आज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि युवाओं को मार्गदर्शन देने वाला कोई नहीं है l जो बड़ी उम्र के हैं वे धन और पद के लालच में बेईमानी और भ्रष्टाचार में गहरे डूबे हुए हैं l ये लोग अपने स्वार्थ के लिए नई पीढ़ी को भी इस्तेमाल करते हैं l आयु बढ़ने के साथ त्याग और वैराग्य का भाव बढ़ना चाहिए , वह कहीं नहीं दिखाई देता , कामना , वासना और तृष्णा बढ़ती ही जाती है l व्यक्ति अपनी आखिरी सांस तक इन्ही की पूर्ति में लगा रहता है l अच्छे और विवेकशील लोग भी बहुत हैं लेकिन अंधकार इतना घना है , दुर्बुद्धि का ऐसा प्रकोप है कि अच्छाई इस अंधकार को चीर कर बाहर नहीं आ रही l
हमें आशावान होना चाहिए और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए l अंधकार कितना भी घना हो , सुबह अवश्य होगी l
हमें आशावान होना चाहिए और ईश्वर से सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए l अंधकार कितना भी घना हो , सुबह अवश्य होगी l
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