Thursday 19 April 2018

हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है

    युगों  से  समाज  ने  नारी  पर  अत्याचार  किए  जो  इतिहास  में  दर्ज  हैं  --- सती-प्रथा , बाल - विधवा , 
  विधवा  पर  अत्याचार ,  कन्या भ्रूण  हत्या , दहेज़  हत्या ,  घरेलू  हिंसा ,  कार्यालयों  में  उत्पीड़न  ---- अनेक  महापुरुषों  के  प्रयत्न  से  स्थिति  में  कुछ  सुधार  हुआ  लेकिन  आज  भी  स्थिति  ये  है  कि  दोहरा  दायित्व  सँभालने  के  बावजूद  असंख्य  परिवार  ऐसे  हैं    जहाँ  परिवार  के  प्रमुख  निर्णयों  में  महिलाओं  की  इच्छा   को  कोई  महत्व  नहीं  दिया  जाता  , उन्हें  उपेक्षित  किया  जाता  है  l  इन  अत्याचारों  में  कमी  नहीं  हुई  l  ऐसा  लगता  है  पुरुष  नारी  से  भयभीत  है  कि  कहीं  वो  बड़ी  होकर   उनसे  अधिक  योग्य ,  अधिक  सक्षम  न  बन  जाये  ,  इसलिए  अब  बच्चों  पर , कन्याओं  पर  अत्याचार   चरम  पर  पहुँच  गया  l
    कोई  भी  कार्य  छोटा  हो  या  बड़ा ,  अच्छा  हो  या  बुरा  उसकी  प्रतिक्रिया  अवश्य  होती  है  ,  जिस  भी  जाति  ने ,  धर्म  ने   ऐसे  अत्याचार  किये  हैं  उनका  संख्यात्मक  और  गुणात्मक   दोनों  ही  द्रष्टिकोण  से  पतन   होने  लगता  है   l  प्रकृति  किसी  का  अहंकार   बर्दाश्त    नहीं  करती  ,  अहंकारी  का  पतन  निश्चित  है  l 

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