आज संसार में अच्छाई भी है और बुराई भी है । जरुरत केवल इस बात की है कि हमारी विवेक द्रष्टि विकसित हो जिससे हम अच्छाई का चयन कर सकें ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य , अपनी शिक्षा , अपने कैरियर और अपने परिवार के प्रति जागरूक रहे तो प्रत्येक परिवार का निर्माण होगा , इसी से समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा । जीवन में संतुलन जरुरी है । शारीरिक स्वास्थ्य के साथ जरुरी है मन स्वस्थ हो , मन में कुविचार न हों , क्रोध पर नियंत्रण हो ।
इसी तरह व्यक्ति संपन्न है, उच्च पद पर है तो इसकी सार्थकता तभी है जब उसमे धन व पद से जुड़ी हुई बुराइयाँ न हों । जो धनी हैं , शक्ति संपन्न हैं उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वे दूसरे को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख सकते । इस वजह से वे स्वयं अशांत रहते हैं । इस धरती पर जीने का , तरक्की करने का हक सबको है । शान्ति से जीने के लिए जरुरी है कि हम दूसरों की ख़ुशी में खुश हों ।
प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वास्थ्य , अपनी शिक्षा , अपने कैरियर और अपने परिवार के प्रति जागरूक रहे तो प्रत्येक परिवार का निर्माण होगा , इसी से समाज और राष्ट्र का निर्माण होगा । जीवन में संतुलन जरुरी है । शारीरिक स्वास्थ्य के साथ जरुरी है मन स्वस्थ हो , मन में कुविचार न हों , क्रोध पर नियंत्रण हो ।
इसी तरह व्यक्ति संपन्न है, उच्च पद पर है तो इसकी सार्थकता तभी है जब उसमे धन व पद से जुड़ी हुई बुराइयाँ न हों । जो धनी हैं , शक्ति संपन्न हैं उनकी सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वे दूसरे को आगे बढ़ता हुआ नहीं देख सकते । इस वजह से वे स्वयं अशांत रहते हैं । इस धरती पर जीने का , तरक्की करने का हक सबको है । शान्ति से जीने के लिए जरुरी है कि हम दूसरों की ख़ुशी में खुश हों ।
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