परिश्रम भी ईमानदारी और सच्चाई से होना चाहिए l चोरी करना , सेंध लगाना , भ्रष्टाचार , दूसरों का हक छीनना परिश्रम नहीं है l कोई भी राष्ट्र तभी आगे बढ़ सकता है जब उसके नागरिक कर्मयोगी हों l मेहनत , परिश्रम और ईमानदारी से जीवन जीने वाले हों l यदि किसी समाज में ऐसे लोगों की भरमार है जो शासन से या विभिन्न संस्थाओं से मिलने वाली सुविधाओं के बल पर आलसी जीवन जीते हैं तो संकट के समय ऐसे आलसी अपनी ही सुरक्षा नहीं कर सकेंगे तो देश और समाज के लिए क्या कर पाएंगे l आज की सबसे बड़ी जरुरत है कि लोग आत्मनिर्भर हों l इस भौतिकवादी युग में जब लोगों के ह्रदय में संवेदना सूख गई है , स्वार्थ अपनी चरम सीमा पर है , लोग अपने चेहरे पर शराफत का नकाब ओढें हैं तब जागरूक रहने की बहुत जरुरत है l जागरूकता के अभाव में कुटिल लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहेंगे l
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