अपराधी यदि पकड़ में न आये , उसे दंड का भय न हो , तो उनके हौसले बुलंद हो जाते हैं और उनके भीतर कायरता बढ़ती जाती है l बच्चों की हत्या करना कायरता की चरम सीमा है l न्याय की अपनी एक प्रक्रिया है l अपराध इसलिए बढ़ते हैं क्योंकि समाज संगठित रूप से अपराधियों का बहिष्कार नहीं करता l बुरे से बुरा व्यक्ति भी समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए चेहरे पर शराफत का नकाब ओढ़े रहता है l समाज के लोग उसकी असलियत को जानते भी हैं लेकिन अपने छोटे - छोटे स्वार्थ के लिए वे उससे जुड़े रहते हैं , ' गिव एंड टेक ' चलता रहता है जनता जागरूक होगी , संगठित होगी तभी समस्याओं से मुक्ति है l विज्ञान ने मनुष्य को इतना बुद्धिमान बना दिया है कि ' कठपुतली ' की डोर किसके हाथ में है , यह जानना कठिन है l
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