Friday 20 April 2018

हम अपने कार्यों से प्रकृति को सन्देश देते हैं कि हमें क्या पसंद है

 हम  जो  कुछ  सोचते  हैं ,  जो  कार्य  करते  हैं  उसकी  गवाह  प्रकृति  है   l  जैसे  हम  अपने  खान - पान ,  पहनावा ,  अपने  तौर - तरीके  से   परिवार  में ,  समाज  में   यह  स्पष्ट  करते  हैं  कि  हमें  क्या  पसंद  है ,  हम  अपने  आपको  कैसा  दिखाना  चाहते  हैं  l  उसी  प्रकार  हम  अपने  विचारों  से ,  अपने  कार्यों  से ,  अपनी  गतिविधियों  से   प्रकृति  को  यह  बताते  हैं  कि  हमें  क्या  पसंद  है   l   फिर  हमें  जो  पसंद  है  वही  प्रकृति  हमें  देने  लगती  है  l
  मनुष्य  एक  सामाजिक  प्राणी  है  उसके  कार्यों  का  प्रभाव  पूरे  समाज  पर  पड़ता  है  l   जब  मनुष्य  प्रकृति  पर  अत्याचार  करता  है ,  तब  प्रकृति  को  यह  समझ  आता   है   कि  आपको  मिटाना , नष्ट  करना   पसंद  है  तब  प्रकृति  आपको  आपकी  पसंद  ' मिटाना '---- बाढ़ , भूकंप , सुनामी , तूफ़ान   आदि  प्राकृतिक  आपदाएं  देती  है  l  जिसमे  असंख्य  लोग   मिट  जाते  हैं  l 
  इसी  तरह  मानव  समाज  है  जिसमे  बच्चे , बच्चियां ,  युवा  स्त्री - पुरुष  और  वृद्ध  स्त्री - पुरुष  हैं  l   अब  यदि  कोई  जाति,  समुदाय , धर्म ---    मानव - समाज  में  जो  अपने  से  कमजोर   हैं ,  जिनकी  उन्हें  हिफाजत  करनी  चाहिए  ,  अहंकार  के  वशीभूत  होकर  उन्ही  पर  अत्याचार  करता  है ,  अन्याय  करता  है   तो  प्रकृति  में  सन्देश  जाता  है  कि  आपको  अत्याचार  और  अन्याय  बहुत  पसंद  है  l    इस  सन्देश  के  परिणामस्वरूप   अत्याचारी  और   अन्यायी   लोगों  पर  कहीं  न  कहीं  से  अत्याचार  और  अन्याय  शुरू  हो  जाता  है  l 
   हमें  अपनी  पसंद  का  प्रकृति  से  रिटर्न   कब  मिलेगा  ,  इसका  लेखा - जोखा    सर्वशक्तिमान  ईश्वर  के  पास  है   l  यदि  इस  सत्य  को  हम  समझ  सकें   तो  प्रकृति  हमें  सुधरने  का , प्रायश्चित  करने  का  मौका  भी  देती  है  l  

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