' कायरता इस संसार का सबसे बड़ा कलंक है l लोगों पर अहंकार इस कदर हावी है कि ऐसा प्रत्येक व्यक्ति जिसके पास थोड़ी भी शक्ति है -- चाहे वह पद की हो या धन की , वह ऐसे लोगों को पसंद करता है जो उसके इशारों पर उठे - बैठें , दिन को वो रात कहे तो उसकी हाँ में हाँ मिलाये l
आज लोगों का विवेक सो गया है , तुरत लाभ के लिए , लालच वश वे अपने दिमाग को ताला लगा देते हैं और दूसरे के हाथों की कठपुतली / पुतला बन जाते हैं l ऐसे ही लोग चलती - फिरती लाश होते हैं l ऐसे ही लोगों की अब भरमार है , अपने स्वाभिमान को मिटाकर समर्थों के अहंकार को बढ़ावा देते हैं l जो कठपुतली / पुतला न बने उसका बायकाट करने के लिए सारे अहंकारी एक हो जाते हैं , नैतिकता को ताक पर रखकर हर संभव प्रयास करते हैं l
इस समस्या का एक ही हल है --- या तो किसी तरह लोगों का स्वाभिमान जाग जाये , या फिर जिनके भीतर विवेक हैं , स्वाभिमान है , अपनी मेहनत, अपनी योग्यता की दम पर जीना चाहते हैं वे संगठित होकर मजबूत फौलाद बन जाएँ l
आज लोगों का विवेक सो गया है , तुरत लाभ के लिए , लालच वश वे अपने दिमाग को ताला लगा देते हैं और दूसरे के हाथों की कठपुतली / पुतला बन जाते हैं l ऐसे ही लोग चलती - फिरती लाश होते हैं l ऐसे ही लोगों की अब भरमार है , अपने स्वाभिमान को मिटाकर समर्थों के अहंकार को बढ़ावा देते हैं l जो कठपुतली / पुतला न बने उसका बायकाट करने के लिए सारे अहंकारी एक हो जाते हैं , नैतिकता को ताक पर रखकर हर संभव प्रयास करते हैं l
इस समस्या का एक ही हल है --- या तो किसी तरह लोगों का स्वाभिमान जाग जाये , या फिर जिनके भीतर विवेक हैं , स्वाभिमान है , अपनी मेहनत, अपनी योग्यता की दम पर जीना चाहते हैं वे संगठित होकर मजबूत फौलाद बन जाएँ l
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