आज के समय में जब जीवन इतना अनिश्चित है -- कहीं प्राकृतिक प्रकोप हैं , कहीं दंगे - फसाद , लूट-पाट, दुर्घटना , हमला --- कहा नहीं जा सकता कि कब कौन इसमें फंसकर अपनी जान गँवा दे । मृत्यु तो निश्चित है , लेकिन अकाल मृत्यु , स्वयं मरने वाले के लिए , उसके परिवार , समाज सबके लिए दुःखदायी होती है । कितनी भी पुलिस हो , फौज हो , ऐसी मुसीबतों से कोई बचा नहीं पाता । बचाने वाला सिर्फ एक है --- वो है --- ईश्वर ! लेकिन ईश्वर भी ऐसे ही बचाने नहीं आते । जब वे देखते हैं कि अमुक ने कोई सेवा , परोपकार के कार्य किये हैं ( चाहे इस जन्म या पिछले जन्मों में ) तब इन्ही सत्कर्मों की डोरी से बंधकर भगवान आते हैं बचाने , ईश्वर की कृपा मिलती है । इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में नियमित रूप से सत्कर्म निष्काम भाव से करना चाहिए । कब , कौन सा कर्म किस मुसीबत से बचाने में काम आ जाये , यह कोई नहीं जनता ।
No comments:
Post a Comment