जब हम बीमारी को अनुभव करते हैं तभी उसका इलाज करते हैं | सर्वप्रथम लोगों को यह स्वीकार करना होगा कि सम्पूर्ण समाज पर ही दुर्बुद्धि का प्रकोप है । इस सत्य को स्वीकार करने के बाद ही सबके सम्मिलित प्रयास से दुर्बुद्धि का अंत हो सकता है ।
आज हमारे देश को स्वतंत्र हुए बहुत वर्ष बीत गए , अब कोई विदेशी आकर यहाँ न तो गौ हत्या करता है , न ही कोई विदेशी यहाँ आकर नारी का चरित्र हनन और पवित्र नदी गंगा को प्रदूषित करने का कार्य करता है । ये तीनो महापाप इसी देश के लोग करते हैं और स्वयं को धार्मिक कहते हैं । ------ यही दुर्बुद्धि है । अपनी संस्कृति , अपनी पहचान को जीवित रखना है , दैवी आपदाओं से बचना है -- तो अब जागने की जरुरत है , कहीं देर न हो जाये ! सबके दृढ़ संकल्प और सम्मिलित प्रयास से ही इन पापों से मुक्ति संभव है ।
आज हमारे देश को स्वतंत्र हुए बहुत वर्ष बीत गए , अब कोई विदेशी आकर यहाँ न तो गौ हत्या करता है , न ही कोई विदेशी यहाँ आकर नारी का चरित्र हनन और पवित्र नदी गंगा को प्रदूषित करने का कार्य करता है । ये तीनो महापाप इसी देश के लोग करते हैं और स्वयं को धार्मिक कहते हैं । ------ यही दुर्बुद्धि है । अपनी संस्कृति , अपनी पहचान को जीवित रखना है , दैवी आपदाओं से बचना है -- तो अब जागने की जरुरत है , कहीं देर न हो जाये ! सबके दृढ़ संकल्प और सम्मिलित प्रयास से ही इन पापों से मुक्ति संभव है ।
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