एक बच्चा बहुत गरीब , अपने पिता के साथ झोपड़ी में रहता था l गरीबी और मजबूरीवश माँ मर गई या मार दी गई , कोई नहीं जानता l बच्चा अपने पिता से जिद्द करता बड़े - बड़े महल देखने की l बेचारा पिता ! महल कैसे दिखाता l उसे एक युक्ति सूझी , वह अपने बच्चे को भगवान के महल ---- मंदिर , मस्जिद , गुरुद्वारा , चर्च सब दिखाने ले गया l बच्चा आँख फाड़े देखता रहा ---
' भगवान तेरे एक को इतना बड़ा मकान " बच्चा रास्ते भर पूछता रहा -- इतने सारे कमरे है , कौन रहता है , क्या होता है ?
पिता चुप था , उसकी आँखों में आँसू थे l क्योंकि वह तो उसे शुरू से यही समझाता रहा था कि महलों से दूर रहना , ईश्वर को पाना है तो ह्रदय को पवित्र बनाओ l
' भगवान तेरे एक को इतना बड़ा मकान " बच्चा रास्ते भर पूछता रहा -- इतने सारे कमरे है , कौन रहता है , क्या होता है ?
पिता चुप था , उसकी आँखों में आँसू थे l क्योंकि वह तो उसे शुरू से यही समझाता रहा था कि महलों से दूर रहना , ईश्वर को पाना है तो ह्रदय को पवित्र बनाओ l
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