Thursday 9 August 2018

समाज में व्याप्त विषमताएं अशांति उत्पन्न करती हैं

 समाज  में  जात - पांत ,  ऊँच - नीच   और   अमीर - गरीब    के  बीच  गहरी  खाई  होने  से   अशांति  उत्पन्न  होती  है  l  कितने  भी  नियम  क्यों  न  बन  जाएँ  ,  जब  तक  व्यक्ति  की  मानसिकता  में  परिवर्तन  नहीं  होगा  ,  स्थिति  में  सुधार  संभव  नहीं  है   l  इतनी  तरह  की  विषमता  होने  के  अतिरिक्त   अब  समाज  में  एक  नई  तरह  की  विषमता  उत्पन्न  हो  गई  है  ,  उसका  आधार  है  ---- स्वार्थ   l    जो  समर्थ  हैं ,  शक्ति  संपन्न   हैं   वह  अपनी  शक्ति  और  धन  को  और  बढ़ाना  चाहता  है  ,  जिन  लोगों  से  उसके  इस  स्वार्थ  की  पूर्ति  होती  है   उनका  एक  वर्ग  बन  जाता  है   l  इन  लोगों  का  एक  ही  उद्देश्य  है -- अपने  स्वार्थ  व  अहंकार  की  पूर्ति  करना   l  जो  इनके  इस  उद्देश्य  की  पूर्ति  न  करे  वह    दूसरे  वर्ग  का  होगा   l  आज  के  समय  में  इन्ही  दोनों  वर्गों  की  खींचातानी  चलती  है   l  

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