जिस भी समाज और राष्ट्र के लोग भाग्यवादी होंगे , आलसी होंगे उन्हें अत्याचार सहना पड़ेगा l जन्म से तो कोई भाग्यवादी नहीं होता l देश में लम्बे समय तक राजाओं और सामंतों ने गरीबों का शोषण व अत्याचार किये और अनेक पढ़े - लिखे ज्ञान का प्रचार करने वाले लोगों से यह बात गरीबों के दिमाग में ठूंस - ठूंस कर भर दी कि तुम्हारा भाग्य खोटा है , तुम भाग्यहीन हो इसीलिए तुम्हारा शोषण हो रहा है l भाग्यवादी होने की वजह से वे कभी अत्याचार व अन्याय के विरुद्ध खड़े नहीं हो पाए और राजा - सामंत मनमानी लूट व अत्याचार करते रहे l
बीच के वर्षों में अनेक समाज सुधारक हुए , देश को आजादी मिली लेकिन लोगों की शोषण करने , अन्याय करने की प्रवृति गई नहीं बल्कि इस भौतिकवादी युग में बढती जा रही है l
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि हर अत्याचारी भाग्यवान और हर शोषित , निर्धन भाग्यहीन नहीं है l शोषण इसीलिए होता है क्योंकि हम जागरूक नहीं है l
पहले यह समझना होगा कि कोई हमारी योग्यता से फायदा उठा रहा है , हमारा हक छीन रहा है l
अपने ऊपर होने वाले अन्याय को समझना होगा और फिर संगठित होकर विवेक पूर्ण ढंग से उसका सामना करना होगा l
अत्याचारी जब बहुत मजबूत और संगठित हो तब लड़ाई - झगड़े और वाद - विवाद, से समस्या हल नहीं होती , विवेक और समझदारी से कदम उठाना चाहिए l
बीच के वर्षों में अनेक समाज सुधारक हुए , देश को आजादी मिली लेकिन लोगों की शोषण करने , अन्याय करने की प्रवृति गई नहीं बल्कि इस भौतिकवादी युग में बढती जा रही है l
सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि हर अत्याचारी भाग्यवान और हर शोषित , निर्धन भाग्यहीन नहीं है l शोषण इसीलिए होता है क्योंकि हम जागरूक नहीं है l
पहले यह समझना होगा कि कोई हमारी योग्यता से फायदा उठा रहा है , हमारा हक छीन रहा है l
अपने ऊपर होने वाले अन्याय को समझना होगा और फिर संगठित होकर विवेक पूर्ण ढंग से उसका सामना करना होगा l
अत्याचारी जब बहुत मजबूत और संगठित हो तब लड़ाई - झगड़े और वाद - विवाद, से समस्या हल नहीं होती , विवेक और समझदारी से कदम उठाना चाहिए l
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