सुख मन की एक धारणा है, व्यक्ति यदि सुखी रहना चाहे तो किसी भी परिस्थिति में सुखी रह सकता है । अधिकांश लोग यह सोचते हैं कि धन बहुत कमा लेंगे, सुख-सुविधाएं होंगी तो बहुत सुख होगा लेकिन यही सत्य नहीं है । धन, सुख-सुविधा भी जरुरी है लेकिन जब मन अशांत होता है तब ये बेजान वस्तुएं हमें सुख नहीं देतीं ।
सुख तो इस बात पर निर्भर है कि हमने परिस्थितियों के साथ कैसे तालमेल किया । सुख-शान्ति हमारे विवेक पर निर्भर है । जीवन की विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए जो रास्ता चुना, जों तरीके अपनायें, वे तरीके ही अपना परिणाम प्रस्तुत करते हैं ।
जीवन में केवल विभिन्न तरीकों से धन कमाया, केवल बैंक-बैलेंस बढ़ाया तो यह स्थिति कभी सुख-शांति नहीं देगी लेकिन यदि धन कमाने के साथ-साथ सेवा-परोपकार के कार्य भी किये, 24 घंटे में से कुछ समय सत्कर्म भी किया, और अपनी कमियों को समझकर उन्हें दूर करने का, श्रेष्ठ रास्ते पर चलने का प्रयास किया तो इतने प्रयास से ही एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और सुख का अनुभव कर सकता है ।
सुख तो इस बात पर निर्भर है कि हमने परिस्थितियों के साथ कैसे तालमेल किया । सुख-शान्ति हमारे विवेक पर निर्भर है । जीवन की विभिन्न समस्याओं को हल करने के लिए जो रास्ता चुना, जों तरीके अपनायें, वे तरीके ही अपना परिणाम प्रस्तुत करते हैं ।
जीवन में केवल विभिन्न तरीकों से धन कमाया, केवल बैंक-बैलेंस बढ़ाया तो यह स्थिति कभी सुख-शांति नहीं देगी लेकिन यदि धन कमाने के साथ-साथ सेवा-परोपकार के कार्य भी किये, 24 घंटे में से कुछ समय सत्कर्म भी किया, और अपनी कमियों को समझकर उन्हें दूर करने का, श्रेष्ठ रास्ते पर चलने का प्रयास किया तो इतने प्रयास से ही एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में सफलता और सुख का अनुभव कर सकता है ।
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