सुखों में इतना मग्न हो जाता है कि अपनी तरक्की के अनुपात में या थोड़े भी सत्कर्म नहीं करता l कहते हैं विवेक , सद्बुद्धि ईश्वर की कृपा से मिलती है और ईश्वर की कृपा सत्कर्म करने से , सन्मार्ग पर चलने से मिलती है विवेक होने पर ही व्यक्ति अपने जीवन में सही निर्णय ले पाता है l जीवन में एक कदम भी गलत हो तो मंजिल तक पहुंचना कठिन होता है l
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