अपराधी यदि पकड़ में न आये , उसे दंड का भय न हो , तो उनके हौसले बुलंद हो जाते हैं और उनके भीतर कायरता बढ़ती जाती है l बच्चों की हत्या करना कायरता की चरम सीमा है l न्याय की अपनी एक प्रक्रिया है l अपराध इसलिए बढ़ते हैं क्योंकि समाज संगठित रूप से अपराधियों का बहिष्कार नहीं करता l बुरे से बुरा व्यक्ति भी समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए चेहरे पर शराफत का नकाब ओढ़े रहता है l समाज के लोग उसकी असलियत को जानते भी हैं लेकिन अपने छोटे - छोटे स्वार्थ के लिए वे उससे जुड़े रहते हैं , ' गिव एंड टेक ' चलता रहता है जनता जागरूक होगी , संगठित होगी तभी समस्याओं से मुक्ति है l विज्ञान ने मनुष्य को इतना बुद्धिमान बना दिया है कि ' कठपुतली ' की डोर किसके हाथ में है , यह जानना कठिन है l
Monday, 18 September 2017
Friday, 15 September 2017
वर्तमान के आधार पर ही भविष्य का निर्माण होता है
सुनहरे भविष्य के लिए हमें वर्तमान में ही प्रयास करना होगा l बालक - बालिकाओं का जीवन सुरक्षित न हो , युवा पीढ़ी के जीवन को सही दिशा न हो , अश्लीलता अपने चरम पर हो और जो समर्थ हैं वे धन , पद और प्रतिष्ठा की अंधी दौड़ में लगे हों , तो भविष्य कैसा होगा ?
आज लोगों का अहंकार इस कदर बढ़ गया है कि वे बच्चों को निशाना बना कर , देश के भविष्य पर , संस्कृति पर वार कर अपने अहंकार को पोषित कर रहे हैं l
जिस प्रकार दंड का भय न होने से व्यक्ति अपराध करता है , अनैतिक और अमानवीय कार्य करता है , यदि कठोर दंड का भय हो तो लोग अपराध करने से डरेंगे जिससे वातावरण में सुधार होगा l
आज लोगों का अहंकार इस कदर बढ़ गया है कि वे बच्चों को निशाना बना कर , देश के भविष्य पर , संस्कृति पर वार कर अपने अहंकार को पोषित कर रहे हैं l
जिस प्रकार दंड का भय न होने से व्यक्ति अपराध करता है , अनैतिक और अमानवीय कार्य करता है , यदि कठोर दंड का भय हो तो लोग अपराध करने से डरेंगे जिससे वातावरण में सुधार होगा l
Thursday, 14 September 2017
संवेदनहीन समाज में अशान्ति होती है
अब लोगों में संवेदना समाप्त हो गई है और कायरता बढ़ गई है l भ्रूण हत्या , छोटी बच्चियों के साथ अनैतिक कार्य , स्कूल में पढने वाले बच्चों की निर्मम हत्या ---- यह सब व्यक्ति की कायरता के प्रमाण हैं l बाहरी आतंकवाद को तो सैन्य शक्ति मजबूत कर के रोका जा सकता है लेकिन देश के भीतर ही पीछे से वार करने वाले आतंकियों को रोकने से ही समाज में शान्ति होगी l जिनके ह्रदय में संवेदना सूख गई है , तो इस संवेदना को जगाने का , पुन: हरा - भरा करने का कोई तरीका नहीं है l केवल एक ही रास्ता है --- ऐसे अपराधियों को कठोर और शीघ्र दण्ड दिया जाये l समाज को जागरूक होना पड़ेगा , जो लोग अपराधियों को संरक्षण देते हैं उनका सामूहिक बहिष्कार करें l
Wednesday, 13 September 2017
बच्चों तुम तकदीर हो कल ------- ?--? __-- ?---
बच्चे ही किसी देश का भविष्य होते हैं लेकिन जहाँ छोटी सी उम्र के कोमल बच्चों को मार दिया जाता हो , ऐसी घटनाओं से अन्य बच्चे भयभीत हों और भय के वातावरण में पल कर युवा हों तो वह समाज कैसा होगा ? इसकी कल्पना की जा सकती है l
दंड का भय समाप्त हो जाये , अपराधियों को संरक्षण देने वाले अनेक ' आका ' हों तो ये अपराध कैसे रुकेंगे l सर्वप्रथम हमें ऐसे लोगों को ' जो छुप कर निहत्थे और मासूम बच्चों ' की अमानवीय तरीके से हत्या करते हैं , और जो इन्हें पनाह देते हैं , उन्हें एक ' नाम ' देना पड़ेगा क्योंकि यह केवल हत्या नहीं है , देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है l
दंड का भय समाप्त हो जाये , अपराधियों को संरक्षण देने वाले अनेक ' आका ' हों तो ये अपराध कैसे रुकेंगे l सर्वप्रथम हमें ऐसे लोगों को ' जो छुप कर निहत्थे और मासूम बच्चों ' की अमानवीय तरीके से हत्या करते हैं , और जो इन्हें पनाह देते हैं , उन्हें एक ' नाम ' देना पड़ेगा क्योंकि यह केवल हत्या नहीं है , देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है l
Sunday, 10 September 2017
सुख - शान्ति से जीने का एक ही रास्ता ----- निष्काम कर्म
प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन अपने लिए सुन्दर दुनिया स्वयं बनानी पड़ती है l सुख - शान्ति से वही व्यक्ति जीवन जी सकता है जिसके पास विवेक हो , सद्बुद्धि हो l सद्बुद्धि कहीं बाजार में नहीं मिलती और न ही इसे कोई सिखा सकता है l लोभ , लालच , स्वार्थ , ईर्ष्या, अहंकार , झूठ , बेईमानी , धोखा , अनैतिक कार्य जैसे दुर्गुणों को त्यागने का प्रयास करने के साथ जब कोई निष्काम कर्म करता है , तब धीरे - धीरे उसके ये विकार दूर होते है और निर्मल मन होने पर ईश्वर की कृपा से उसको सद्बुद्धि मिलती है l सद्बुद्धि न होने पर संसार के सारे वैभव होने पर भी व्यक्ति अशांत रहता है l अपनी दुर्बुद्धि के कारण छोटी सी समस्या को बहुत बड़ी समस्या बना लेता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
इसलिए जरुरी है कि बचपन से ही बच्चों में छोटे - छोटे पुण्य कार्य करने की आदत डाली जाये l अधिकांश लोग कर्मकांड को , पूजा -पाठ को ही पुण्य कार्य समझते हैं , कोरे कर्मकांड का कोई प्रतिफल नहीं होता l छोटी उम्र से ही यदि बच्चों में पक्षियों को दाना देना , पुराने वस्त्र आदि जरूरतमंद को देना जैसे पुण्य कार्य की आदत हो जाये तो उसका सकारात्मक प्रभाव पूरे जीवन पर पड़ता है l
Saturday, 9 September 2017
दंड का भय न होने से समाज में अशांति बढती है
हमारे आचार्य , ऋषि - मुनि का कहना था कि अपराधियों को कभी माफी नहीं मिलनी चाहिए l इसका समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है , लोगों में दंड का भय समाप्त हो जाता है l
आज के समय में लोग बड़े - बड़े अपराध करते हैं और समर्थ लोगों से अपना जुड़ाव रख कर सजा से बच जाते हैं l यदि पकडे भी गए तो जमानत पर छूट गए और वर्षों तक खुले घूमते हैं , ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l उनके सहारे अनेक लोगों के गैर - क़ानूनी धन्धे और काले - कारनामे चलते हैं l ऐसे में अपराधियों की श्रंखला बहुत बड़ी हो जाती है l
आज के समय में लोग बड़े - बड़े अपराध करते हैं और समर्थ लोगों से अपना जुड़ाव रख कर सजा से बच जाते हैं l यदि पकडे भी गए तो जमानत पर छूट गए और वर्षों तक खुले घूमते हैं , ठाठ - बाट का जीवन जीते हैं l उनके सहारे अनेक लोगों के गैर - क़ानूनी धन्धे और काले - कारनामे चलते हैं l ऐसे में अपराधियों की श्रंखला बहुत बड़ी हो जाती है l
Wednesday, 6 September 2017
अशान्ति का कारण है ----- भय
यह भी एक आश्चर्य है कि समाज में भयभीत वे लोग होते हैं जिनके पास धन , पद - प्रतिष्ठा सब कुछ होता है l उन्हें हर वक्त उसके खोने का भय सताता रहता है l रावण के पास सोने की लंका थी , शनि , राहु, केतु सब उसके वश में थे लेकिन वो वनवासी राम से भयभीत था l ऐसे ही दुर्योधन था , उसने पांडवों का छल से राज्य हड़प लिया , उन्हें वनवास दे दिया लेकिन फिर भी वह उनसे भयभीत था , उन्हें समाप्त करने की नई- नई चालें चलता था l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
जब तक मनुष्य में अहंकार का दुर्गुण है , उसका यह भय समाप्त नहीं होगा l जब किसी के पास थोड़ी सी भी ताकत आ जाती है , चाहे वह किसी छोटी सी संस्था या किसी भी छोटे - बड़े क्षेत्र में हो , यह ताकत उसे अहंकारी बना देती है l वह चाहता है सब उसके हिसाब से चलें l अहंकारी भीतर से बड़ा कमजोर होता है , उसे हमेशा अपनी इस ' ताकत ' के खोने का भय सताता है l वह नहीं चाहता कि कोई जागरूक हो जाये , उसके विरुद्ध खड़ा हो l अहंकारी व्यक्ति हमेशा अपने अहंकार की तुष्टि का प्रयास करते हैं ,लेकिन कभी संतुष्ट हो नहीं पाते l उनका यह अहंकार स्वयं उन्हें भी कचोटता है और समाज में अशांति पैदा करता है l
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